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विकास की भेंट चढ़ गए लाखों पेड़, राजस्थान में 8 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई

देश भर में हर साल लाखों पेड़ विकास की भेंट चढ़ जाते हैं. पूरे देश से इस साल 30 लाख से अधिक पेड़ों की कटाई की गई है. वहीं, राजस्थान में इस साल 8 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई की गई (Tree Felling in Rajasthan) है.

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Published : Sep 24, 2022, 5:38 PM IST

Tree Felling in Rajasthan
पेड़ों की कटाई

भरतपुर. पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग चर्चा का विषय बना हुआ है. राज्य और केंद्र सरकारों की ओर से पर्यावरण सुरक्षा, पौधारोपण और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता के लिए तमाम अभियान चलाए जाते हैं. इतना ही नहीं केंद्र और राज्य की सरकारें हर वर्ष पौधारोपण के लिए करोड़ों रुपए खर्च भी करती हैं. लेकिन दूसरा पक्ष यह है कि आज भी विकास के नाम पर हर वर्ष लाखों पेड़ों की कटाई की जा रही (Tree Felling in Rajasthan) है.

पिछले 1 साल की बात करें तो राजस्थान में विकास के नाम पर जहां 8619 पेड़ों को काटा गया, वहीं पूरे देश भर में 30 लाख से अधिक पेड़ों पर कुल्हाड़ी चली. हालांकि सरकारों का तर्क है कि वो नियमानुसार विकास कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति देती हैं. तो उससे कई गुना ज्यादा पौधारोपण भी करवाया जाता है. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वर्षों पुराने विशाल पेड़ों को तो 1 दिन में काट दिया जाता है, लेकिन जो पौधे लगाए जाते हैं उनमें से नाम मात्र के पौधे ही जीवित रह पाते हैं.

पढ़ें: Pitru Paksha 2022 : पूर्वजों की स्मृति को संजोने के लिए शुरू की ये मुहिम...पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जरूरी

एक साल में 30 लाख 97 पेड़ काटे: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से वर्ष 2020 -21 में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए पूरे देश भर में वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के तहत 30 लाख 97 हजार 721 पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की. इसके तहत इस अवधि में देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में 16 लाख 40 हजार 532 पेड़ काटे गए. इसी तरह उत्तर प्रदेश में 3,11,998, उड़ीसा में 2,23,375, तेलंगाना में 1,53,720, महाराष्ट्र 1,45,294 और झारखंड 1,04750 पेड़ काटे गए. इसी तरह राजस्थान में भी 8619 पेड़ काटे गए.

पौधारोपण पर 358.87 करोड़ खर्च: एक तरफ जहां वन मंत्रालय ने वर्ष 2020- 21 में पूरे देश भर में विकास परियोजना के नाम पर 30,97,721 पेड़ कटने की अनुमति दी. वहीं इस अवधि में देशभर में 3 करोड़, 64 लाख,87,665 पौधे लगवाए गए. जिन पर कुल 358.87 करोड़ रुपए खर्च हुए. लेकिन खुद वन मंत्रालय और राज्य सरकारों की रिपोर्ट में यह साबित हो चुका है कि जितने पौधे लगाए जाते हैं. उनमें से अधिकतर पौधे जीवित नहीं रह पाते.

पढ़ें: Special: पर्यावरण संरक्षण की अनोखी मुहिम, अंबालाल ने कुछ ऐसे बदल दी इस पहाड़ी की तस्वीर

यहां पेड़ काटे, लेकिन लगाए नहीं: देश में 3 राज्य तो ऐसे हैं. जहां पर विकास परियोजनाओं के नाम पर हजारों की संख्या में पेड़ तो काटे गए हैं. लेकिन उनकी एवज में पौधरोपण नहीं किया गया. इनमें अंडमान निकोबार में 5311 पेड़ काटे गए, लेकिन पौधा एक भी नहीं लगाया गया. इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में 6255 और तमिलनाडु में 7691 पेड़ काटे गए. लेकिन इन राज्यों में भी काटे गए पेड़ों की एवज में कोई पौधारोपण नहीं किया गया.

