ETV Bharat / city

Keoladeo National Park: साइबेरियन सारस के बाद राजहंस ने भी मोड़ा मुंह, प्रदूषित पानी बड़ी वजह - Habitat

पृथ्वी पर सबसे खूबसूरत पक्षियों में से एक राजहंस (Flamingo) अब विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) से धीरे-धीरे मुंह मोड़ रहा है. करीब दो दशक पहले तक केवलादेव उद्यान में बड़ी संख्या में राजहंस प्रवास करते थे. लेकिन अब पर्यटन सीजन (Tourist Season) में यदा-कदा गिने-चुने राजहंस (Flamingo) कुछ समय के लिए ही पहुंचते हैं. ऐसे में पक्षी विशेषज्ञों (Bird Experts) को चिंता सताने लगी है कि कहीं साइबेरियन सारस (Siberian Crane) की तरह राजहंस (Flamingo) भी केवलादेव उद्यान में बीते जमाने की बात ना हो जाए. उद्यान में राजहंसों की संख्या में गिरावट आने के पीछे पक्षी विशेषज्ञों ने ईटीवी भारत को कई वजहें बताई.

Keoladeo National Park
साइबेरियन सारस के बाद राजहंस ने भी मोड़ा मुंह
author img

By

Published : Nov 20, 2021, 1:32 PM IST

भरतपुर: राजहंसों (Flamingo) का केवालदेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) से मोहभंग कई कारणों से हुआ है. पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि जब उद्यान में पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक जल स्रोतों से स्वच्छ पानी आता था और उनके लिए पर्याप्त हैबिटाट (Habitat) (प्राकृतिक वास) उपलब्ध था, तब तक यहां बड़ी संख्या में राजहंस (Flamingo) आते थे. लेकिन बीते दो दशक से उद्यान में पानी और भोजन की उपलब्धता में कमीं के साथ ही इनकी संख्या में भी कमी आने लगी है.

साइबेरियन सारस के बाद राजहंस ने भी मोड़ा मुंह
प्रदूषित पानी से दूर रहते हैं राजहंस

पक्षी विशेषज्ञ डॉ के पी सिंह ने बताया कि फ्लेमिंगो पक्षी (Flamingo) को नमकीन और स्वच्छ पानी चाहिए. प्रदूषित पानी में फ्लेमिंगो पक्षी (Flamingo) प्रवास नहीं करता. स्वच्छ और नमकयुक्त मिट्टी वाले स्थान पर ही फ्लेमिंगो का भोजन उपलब्ध हो पाता है. प्रदूषित पानी में फ्लेमिंगो का भोजन धीरे धीरे नष्ट या फिर कम हो जाता है, इसलिए ये पक्षी ऐसे स्थान से दूरी बना लेते हैं.

पढ़ें-Special : घना के आस-पास 60 से अधिक वेटलैंड प्रवासी पक्षियों को कर रहे आकर्षित..इन्हें बचाने के लिए कानूनी संरक्षण की जरूरत

5 साल के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह फ्लेमिंगो के लिए ये उद्यान बेगाना हो गया है. 5 साल में कुल 68 ही यहां आए.

Keoladeo National Park
5 साल में कुल 68 ही यहां आए



गोवर्धन ड्रेन के पानी में प्रदूषित कंटेंट
डॉ के पी सिंह ने बताया कि घना में आने वाले गोवर्धन ड्रेन के पानी में हैवी मेटल के पॉल्यूटेड कंटेंट हैं. यदि ऐसे पानी को घना के हैबिटाट में डाला जाएगा तो वह उसके पूरे हैबिटाट को खराब कर देगा. फ्लेमिंगो (Flamingo) के लिए प्रदूषित पानी जहर के समान है.

पढ़ें- विश्व विरासत पर अतिक्रमण : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जमीन पर भू-माफियाओं की नजर..गुपचुप कॉलोनी काटने की तैयारी

घना में घटे, जोधपुर झाल में बढ़े

पर्यावरणविद डॉ केपी सिंह ने बताया कि एक तरफ जहां केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) में बीते वर्षों में लगातार फ्लैमिंगो की संख्या कम हो रही है, वहीं भरतपुर से 35 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के जोधपुर झाल (Jodhpur Jhal) में फ्लेमिंगो (Flamingo) की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इसकी खास वजह यही है कि घना के अंदर फ्लैमिंगो (Flamingo)का हैबिटाट धीरे धीरे खत्म हो रहा है, जोधपुर झाल का हैबिटाट अभी तक प्योर है.

