भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान इस बार पक्षियों के कलरव से गुलजार है. इस बार उद्यान में पानी की अच्छी उपलब्धता के चलते हजारों किलोमीटर का सफर तय करके सैकड़ों की संख्या में हवासील (पेलिकन) भी पहुंचे हैं. पर्यटक और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हवासील की अठखेलियां देखकर (Tourists are Excited About Pelican Bird) अभिभूत हैं. जानकारों की मानें तो फरवरी अंतिम सप्ताह तक घना में प्रवास करने वाले पेलिकन का अभी भी उद्यान में आना जारी है.
गत वर्ष देखने को तरस गए थे : पर्यावरणविद देवेंद्र सिंह ने बताया कि गत वर्ष उद्यान में पेलिकन पक्षी न के बराबर आए थे. कम बारिश की वजह से पानी की उपलब्धता भी प्रचुर मात्रा में नहीं थी, जिसकी वजह से कुछ जोड़े पेलिकन ही उद्यान में नजर आए थे. इस वजह से अन्य राज्यों से आने वाले वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों को भी खासी मायूसी हुई थी.
500 से अधिक हवासील : देवेंद्र ने बताया कि इस बार उद्यान में पांचना बांध से प्रचुर मात्रा में पानी मिला है. साथ ही बारिश भी अच्छी हुई थी, जिसके चलते उद्यान में नेचुरल फूड के साथ पर्याप्त पानी उपलब्ध है. यही वजह है कि उद्यान के डी ब्लॉक में करीब 500 से अधिक संख्या में पेलिकनों ने डेरा डाल रखा है. उद्यान में बड़ी संख्या में पेलिकन की अठखेलियां (Pelican Became Center of Attraction in Ghana) देखी जा सकती हैं. पेलिकन दिसंबर अंतिम सप्ताह में यहां पहुंचते हैं और फरवरी अंतिम सप्ताह में पलायन कर जाते हैं. फिर भी इस बार अभी भी पेलिकन उद्यान में लगातार पहुंच रहे हैं.
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थैली में भर लेते हैं पानी और भोजन : पेलिकन पृथ्वी के सबसे बड़े समुद्री पक्षियों में से एक हैं. जब साइबेरिया और यूरोप में बर्फ पड़ना शुरू होती है तो यह पक्षी वहां से पलायन करके भरतपुर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Pelican in Keoladeo National Park) पहुंचते हैं. इस पक्षी की लंबी चोंच और गले पर लटकने वाली थैली इसकी विशेष पहचान होती है. पेलिकन पक्षी जलाशय में से पर्याप्त मात्रा में भोजन और पानी इस थैली में एक साथ जमा कर सकता है और बाद में धीरे-धीरे उसका सेवन करता रहता है.
आसमान में ऊंचाई तक भर सकता है उड़ान : 9 से 15 किलो वजन तक का पेलिकन पक्षी आसमान में काफी ऊंचाई तक उड़ानभर सकता है. गौरतलब है कि विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी पक्षियों के लिए दुनिया भर में पहचाना जाता है. बारिश और सर्दियों के मौसम में यहां पर करीब 400 प्रजाति के पक्षी प्रवास पर आते हैं. इतना ही नहीं, यहां जैव विविधता और औषधीय वनस्पतियों की उपलब्धता की वजह से भी उद्यान की अपनी अलग पहचान है.