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समय पर नहीं पहुंचाई डाक, नौकरी से धोना पड़ा हाथ...डाक विभाग पर 2 लाख का जुर्माना

भरतपुर के एक बेरोजगार को सरकारी नौकरी के लिए कॉल लेटर भेजा गया. लेकिन डाक विभाग ने इसे अभ्‍यर्थी तक पहुंचाने में इतनी देर कर दी कि उसे नौकरी से हाथ धोना (India post office delayed call letter) पड़ा. इस मामले में शुक्रवार को स्‍थाई लोक अदालत ने डाक विभाग की लापरवाही मानते हुए प्रार्थी को क्षतिपूर्ति के रूप में 2 लाख रुपए देने का आदेश दिया है.

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Published : Sep 30, 2022, 9:49 PM IST

Updated : Oct 1, 2022, 11:28 AM IST

Lok Adalat decision in delay in call letter case, Rs 5 lakh fine on India post office
समय पर नहीं पहुंचाई डाक, नौकरी से धोना पड़ा हाथ...डाक विभाग पर 5 लाख का जुर्माना

भरतपुर. जिले के रूपबास कस्बा निवासी एक प्रार्थी को डाक विभाग की लापरवाही के चलते कॉल लेटर समय पर नहींं मिला, जिसकी वजह से बेरोजगार अभ्यर्थी को नौकरी नहीं मिल पाई. इस मामले में शुक्रवार को लोक अदालत ने डाक विभाग को लापरवाही बरतने के चलते अभ्यर्थी को क्षतिपूर्ति के रूप में 2 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने के आदेश (Order of compensation in call letter delay case) दिए.

जिले के रूपबास कस्बा के कटारा मोहल्ला निवासी ऋषभ कटारा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लॉ क्लर्क ट्रेनी 2020-21 पद के लिए आवेदन किया था. उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने प्रार्थी को साक्षात्कार के लिए भारतीय डाक विभाग की रजिस्टर्ड पोस्ट से 21 नवंबर, 2020 को कॉल लेटर भेजा. प्रार्थी का 28 नवंबर, 2020 को साक्षात्कार होना था. कॉल लेटर 23 नवंबर को डाक विभाग ने जयपुर में प्राप्त किया. उसके बाद 24 नवंबर को भरतपुर और इसी दिन रूपवास पोस्ट ऑफिस को डाक भेज दी गई. लेकिन प्रार्थी ऋषभ को यह डाक 2 दिसंबर, 2020 को प्राप्त हुई. लेकिन तब तक प्रार्थी की साक्षात्कार की तिथि और नौकरी हाथ से निकल गई.

पढ़ें: रिजर्वेशन टिकट में यात्री को मेल की जगह फीमेल लिखा, फिर बेटिकट मानकर जुर्माना वसूला: उपभोक्ता आयोग ने रेलवे पर लगाया 50 हजार हर्जाना

स्थाई लोक अदालत भरतपुर के अध्यक्ष गंभीर सिंह, सदस्य सरोज लोहिया एवं डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की. जिसमें डाक विभाग के जिम्मेदारों का तर्क था कि रूपवास डाकघर का 25 नवंबर, 2020 को विभागीय सिस्टम (सर्वर) नहीं चल था. इसलिए डीपीएमएस में बैग नहीं खोले गए. पोस्टमैन को डाक नियमानुसार वितरण के लिए सिस्टम से देनी होती है. विभाग के तर्क और प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत के पीठासीन अधिकारियों ने डाक विभाग की लापरवाही से प्रार्थी को हुई मानसिक और आर्थिक हानि को देखते हुए 2 लाख रुपए क्षतिपूर्ति दिलाने के आदेश दिए.

भरतपुर. जिले के रूपबास कस्बा निवासी एक प्रार्थी को डाक विभाग की लापरवाही के चलते कॉल लेटर समय पर नहींं मिला, जिसकी वजह से बेरोजगार अभ्यर्थी को नौकरी नहीं मिल पाई. इस मामले में शुक्रवार को लोक अदालत ने डाक विभाग को लापरवाही बरतने के चलते अभ्यर्थी को क्षतिपूर्ति के रूप में 2 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने के आदेश (Order of compensation in call letter delay case) दिए.

जिले के रूपबास कस्बा के कटारा मोहल्ला निवासी ऋषभ कटारा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लॉ क्लर्क ट्रेनी 2020-21 पद के लिए आवेदन किया था. उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने प्रार्थी को साक्षात्कार के लिए भारतीय डाक विभाग की रजिस्टर्ड पोस्ट से 21 नवंबर, 2020 को कॉल लेटर भेजा. प्रार्थी का 28 नवंबर, 2020 को साक्षात्कार होना था. कॉल लेटर 23 नवंबर को डाक विभाग ने जयपुर में प्राप्त किया. उसके बाद 24 नवंबर को भरतपुर और इसी दिन रूपवास पोस्ट ऑफिस को डाक भेज दी गई. लेकिन प्रार्थी ऋषभ को यह डाक 2 दिसंबर, 2020 को प्राप्त हुई. लेकिन तब तक प्रार्थी की साक्षात्कार की तिथि और नौकरी हाथ से निकल गई.

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स्थाई लोक अदालत भरतपुर के अध्यक्ष गंभीर सिंह, सदस्य सरोज लोहिया एवं डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की. जिसमें डाक विभाग के जिम्मेदारों का तर्क था कि रूपवास डाकघर का 25 नवंबर, 2020 को विभागीय सिस्टम (सर्वर) नहीं चल था. इसलिए डीपीएमएस में बैग नहीं खोले गए. पोस्टमैन को डाक नियमानुसार वितरण के लिए सिस्टम से देनी होती है. विभाग के तर्क और प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत के पीठासीन अधिकारियों ने डाक विभाग की लापरवाही से प्रार्थी को हुई मानसिक और आर्थिक हानि को देखते हुए 2 लाख रुपए क्षतिपूर्ति दिलाने के आदेश दिए.

Last Updated : Oct 1, 2022, 11:28 AM IST
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