तो लौट सकता है राजहंस

पर्यावरणविद (Environmentalist) डॉ केपी सिंह ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) में यदि फिर से राजहंस (Flamingo) की संख्या बढ़ानी है और उसे आकर्षित करना है तो सबसे पहले उद्यान के हैबिटाट (Lacking Habitat Facility) को देखना होगा कि उसे कितना नुकसान हुआ है. हैबिटाट का री-कन्स्ट्रक्शन (Habitat Re construction) किया जाना चाहिए. इसके साथ ही देखना होगा कि अगर प्रदूषित पानी (Polluted Water) जा रहा है तो उसे रोका कैसे जाए या फिर उसे ट्रीट किया जाए. राजहंस की जरूरत का हैबिटाट तैयार करना होगा. तभी राजहंस घना की तरफ लौट सकेगा.

भरतपुर: राजहंसों (Flamingo) का केवालदेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) से मोहभंग कई कारणों से हुआ है. पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि जब उद्यान में पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक जल स्रोतों से स्वच्छ पानी आता था और उनके लिए पर्याप्त हैबिटाट (Habitat) (प्राकृतिक वास) उपलब्ध था, तब तक यहां बड़ी संख्या में राजहंस (Flamingo) आते थे. लेकिन बीते दो दशक से उद्यान में पानी और भोजन की उपलब्धता में कमीं के साथ ही इनकी संख्या में भी कमी आने लगी है.

साइबेरियन सारस के बाद राजहंस ने भी मोड़ा मुंह
प्रदूषित पानी से दूर रहते हैं राजहंस

पक्षी विशेषज्ञ डॉ के पी सिंह ने बताया कि फ्लेमिंगो पक्षी (Flamingo) को नमकीन और स्वच्छ पानी चाहिए. प्रदूषित पानी में फ्लेमिंगो पक्षी (Flamingo) प्रवास नहीं करता. स्वच्छ और नमकयुक्त मिट्टी वाले स्थान पर ही फ्लेमिंगो का भोजन उपलब्ध हो पाता है. प्रदूषित पानी में फ्लेमिंगो का भोजन धीरे धीरे नष्ट या फिर कम हो जाता है, इसलिए ये पक्षी ऐसे स्थान से दूरी बना लेते हैं.

पढ़ें-Special : घना के आस-पास 60 से अधिक वेटलैंड प्रवासी पक्षियों को कर रहे आकर्षित..इन्हें बचाने के लिए कानूनी संरक्षण की जरूरत

5 साल के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह फ्लेमिंगो के लिए ये उद्यान बेगाना हो गया है. 5 साल में कुल 68 ही यहां आए.

Keoladeo National Park
5 साल में कुल 68 ही यहां आए



गोवर्धन ड्रेन के पानी में प्रदूषित कंटेंट
डॉ के पी सिंह ने बताया कि घना में आने वाले गोवर्धन ड्रेन के पानी में हैवी मेटल के पॉल्यूटेड कंटेंट हैं. यदि ऐसे पानी को घना के हैबिटाट में डाला जाएगा तो वह उसके पूरे हैबिटाट को खराब कर देगा. फ्लेमिंगो (Flamingo) के लिए प्रदूषित पानी जहर के समान है.

पढ़ें- विश्व विरासत पर अतिक्रमण : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जमीन पर भू-माफियाओं की नजर..गुपचुप कॉलोनी काटने की तैयारी

घना में घटे, जोधपुर झाल में बढ़े

पर्यावरणविद डॉ केपी सिंह ने बताया कि एक तरफ जहां केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) में बीते वर्षों में लगातार फ्लैमिंगो की संख्या कम हो रही है, वहीं भरतपुर से 35 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के जोधपुर झाल (Jodhpur Jhal) में फ्लेमिंगो (Flamingo) की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इसकी खास वजह यही है कि घना के अंदर फ्लैमिंगो (Flamingo)का हैबिटाट धीरे धीरे खत्म हो रहा है, जोधपुर झाल का हैबिटाट अभी तक प्योर है.

तो लौट सकता है राजहंस

पर्यावरणविद (Environmentalist) डॉ केपी सिंह ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) में यदि फिर से राजहंस (Flamingo) की संख्या बढ़ानी है और उसे आकर्षित करना है तो सबसे पहले उद्यान के हैबिटाट (Lacking Habitat Facility) को देखना होगा कि उसे कितना नुकसान हुआ है. हैबिटाट का री-कन्स्ट्रक्शन (Habitat Re construction) किया जाना चाहिए. इसके साथ ही देखना होगा कि अगर प्रदूषित पानी (Polluted Water) जा रहा है तो उसे रोका कैसे जाए या फिर उसे ट्रीट किया जाए. राजहंस की जरूरत का हैबिटाट तैयार करना होगा. तभी राजहंस घना की तरफ लौट सकेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.