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विशेष: CM का हेलीकॉप्टर क्षतिग्रस्त होने से लेकर राजा मानसिंह के एनकाउंटर तक की पूरी कहानी.. चश्मदीदों की जुबानी

21 फरवरी, 1985 को पुलिस से हुई मुठभेड़ के दौरान भरतपुर के विधायक राजा मान सिंह की मौत हो गई थी. इस मामले में करीब 35 साल बाद मंगलवार यानि की 21 जुलाई को फैसला सुनाया गया. फैसले के तहत डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 लोगों को दोषी पाया गया और मान सिंह की मौत के मामले में 18 लोग आरोपी बनाए गए थे. यूपी की मथुरा जिला सेशन कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है, जिसमें सभी 11 दोषियों की सजा का ऐलान बुधवार को हुआ.

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राजामान सिंह हत्याकांड में चश्मदीदों की जुबानी...
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Published : Jul 22, 2020, 7:37 PM IST

डीग (भरतपुर). करीब 35 साल पहले डीग में हुए बहुचर्चित राजा मान सिंह हत्याकांड में दोषी करार दिए 11 पुलिसकर्मियों को उत्तर प्रदेश की मथुरा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. साथ ही सभी को दस-दस हजार का जुर्माना भी देना होगा. मथुरा डिस्ट्रिक्ट जज साधना रानी ने यह सजा सुनाई है. उन्होंने कहा कि दोषियों के यह जुर्माना राशि राजस्थान सरकार को देनी होगी. साथ ही कोर्ट ने तीनों मृतकों के परिजनों को 30-30 हजार रुपए और घायल चार लोगों को दो-दो हजार देने के निर्देश दिए हैं.

राजामान सिंह हत्याकांड में चश्मदीदों की जुबानी...

बता दें कि 35 साल से चल रहे इस मुकदमे को मथुरा डिस्ट्रिक्ट जज साधना रानी ठाकुर ने मंगलवार को फैसला सुनाते 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था. इस केस में तीन अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है. फैसले के बाद सभी 11 दोषियों को कड़ी सुरक्षा में अस्थाई जेल भेज दिया गया. मान सिंह हत्याकांड को लेकर Etv Bharat के साथ कुछ चश्मदीद लोगों ने अपनी आंखों देखी साझा की.

राजामान सिंह हत्याकांड में चश्मदीदों की जुबानी...

राजा मान सिंह हत्याकांड में चश्मदीदों की जुबानी..

भरतपुर में डीग निवासी बृजेश पाराशर ने बताया कि जिस समय राजा मान सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के बीच विवाद हुआ. उस समय वह स्नातक अंतिम वर्ष के विद्यार्थी थे. 20 फरवरी, 1985 की घटना के बारे में पाराशर ने बताया कि उस दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर कांग्रेसी प्रत्याशी विजेंद्र सिंह के समर्थन में डीग में एक जनसभा को संबोधित करने आए थे. उस समय मान सिंह का हनुमान जी की तस्वीर वाला पीले रंग का झंडा डीग के किले की लक्खा बुर्ज पर लहराता था. उस समय किसी कांग्रेसी समर्थक ने वो झंडा हटाकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया. इस बात की जानकारी मान सिंह को उनके समर्थक ने दी.

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मानसिंह हत्याकांड के चश्मदीद

यह भी पढ़ेंः मानसिंह हत्याकांड में सजा का ऐलान...DSP समेत 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास

पराशर ने बताया कि इससे राजा मान सिंह काफी नाराज हुए. लक्ष्मण मंदिर के पास मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का मंच लगाया गया था और मुख्यमंत्री कस्बे में जनसंपर्क कर रहे थे. इस दौरान राजा ने अपनी जीप (जोंगा) से टक्कर मारकर मंच तोड़ दिया. इससे वहां लोगों में हड़कंप मच गया. उसके बाद डीग के स्कूल में मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का हेलीकॉप्टर खड़ा था, उसे भी जोंगा से क्षतिग्रस्त कर दिया. इस घटना से मुख्यमंत्री माथुर काफी नाराज हुए और राजा मान सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करवाई.

फायरिंग में मान सिंह की हुई थी मौत, घेरकर की थी गोलीबारी

डीग निवासी सतीश तमोलिया ने बताया कि अगले दिन 21 फरवरी को राजा मान सिंह अपने समर्थकों के साथ जोंगा से कोतवाली थाना जा रहे थे. उस समय पुलिस ने इनके जोंगा को घेर लिया और गोलीबारी कर दी, जिसमें राजा मान सिंह, सुमेर सिंह और हरि सिंह मारे गए थे. उसके बाद मुख्यमंत्री माथुर को इस्तीफा देना पड़ा और सरकार ने मामले की सीबीआई जांच कराने की घोषणा कर दी. उस समय राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिसमें तत्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत एसआई रवि शेखर मिश्रा, सुखराम, जीवन राम, हरि सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, हरि किशन, गोविंद प्रसाद, नेकी राम, सीताराम और कुलदीप को आरोपी बनाया गया.

