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'जहरीला' हुआ सुजान गंगा नहर का पानी, हजारों मछलियों ने तोड़ा दम

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Published : Nov 3, 2020, 7:27 PM IST

भरतपुर किले के पास स्थित सुजान गंगा नहर में मछलियों के मरने का सिलसिला जारी है. ये मछलियां गंदे पानी और प्रदूषण के कारण दम तोड़ रहीं हैं. साथ ही आस पास के लोगों को भी नहर के पानी के कारण काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय लोग इस समस्या से कई बार प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.

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सुजान गंगा नहर में हजारों मछिलियों ने तोड़ा दम

भरतपुर. जिले की सुजान गंगा नहर का पानी कभी पीने के काम में लिया जाता था. जब भरतपुर के किले की नींव रखी गई तब सुजान गंगा नहर को बनाया गया था. इतना ही नहीं भरतपुर का लोहागढ़ किला को कोई नहीं जीत पाया. इसमें सुजान गंगा नहर ने भी दुश्मन को रोकने में अपनी अहम भूमिका निभाई, लेकिन आज इस नहर का हाल बेहाल हो चुका है. इस नहर में कूदकर कई लोगों ने आत्महत्या भी की है. लेकिन अब इसका पानी नहर में रहने वाले जीव जंतुओं के लिए जहर साबित हो रहा है.

सुजान गंगा नहर में हजारों मछिलियों ने तोड़ा दम

नहर का पानी दूषित होने के कारण बीते कुछ दिनों में यहां हजारों मछलियां मर गई हैं. इस समय नहर के ऊपर मरी हुईं मछलियां तैर रहीं हैं और इसका सबसे बड़ा कारण है नहर के पानी में फैला हुआ प्रदूषण. इसकी साफ-सफाई नहीं कराई गई तो मछलियां इसी तरह दम तोड़ती रहेंगी.

मछलियों के मरने से बदबू भी आ रही है. जिस कारण नहर के आस-पास रहने वाले लोगों का बाहर निकलना भी दूभर हो रहा है. नहर के चारों तरफ कई इलाके ऐसे हैं जहां प्राचीन मंदिर बने हुए हैं. मछलियों के शव पानी में तैर कर किनारे आ रहे हैं और आवारा जानवर उनके शवों को लेकर मंदिरों में, सड़कों पर आ जा रहे हैं. इससे और ज्यादा प्रदूषण फैलने की आशंका बन रही है.

सुजान गंगा नहर में प्रदूषण फैलने का मुख्य कारण है प्रशाशन की अनदेखी और जनता की लापरवाही. लोग बिना सोचे समझे नहर में कूड़ा और गंदे पानी की निकासी कर रहे हैं. जिसके कारण नहर का पानी 'जहर' होता जा रहा है और इसमें रहने वाले जीव जंतुओं पर खतरा मंडरा रहा है. हालांकि कई बार सरकारों की तरफ से सुजान गंगा के जीर्णोद्धार के लिए पैसा भी सेंशन हुआ, लेकिन ना तो पैसे का पता लगा और सुजान गंगा नहर के हालात जस के तस रहे.

पढ़ें- भरतपुर में मंत्री सुभाष गर्ग के खिलाफ जमकर हुई नारेबाजी...जानें पूरा मामला

वहीं, मत्स्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार पानी मे फैले प्रदूषण के कारण पानी की सतह पर तेल की एक परत बन गई है. जिसके कारण पानी के अंदर रहने वाले जीवों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही और पानी में रहने वाले जीव दम तोड़ रहे हैं. इन दिनों मौसम के बदलाव के कारण सूरज की तपन भी कम है. जिसके कारण सूरज की किरणें पानी के अंदर नहीं जा रही. वहीं हर दिन हजारों मछलियां दम तोड़ रही है, लेकिन प्रशाशन कोई ध्यान नहीं दे रहा है. लोगों का बदबू से बुरा हाल है, लेकिन प्रशाशन आंखे मूंद कर बैठा है.

भरतपुर. जिले की सुजान गंगा नहर का पानी कभी पीने के काम में लिया जाता था. जब भरतपुर के किले की नींव रखी गई तब सुजान गंगा नहर को बनाया गया था. इतना ही नहीं भरतपुर का लोहागढ़ किला को कोई नहीं जीत पाया. इसमें सुजान गंगा नहर ने भी दुश्मन को रोकने में अपनी अहम भूमिका निभाई, लेकिन आज इस नहर का हाल बेहाल हो चुका है. इस नहर में कूदकर कई लोगों ने आत्महत्या भी की है. लेकिन अब इसका पानी नहर में रहने वाले जीव जंतुओं के लिए जहर साबित हो रहा है.

सुजान गंगा नहर में हजारों मछिलियों ने तोड़ा दम

नहर का पानी दूषित होने के कारण बीते कुछ दिनों में यहां हजारों मछलियां मर गई हैं. इस समय नहर के ऊपर मरी हुईं मछलियां तैर रहीं हैं और इसका सबसे बड़ा कारण है नहर के पानी में फैला हुआ प्रदूषण. इसकी साफ-सफाई नहीं कराई गई तो मछलियां इसी तरह दम तोड़ती रहेंगी.

मछलियों के मरने से बदबू भी आ रही है. जिस कारण नहर के आस-पास रहने वाले लोगों का बाहर निकलना भी दूभर हो रहा है. नहर के चारों तरफ कई इलाके ऐसे हैं जहां प्राचीन मंदिर बने हुए हैं. मछलियों के शव पानी में तैर कर किनारे आ रहे हैं और आवारा जानवर उनके शवों को लेकर मंदिरों में, सड़कों पर आ जा रहे हैं. इससे और ज्यादा प्रदूषण फैलने की आशंका बन रही है.

सुजान गंगा नहर में प्रदूषण फैलने का मुख्य कारण है प्रशाशन की अनदेखी और जनता की लापरवाही. लोग बिना सोचे समझे नहर में कूड़ा और गंदे पानी की निकासी कर रहे हैं. जिसके कारण नहर का पानी 'जहर' होता जा रहा है और इसमें रहने वाले जीव जंतुओं पर खतरा मंडरा रहा है. हालांकि कई बार सरकारों की तरफ से सुजान गंगा के जीर्णोद्धार के लिए पैसा भी सेंशन हुआ, लेकिन ना तो पैसे का पता लगा और सुजान गंगा नहर के हालात जस के तस रहे.

पढ़ें- भरतपुर में मंत्री सुभाष गर्ग के खिलाफ जमकर हुई नारेबाजी...जानें पूरा मामला

वहीं, मत्स्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार पानी मे फैले प्रदूषण के कारण पानी की सतह पर तेल की एक परत बन गई है. जिसके कारण पानी के अंदर रहने वाले जीवों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही और पानी में रहने वाले जीव दम तोड़ रहे हैं. इन दिनों मौसम के बदलाव के कारण सूरज की तपन भी कम है. जिसके कारण सूरज की किरणें पानी के अंदर नहीं जा रही. वहीं हर दिन हजारों मछलियां दम तोड़ रही है, लेकिन प्रशाशन कोई ध्यान नहीं दे रहा है. लोगों का बदबू से बुरा हाल है, लेकिन प्रशाशन आंखे मूंद कर बैठा है.

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