5 साल में 1 करोड़ से अधिक पेड़ कटे: मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में एक और चौंकाने वाला जवाब पेश किया था. जिसमें बताया गया कि वर्ष 2016-17 से वर्ष 2020 -21 के दौरान 5 साल में पूरे देश भर में 1 करोड़ 20 लाख 33 हजार 775 पेड़ों को कटने की अनुमति दी गई. जबकि वनीकरण के तहत 20 करोड़ 81 लाख 4 हजार 94 पौधे लगाए गए.

भरतपुर. पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग चर्चा का विषय बना हुआ है. राज्य और केंद्र सरकारों की ओर से पर्यावरण सुरक्षा, पौधारोपण और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता के लिए तमाम अभियान चलाए जाते हैं. इतना ही नहीं केंद्र और राज्य की सरकारें हर वर्ष पौधारोपण के लिए करोड़ों रुपए खर्च भी करती हैं. लेकिन दूसरा पक्ष यह है कि आज भी विकास के नाम पर हर वर्ष लाखों पेड़ों की कटाई की जा रही (Tree Felling in Rajasthan) है.

पिछले 1 साल की बात करें तो राजस्थान में विकास के नाम पर जहां 8619 पेड़ों को काटा गया, वहीं पूरे देश भर में 30 लाख से अधिक पेड़ों पर कुल्हाड़ी चली. हालांकि सरकारों का तर्क है कि वो नियमानुसार विकास कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति देती हैं. तो उससे कई गुना ज्यादा पौधारोपण भी करवाया जाता है. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वर्षों पुराने विशाल पेड़ों को तो 1 दिन में काट दिया जाता है, लेकिन जो पौधे लगाए जाते हैं उनमें से नाम मात्र के पौधे ही जीवित रह पाते हैं.

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एक साल में 30 लाख 97 पेड़ काटे: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से वर्ष 2020 -21 में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए पूरे देश भर में वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के तहत 30 लाख 97 हजार 721 पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की. इसके तहत इस अवधि में देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में 16 लाख 40 हजार 532 पेड़ काटे गए. इसी तरह उत्तर प्रदेश में 3,11,998, उड़ीसा में 2,23,375, तेलंगाना में 1,53,720, महाराष्ट्र 1,45,294 और झारखंड 1,04750 पेड़ काटे गए. इसी तरह राजस्थान में भी 8619 पेड़ काटे गए.

पौधारोपण पर 358.87 करोड़ खर्च: एक तरफ जहां वन मंत्रालय ने वर्ष 2020- 21 में पूरे देश भर में विकास परियोजना के नाम पर 30,97,721 पेड़ कटने की अनुमति दी. वहीं इस अवधि में देशभर में 3 करोड़, 64 लाख,87,665 पौधे लगवाए गए. जिन पर कुल 358.87 करोड़ रुपए खर्च हुए. लेकिन खुद वन मंत्रालय और राज्य सरकारों की रिपोर्ट में यह साबित हो चुका है कि जितने पौधे लगाए जाते हैं. उनमें से अधिकतर पौधे जीवित नहीं रह पाते.

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यहां पेड़ काटे, लेकिन लगाए नहीं: देश में 3 राज्य तो ऐसे हैं. जहां पर विकास परियोजनाओं के नाम पर हजारों की संख्या में पेड़ तो काटे गए हैं. लेकिन उनकी एवज में पौधरोपण नहीं किया गया. इनमें अंडमान निकोबार में 5311 पेड़ काटे गए, लेकिन पौधा एक भी नहीं लगाया गया. इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में 6255 और तमिलनाडु में 7691 पेड़ काटे गए. लेकिन इन राज्यों में भी काटे गए पेड़ों की एवज में कोई पौधारोपण नहीं किया गया.

5 साल में 1 करोड़ से अधिक पेड़ कटे: मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में एक और चौंकाने वाला जवाब पेश किया था. जिसमें बताया गया कि वर्ष 2016-17 से वर्ष 2020 -21 के दौरान 5 साल में पूरे देश भर में 1 करोड़ 20 लाख 33 हजार 775 पेड़ों को कटने की अनुमति दी गई. जबकि वनीकरण के तहत 20 करोड़ 81 लाख 4 हजार 94 पौधे लगाए गए.

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