भरतपुर. जिले के औरैया शनिवार को एक हादसे में 25 मजदूरों की मौत हो गई. इस दुघर्टना के बाद भी भरतपुर जिला प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया, तो वहीं प्राइवेट वाहनों से प्रवासी मजदूरों के जाने का सिलसिला नहीं थम रहा है.
जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना हैं कि प्राइवेट वाहनों से आने वाले मजदूरों को शेल्टर होम्स में ठहराकर रोडवेज की बसों के जरिए हाथरस ने बने ट्रांजिट केम्प में छुड़वाया जा रहा है, लेकिन बीती रात प्रशासन की पोल खुल गई और सैकड़ों की संख्या में मजदूर प्राइवेट वाहनों से अपने घर जाते दिखे.
वहीं मजदूरों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बताया कि उन्हें प्रशासन के अधिकारियों ने खुद ट्रक और ट्रॉले पर बैठा रहे हैं. इस दौरान कुछ ऐसे परिवार मिले जो गुजरात के अहमदाबाद से स्कूटी पर सवार होकर अपने घर की तरफ निकल पड़े. जो स्कूटी से ही हजारों किलोमीटर का सफर तय करेंगे, हालांकि समाजसेवियों द्बारा जगह-जगह खाना दिया जा रहा है.
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ट्रॉले पर बैठे लोगों ने बताया कि जब वे भरतपुर के कमालपुर बॉर्डर पर पहुंचे, तो वहां आरटीओ विभाग और प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे. जिन्होंने सभी मजदूरों को प्राइवेट वाहनों के ऊपर चढ़ा दिया. इस स्थिति में सवाल यही उठता है कि शनिवार को औरैया में हुए हादसे के बाद भी जिला प्रशासन ने अभी तक सिख नहीं ली है. अगर ऐसी कोई दूसरी दुघर्टना हो जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा.