भरतपुर. संभाग की सबसे बड़ी नई मंडी में सरसों की नई फसल पहुंचने (Mustard Seeds Reaching Bharatpur Mandi) लगी है. हर दिन मंडी में किसान करीब 3 हजार क्विंटल सरसों लेकर पहुंच रहे हैं.
बार-बार मौसम विभाग की चेतावनी (Weather Department Alert) को देखकर किसान जल्दी से खेतों से फसल उठाकर सीधे मंडी पहुंच रहे हैं, जिसकी वजह से सरसों में अभी भी नमी की मात्रा है. यही वजह है कि नई सरसों की फसल को मंडी में अभी किसानों के मनमाफिक दाम नहीं मिल पा रहे हैं. हालांकि मंडी व्यापारियों का मानना है कि इस वर्ष सरसों के भाव अच्छे जाने की संभावना है.
सरसों मंडी व्यापारी भूपेंद्र गोयल ने बताया विगत 2 वर्षों में किसान को सरसों के अच्छे भाव मिले, जिसकी वजह से लगातार किसान सरसों उत्पादन पर जोर दे रहा है. इस बार मंडी में गत वर्षों की तुलना में अधिक सरसों पहुंचने की उम्मीद है. सरसों की नई फसल की कटाई शुरू हो गई है और मंडी में नई सरसों की फसल पहुंचने लगी है. नई मंडी में हर दिन करीब 3000 क्विंटल के आसपास सरसों पहुंच रही है.
मंडी व्यापारी भूपेंद्र गोयल ने बताया इस बार बार बार मौसम बदल रहा है, जिसकी वजह से किसान फसल को लेकर आशंकित है. इस कारण किसानों ने सरसों की फसल समय से कुछ दिन पहले ही खेतों से निकलना शुरू कर दिया है. समय से पहले फसल की कटाई की वजह से अभी भी सरसों में नमी की मात्रा काफी है. यही वजह है कि अभी मंडी में सरसों की नई फसल को 6000 से 6500 रुपए तक प्रति क्विंटल के भाव मिल रहे हैं. कुछ किसान अभी भी अपनी पुरानी सरसों की फसल लेकर मंडी पहुंच रहे हैं, जो 7200 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रही है. यानी नई सरसों को पुरानी सरसों की तुलना में करीब 10 फीसदी तक कम भाव मिल रहे हैं.
37 हजार हैक्टेयर अधिक भूमि में सरसों उत्पादन: कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2020-21 में जिले में 2,15,000 हैक्टेयर भूमि में सरसों की फसल की बुवाई की (Sowing of mustard crop In Bharatpur) गई. लेकिन सरसों के भाव अच्छे मिलने की वजह से किसानों ने गेंहू व अन्य फसलों के बजाय सरसों में ज्यादा रुचि दिखाई. यही वजह रही कि वर्ष 2021-22 में जिले में सरसों का रकबा करीब 2 लाख 52 हजार हैक्टेयर तक बढ़ गया. ऐसे में इस बार मंडी में बम्पर सरसों पहुंचने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि भरतपुर जिला सरसों उत्पादन में न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में नंबर वन पर है. इतना ही नहीं सरसों की फसल अधिक होने की वजह से यहां पर देश का सर्वाधिक सरसों तेल उत्पादन होता है. बीते 2 वर्षों में कोरोना काल के दौरान किसानों को सरसों की फसल के अच्छे दाम मिले, जिसकी वजह से जिले में लगातार 2 वर्षों से सरसों की फसल का रकबा भी बढ़ रहा है.