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Special : मणिपुर, आसाम समेत देश के 17 राज्यों में लहलहा रही भरतपुर की उन्नत सरसों किस्म

भरतपुर में तैयार की जा रही उन्नत नस्ल की सरसों ना केवल जिले और आसपास के जिलों में बल्कि देश के मणिपुर और आसाम समेत करीब 17 राज्यों में लहलहा रही है. पूर्वोत्तर के राज्यों में बढ़ा रहे सरसों की पैदावार पर देखिए भरतपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Dec 22, 2019, 4:07 PM IST

Bharatpur Mustard, Mustard Research Directorate Bharatpur
सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर पर स्पेशल रिपोर्ट

भरतपुर. सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर में तैयार किए जा रहे सरसों और राई के उन्नत किस्म के बीज अब देशभर में अपनी धाक जमा रहे हैं, साथ ही निदेशालय के कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों की मेहनत के चलते अब देश के उत्तरी - पूर्वी राज्यों में सरसों का रकबा भी बढ़ने लगा है.

सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर पर स्पेशल रिपोर्ट

पूर्वोत्तर के इन राज्यों में बढ़ा रहे सरसों की पैदावार
सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि यूं तो देश भर के 17 राज्यों में सरसों उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन बीते 10 वर्षों से पूर्वोत्तर के आसाम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय आदि राज्यों में विशेष रुप से अभियानस्तर पर कार्य किया जा रहा है. पूर्वोत्तर समेत पश्चिम बंगाल और झारखंड आदि राज्यों में धान की कटाई के बाद 11 मिलीयन हेक्टेयर भूमि खाली रहती है. खाली जमीन में स्थानीय किसान तोरिया की फसल करते हैं, लेकिन निदेशालय का प्रयास है कि इस भूमि में ज्यादा मुनाफा देने वाली सरसों की पैदावार बढ़ाई जाए. इसी के तहत इन राज्यों में सरसों की फसल को बढ़ावा देने का प्रयास तेजी से किया जा रहा है.

पढ़ें- श्रीगंगानगर में वैज्ञानिकों ने अधिक उत्पादन देने वाला सरसों का बीज किया तैयार

पूर्वोत्तर के लिए तैयार की सरसों की नई किस्म
निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि अमन भारतीय सरसों/राई की फसल 135 से 145 दिन में पककर तैयार होती है, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों की जरूरत कम अवधि में पकने वाली सरसों की थी. ऐसे में निदेशालय ने सरसों की कुछ ऐसी किस्में तैयार की है जो कि कम अवधि में पककर तैयार हो जाती हैं. यह किस में अब पूर्वोत्तर के राज्यों में किसानों द्वारा काफी पसंद की जा रही हैं. वहीं निदेशालय द्वारा इसमें अभी भी ऐसी और नई किस्म तैयार करने के प्रयास जारी हैं कि जिनके पकने की अवधि को और कम किया जा सके.

'सीड हब' से उपलब्ध करा रहे उन्नत किस्म का बीज
सरसों अनुसंधान निदेशालय की ओर से आसाम समेत अन्य राज्यों में उन्नत किस्म का सरसों का बीज उपलब्ध कराने के लिए 8 'सीड हब' स्थापित कराए हैं. इसके तहत असम के कामरूप जिले में, सरगाछी (प.ब.), बनारस व झांसी (उ.प), कोटा व गंगानगर (राज.), बावल (हरियाणा) आदि जिलों में सीड हैब स्थापित किये है. असम के कामरूप जिले में स्थित सीड हब में तो गत वर्ष 400 क्विंटल उन्नत सरसों का बीज उत्पादन भी किया गया और उसे सस्ते दामों में किसानों को उपलब्ध कराया गया.

रोजगार के साधन हो रहे तैयार
निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि पूर्वोत्तर के राज्यों में सरसों की फसल को बढ़ावा देने के साथ ही वहां के किसानों के लिए रोजगार के साधन भी तैयार करने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए मणिपुर और आसाम में मिनी ऑयल स्पेलर भी स्थापित कराए गए हैं. इससे किसान वहां पर सरसों उत्पादन के बाद उसका तेल निकाल कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.

आसाम में बढ़ रहा रकबा: वर्ष 2013-14 में 279.19 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 290.29 लाख हेक्टेयर.
पश्चिम बंगाल में बढ़ रहा रकबा: वर्ष 2013-14 में 448.59 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 615 लाख हेक्सटेयर.

