भरतपुर. जिला प्रशासन और आरबीएम अस्पताल प्रबंधन की ओर से पीएम रिलीफ फंड के 10 वेंटिलेटर जिंदल अस्पताल को देने और उनके दुरुपयोग का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है. भरतपुर के अधिवक्ता विजय कुमार गोयल ने इस पूरे मामले को लेकर जयपुर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका(पीआईएल) फाइल की है. पीआईएल में अधिवक्ता गोयल ने भारत सरकार, राजस्थान सरकार, जिला कलेक्टर, आरबीएम अस्पताल पीएमओ और जिंदल अस्पताल को पार्टी बनाया है.
अधिवक्ता विजय गोयल ने बताया कि सोमवार को जयपुर उच्च न्यायालय में वेंटिलेटर दुरुपयोग के मामले में पीआईएल दाखिल की गई है. अधिवक्ता विजय गोयल ने बताया कि जिला कलेक्टर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नियम विरुद्ध पीएम रिलीफ फंड के पांच वेंटिलेटर 5 अप्रैल को और पांच अन्य वेंटिलेटर बाद में जिंदल अस्पताल को उपलब्ध करा दिए. जिनसे अस्पताल संचालक ने मनमर्जी से मरीजों से पैसे वसूले. जिला कलेक्टर की ओर से वेंटिलेटर देते समय कोई शुल्क या राशि भी निर्धारित नहीं की गई.
अधिवक्ता विजय गोयल ने बताया कि जानकारी यह भी मिली थी कि प्रशासनिक अधिकारियों के कुछ रिश्तेदारों का वहां पर उपचार कराया गया. पीआईएल में इन्हीं सभी बिंदुओं को शामिल किया गया है.
अधिवक्ता विजय गोयल ने बताया कि जल्द ही इस मामले में उच्च न्यायालय की तरफ से संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए जाएंगे और सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय इसमें जो भी आदेश सुनाएगा, उसकी पालना कराई जाएगी. उच्च न्यायालय में फाइल की गई जनहित याचिका की पैरवी अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल और हिना गर्ग करेंगे.
गौरतलब है कि जिला प्रशासन एवं आरबीएम जिला अस्पताल प्रबंधन की ओर से पीएम रिलीफ फंड से मिले 40 वेंटिलेटर में से 10 वेंटिलेटर जिंदल अस्पताल को उपलब्ध करा दिए थे. जिंदल अस्पताल संचालक की ओर से इन वेंटीलेटर से मरीजों के उपचार के नाम पर 30 से 38 हजार रुपये तक वसूले गए. इस पूरे मामले को लेकर भरतपुर सांसद रंजीता कोली समेत भाजपा के कई नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जांच की मांग कर चुके हैं.