भरतपुर. विगत दिनों भरतपुर के रायपुर गांव में प्रशासन और ग्रामीणों की झड़प में नया मोड़ सामने आया है. रविवार को सर्किट हाउस में राज्यमंत्री भजनलाल जाटव, जिला कलेक्टर लक्ष्मी नारायण सोनी सहित कई अधिकारी और रायपुर घटना में पीड़ित ग्रामीण मौजूद रहे.
ग्रामीणों का कहना है कि महापंचायत को कुछ असामाजिक तत्वों ने शुरू किया था. घटना के बाद उनकी बात राज्यमंत्री भजनलाल और प्रशासन के साथ हो गई थी. इसमें उन्होंने पीड़ित ग्रामीणों की मांग को लेकर आश्वाशन दे दिया था. उसके बाद महापंचायत बुलाई गई. जबकि पीड़ित पक्ष महापंचायत बुलाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं था.
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दरअसल, विगत दिनों भरतपुर की वैर तहसील के रायपुर गांव में वन विभाग की जमीन को लेकर प्रशासन और ग्रामीणों में हुई झड़प के बाद 10 जनवरी को सर्वसमाज की महापंचायत का आयोजन किया गया. इसमें सांसद रंजीता कोली और बीजेपी नेता समेत कई गुजर नेताओं ने भाग लिया था. महापंचायत में सर्वसमाज की तरफ से सरकार के सामने तीन मांगें रखी गई थी. साथ ही सरकार को चेतावनी दी गई कि अगर उनकी तीन मांगें नहीं मानी गई तो वह आने वाली 20 जनवरी को मोरोली हाईवे जाम करेंगे. इस महापंचायत के बाद रविवार देर शाम जिला कलेक्टर सहित कई अधिकारी और राज्यमंत्री भजनलाल की सर्किट हाउस में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें घटना के पीड़ित पक्ष भी मौजूद रहे.
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इस दौरान ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन और ग्रामीण के बीच हुए विवाद के बाद सभी पीड़ित पक्ष मंत्री भजनलाल से मिले थे. उसके बाद मंत्री के सामने तीन मांगें रखी गई. तीनों मांगों पर मंत्री ने रजामंदी जाहिर की, जिसके बाद मंत्री भजनलाल जनता के बीच पहुंचे और उनको इंसाफ दिलाने का आश्वाशन दिए. उसके बाद महापंचायत को स्थगित करने के लिए पीड़ित पक्ष रजामंद हो गया था. लेकिन उसके बावजूद भी कुछ असामाजिक तत्वों ने महापंचायत का आयोजन किया, जो सरासर गलत था. इस महापंचायत के आयोजन में पीड़ित पक्ष राजी नहीं है. कुछ लोग पीड़ित पक्ष के ऊपर दबाब बना रहे हैं कि वह उनका साथ दें.
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वहीं पूरे मामले पर राज्यमंत्री भजनलाल का कहना है कि बीजेपी धर्म और जाति के नाम पर लोगों को लड़वाना चाहती है. जबकि पीड़ित पक्ष पूरे दिन भरतपुर में था और कुछ लोगों ने रायपुर गांव में महापंचायत का आयोजन किया. साथ ही 20 जनवरी को हाईवे जाम करने की चेतावनी दी. जबकि पीड़ित पक्ष उनके साथ नहीं है. पीड़ित पक्ष का कहना है प्रशासन ने जमीन से अतिक्रमण हटवाने से पहले ग्रामीणों को नोटिस दिया था. बीजेपी इस मामले पर राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहती है, यह एक गांव का मामला है. यह विवाद गांव में बैठकर आपसी बातचीत से सुलझ सकता है. बीजेपी गरीबों को भटका रही है.