पढ़ें- 'खेतों ने ओढ़ी पीली चादर'...भीलवाड़ा जिले के किसानों के चेहरे खिले

गौरतलब है कि देश का सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर में स्थित है, जो कि सरसों की उन्नत किस्म के बीजों को विकसित करने के लिए समर्पित है. यहां उन्नत किस्म के सरसों के बीज तैयार करने के साथ ही किसानों को खेती और फसलों से संबंधित कई प्रकार के प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं.

भरतपुर. सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर में तैयार किए जा रहे सरसों और राई के उन्नत किस्म के बीज अब देशभर में अपनी धाक जमा रहे हैं, साथ ही निदेशालय के कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों की मेहनत के चलते अब देश के उत्तरी - पूर्वी राज्यों में सरसों का रकबा भी बढ़ने लगा है.

सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर पर स्पेशल रिपोर्ट

पूर्वोत्तर के इन राज्यों में बढ़ा रहे सरसों की पैदावार
सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि यूं तो देश भर के 17 राज्यों में सरसों उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन बीते 10 वर्षों से पूर्वोत्तर के आसाम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय आदि राज्यों में विशेष रुप से अभियानस्तर पर कार्य किया जा रहा है. पूर्वोत्तर समेत पश्चिम बंगाल और झारखंड आदि राज्यों में धान की कटाई के बाद 11 मिलीयन हेक्टेयर भूमि खाली रहती है. खाली जमीन में स्थानीय किसान तोरिया की फसल करते हैं, लेकिन निदेशालय का प्रयास है कि इस भूमि में ज्यादा मुनाफा देने वाली सरसों की पैदावार बढ़ाई जाए. इसी के तहत इन राज्यों में सरसों की फसल को बढ़ावा देने का प्रयास तेजी से किया जा रहा है.

पढ़ें- श्रीगंगानगर में वैज्ञानिकों ने अधिक उत्पादन देने वाला सरसों का बीज किया तैयार

पूर्वोत्तर के लिए तैयार की सरसों की नई किस्म
निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि अमन भारतीय सरसों/राई की फसल 135 से 145 दिन में पककर तैयार होती है, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों की जरूरत कम अवधि में पकने वाली सरसों की थी. ऐसे में निदेशालय ने सरसों की कुछ ऐसी किस्में तैयार की है जो कि कम अवधि में पककर तैयार हो जाती हैं. यह किस में अब पूर्वोत्तर के राज्यों में किसानों द्वारा काफी पसंद की जा रही हैं. वहीं निदेशालय द्वारा इसमें अभी भी ऐसी और नई किस्म तैयार करने के प्रयास जारी हैं कि जिनके पकने की अवधि को और कम किया जा सके.

'सीड हब' से उपलब्ध करा रहे उन्नत किस्म का बीज
सरसों अनुसंधान निदेशालय की ओर से आसाम समेत अन्य राज्यों में उन्नत किस्म का सरसों का बीज उपलब्ध कराने के लिए 8 'सीड हब' स्थापित कराए हैं. इसके तहत असम के कामरूप जिले में, सरगाछी (प.ब.), बनारस व झांसी (उ.प), कोटा व गंगानगर (राज.), बावल (हरियाणा) आदि जिलों में सीड हैब स्थापित किये है. असम के कामरूप जिले में स्थित सीड हब में तो गत वर्ष 400 क्विंटल उन्नत सरसों का बीज उत्पादन भी किया गया और उसे सस्ते दामों में किसानों को उपलब्ध कराया गया.

रोजगार के साधन हो रहे तैयार
निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि पूर्वोत्तर के राज्यों में सरसों की फसल को बढ़ावा देने के साथ ही वहां के किसानों के लिए रोजगार के साधन भी तैयार करने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए मणिपुर और आसाम में मिनी ऑयल स्पेलर भी स्थापित कराए गए हैं. इससे किसान वहां पर सरसों उत्पादन के बाद उसका तेल निकाल कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.

आसाम में बढ़ रहा रकबा: वर्ष 2013-14 में 279.19 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 290.29 लाख हेक्टेयर.
पश्चिम बंगाल में बढ़ रहा रकबा: वर्ष 2013-14 में 448.59 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 615 लाख हेक्सटेयर.

पढ़ें- 'खेतों ने ओढ़ी पीली चादर'...भीलवाड़ा जिले के किसानों के चेहरे खिले

गौरतलब है कि देश का सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर में स्थित है, जो कि सरसों की उन्नत किस्म के बीजों को विकसित करने के लिए समर्पित है. यहां उन्नत किस्म के सरसों के बीज तैयार करने के साथ ही किसानों को खेती और फसलों से संबंधित कई प्रकार के प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं.