बहुचर्चित राजा मान सिंह हत्याकांडअब तक 1700 से ज्यादा तारीखें

जानकारी के अनुसार इस मामले में अब तक 17 सौ से ज्यादा तारीख पड़ चुकी थीं और 8 बार फाइनल बहस भी हो चुकी थी. मान सिंह की बेटी पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा के आग्रह पर यह मामला उत्तर प्रदेश के मथुरा न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया गया था. मामले की पैरवी पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा के पुत्र दुष्यंत सिंह कर रहे थे. उन्होंने बताया कि न्यायालय की ओर से फैसले की तारीख 21 जुलाई रखी गई है, जिसमें आज यानि 22 जुलाई को मथुरा के न्यायिक कोर्ट में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

डीग (भरतपुर). करीब 35 साल पहले डीग में हुए बहुचर्चित राजा मान सिंह हत्याकांड में दोषी करार दिए 11 पुलिसकर्मियों को उत्तर प्रदेश की मथुरा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. साथ ही सभी को दस-दस हजार का जुर्माना भी देना होगा. मथुरा डिस्ट्रिक्ट जज साधना रानी ने यह सजा सुनाई है. उन्होंने कहा कि दोषियों के यह जुर्माना राशि राजस्थान सरकार को देनी होगी. साथ ही कोर्ट ने तीनों मृतकों के परिजनों को 30-30 हजार रुपए और घायल चार लोगों को दो-दो हजार देने के निर्देश दिए हैं.

राजामान सिंह हत्याकांड में चश्मदीदों की जुबानी...

बता दें कि 35 साल से चल रहे इस मुकदमे को मथुरा डिस्ट्रिक्ट जज साधना रानी ठाकुर ने मंगलवार को फैसला सुनाते 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था. इस केस में तीन अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है. फैसले के बाद सभी 11 दोषियों को कड़ी सुरक्षा में अस्थाई जेल भेज दिया गया. मान सिंह हत्याकांड को लेकर Etv Bharat के साथ कुछ चश्मदीद लोगों ने अपनी आंखों देखी साझा की.

राजामान सिंह हत्याकांड में चश्मदीदों की जुबानी...

राजा मान सिंह हत्याकांड में चश्मदीदों की जुबानी..

भरतपुर में डीग निवासी बृजेश पाराशर ने बताया कि जिस समय राजा मान सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के बीच विवाद हुआ. उस समय वह स्नातक अंतिम वर्ष के विद्यार्थी थे. 20 फरवरी, 1985 की घटना के बारे में पाराशर ने बताया कि उस दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर कांग्रेसी प्रत्याशी विजेंद्र सिंह के समर्थन में डीग में एक जनसभा को संबोधित करने आए थे. उस समय मान सिंह का हनुमान जी की तस्वीर वाला पीले रंग का झंडा डीग के किले की लक्खा बुर्ज पर लहराता था. उस समय किसी कांग्रेसी समर्थक ने वो झंडा हटाकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया. इस बात की जानकारी मान सिंह को उनके समर्थक ने दी.

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मानसिंह हत्याकांड के चश्मदीद

यह भी पढ़ेंः मानसिंह हत्याकांड में सजा का ऐलान...DSP समेत 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास

पराशर ने बताया कि इससे राजा मान सिंह काफी नाराज हुए. लक्ष्मण मंदिर के पास मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का मंच लगाया गया था और मुख्यमंत्री कस्बे में जनसंपर्क कर रहे थे. इस दौरान राजा ने अपनी जीप (जोंगा) से टक्कर मारकर मंच तोड़ दिया. इससे वहां लोगों में हड़कंप मच गया. उसके बाद डीग के स्कूल में मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का हेलीकॉप्टर खड़ा था, उसे भी जोंगा से क्षतिग्रस्त कर दिया. इस घटना से मुख्यमंत्री माथुर काफी नाराज हुए और राजा मान सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करवाई.

फायरिंग में मान सिंह की हुई थी मौत, घेरकर की थी गोलीबारी

डीग निवासी सतीश तमोलिया ने बताया कि अगले दिन 21 फरवरी को राजा मान सिंह अपने समर्थकों के साथ जोंगा से कोतवाली थाना जा रहे थे. उस समय पुलिस ने इनके जोंगा को घेर लिया और गोलीबारी कर दी, जिसमें राजा मान सिंह, सुमेर सिंह और हरि सिंह मारे गए थे. उसके बाद मुख्यमंत्री माथुर को इस्तीफा देना पड़ा और सरकार ने मामले की सीबीआई जांच कराने की घोषणा कर दी. उस समय राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिसमें तत्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत एसआई रवि शेखर मिश्रा, सुखराम, जीवन राम, हरि सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, हरि किशन, गोविंद प्रसाद, नेकी राम, सीताराम और कुलदीप को आरोपी बनाया गया.

बहुचर्चित राजा मान सिंह हत्याकांडअब तक 1700 से ज्यादा तारीखें

जानकारी के अनुसार इस मामले में अब तक 17 सौ से ज्यादा तारीख पड़ चुकी थीं और 8 बार फाइनल बहस भी हो चुकी थी. मान सिंह की बेटी पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा के आग्रह पर यह मामला उत्तर प्रदेश के मथुरा न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया गया था. मामले की पैरवी पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा के पुत्र दुष्यंत सिंह कर रहे थे. उन्होंने बताया कि न्यायालय की ओर से फैसले की तारीख 21 जुलाई रखी गई है, जिसमें आज यानि 22 जुलाई को मथुरा के न्यायिक कोर्ट में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

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