Intro:भरतपुर.
जिले में तैयार की जा रही उन्नत नस्ल की सरसों ना केवल भरतपुर और आसपास के जिलों में बल्कि देश के मणिपुर और असम समेत करीब 17 जिलों में लहलहा रही है। जी हां, सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर में तैयार किए जा रहे सरसों और राई के उन्नत किस्म के बीज अब देशभर में अपनी धाक जमा रहे हैं। साथ ही निदेशालय के कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों की मेहनत के चलते अब देश के उत्तरी - पूर्वी राज्यों में सरसों का रकबा भी बढ़ने लगा है।


Body:पूर्वोत्तर के इन राज्यों में बढ़ा रहे सरसों की पैदावार
सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ पीके राय ने बताया कि यूं तो देश भर के 17 राज्यों में सरसों उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन बीते 10 वर्षों से पूर्वोत्तर के असम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय आदि राज्यों में विशेष रुप से अभियानस्तर पर कार्य किया जा रहा है। पूर्वोत्तर समेत पश्चिम बंगाल और झारखंड आदि राज्यों में धान की कटाई के बाद 11 मिलीयन हेक्टेयर भूमि खाली रहती है। खाली जमीन में स्थानीय किसान तोरिया की फसल करते हैं लेकिन निदेशालय का प्रयास है कि इस भूमि में ज्यादा मुनाफा देने वाली सरसों की पैदावार बढ़ाई जाए। इसी के तहत इन राज्यों में सरसों की फसल को बढ़ावा देने का प्रयास तेजी से किया जा रहा है।

पूर्वोत्तर के लिए तैयार की सरसों की नई किस्म
निदेशक डॉ पीके राय ने बताया कि अमन भारतीय सरसों/राई की फसल 135 से 145 दिन में पककर तैयार होती है। लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों की जरूरत कम अवधि में पकने वाली सरसों की थी। ऐसे में निदेशालय ने सरसों की कुछ ऐसी किस्में तैयार की है जो कि कम अवधि में पककर तैयार हो जाती हैं। यह किस में अब पूर्वोत्तर के राज्यों में किसानों द्वारा काफी पसंद की जा रही हैं। वहीं निदेशालय द्वारा इसमें अभी भी ऐसी और नई किस्म तैयार करने के प्रयास जारी हैं कि जिनके पकने की अवधि को और कम किया जा सके।

'सीड हब' से उपलब्ध करा रहे उन्नत किस्म का बीज
सरसों अनुसंधान निदेशालय की ओर से असम समेत अन्य राज्यों में उन्नत किस्म का सरसों का बीज उपलब्ध कराने के लिए 8 'सीड हब' स्थापित कराए हैं। इसके तहत असम के कामरूप जिले में, सरगाछी (प.ब.), बनारस व झांसी (उ.प), कोटा व गंगानगर (राज.), बावल (हरियाणा) आदि जिलों में सीड हैब स्थापित किये है। असम के कामरूप जिले में स्थित सीड हब में तो गत वर्ष 400 क्विंटल उन्नत सरसों का बीज उत्पादन भी किया गया और उसे सस्ते दामों में किसानों को उपलब्ध कराया गया।

तैयार कर रहे रोजगार के साधन
निदेशक डॉ पीके राय ने बताया कि पूर्वोत्तर के राज्यों में सरसों की फसल को बढ़ावा देने के साथ ही वहां के किसानों के लिए रोजगार के साधन भी तैयार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए मणिपुर और असम में मिनी ऑयल स्पेलर भी स्थापित कराए गए हैं। इससे किसान वहां पर सरसों उत्पादन के बाद उसका तेल निकाल कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं।

यूं बढ़ रकबा
असम- वर्ष 2013-14 में 279.19 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 290.29 लाख हेक्टेयर

पश्चिम बंगाल- वर्ष 2013-14 में 448.59 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 615 लाख हेक्सटेयर


Conclusion:गौरतलब है कि देश का सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर में स्थित है, जो कि सरसों की उन्नत किस्म के बीजों को विकसित करने के लिए समर्पित है। यहां उन्नत किस्म के सरसों के बीज तैयार करने के साथ ही किसानों को खेती और फसलों से संबंधित कई प्रकार के प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं।

बाईट - डॉ पी के राय, निदेशक, सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर।

सादर
श्यामवीर सिंह
भरतपुर
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