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भरतपुर में सरसों की आवक नहीं होने से तेल मिलों पर ताला, करीब 13 हजार मजदूर बेरोजगार - भरतपुर में सरसों का स्टॉक खत्म

कोरोना काल में सरसों के तेल की मांग बढ़ने से उत्पादकों ने उसका उत्पादन दोगुना कर दिया था, ऐसे में अब मंडियों से सरसों का स्टॉक खत्म हो गया है, जिससे भरतपुर जिलें में सरसों पेराई की करीब 100 मिलें बंद पड़ी हैं, जिसमें काम करने वाले करीब 13 हजार मजदूर बेरोजगार हो गए हैं और सरसों की नई खेप की आवक का इंतजार कर रहे हैं, जिससे वो मिलों में दोबारा आकर काम पर लग जाएं और परिवार का पालन पोषण कर सकें.

Mustard oil mills locks in Bharatpur, भरतपुर में बंद पड़ी सरसों पेराई की मिलें
भरतपुर में बंद पड़ी सरसों पेराई की मिलें
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Published : Feb 17, 2021, 10:44 AM IST

भरतपुर. औषधीय गुणों को देखते हुए कोरोना संक्रमण काल में सरसों के तेल की मांग एकदम से बढ़ गई. ऐसे में जिले के सरसों तेल उत्पादकों ने अपनी मिलों में दोगुना अधिक क्षमता से सरसों की पिराई शुरू कर दी, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं की मंडियों में सरसों उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते बीते करीब डेढ़ माह से भरतपुर जिले की करीब 90 फीसदी ऑयल मिलों को सरसों उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और ऑयल मिलें बंद पड़ी हैं. ऑयल मिल बंद होने से हजारों मजदूर बेरोजगार होकर घर बैठे हैं. अब मंडियों में सीजन की नई सरसों पहुंचने पर ही ऑयल मिलें फिर से शुरू हो सकेंगी.

भरतपुर में सरसों की आवक कम होनें से बंद पड़ी तेल मिलें

इसलिए स्टॉक खत्म

सरसों मंडी के व्यापारी भूपेंद्र गोयल और मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर ऑफ इंडिया के कार्यकारी सदस्य राधेश्याम गोयल ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में औषधीय गुणों के चलते सरसों के तेल की मांग एकदम से बढ़ गई, जिसकी वजह से सरसों मिलों में दोगुना से ज्यादा क्षमता से सरसों की पिराई की गई. इसका नतीजा ये हुआ कि जनवरी में ही सरसों का स्टॉक खत्म हो गया.

Mustard oil mills locks in Bharatpur, भरतपुर में बंद पड़ी सरसों पेराई की मिलें
भरतपुर में नहीं हो रही सरसों की आवक

यह भी पढ़ेंः गैंगवार की फिराक में थे पपला के सुरक्षा काफिले में घुसे कुख्यात बदमाश, हिस्ट्रीशीटर समेत 24 गिरफ्तार

110 में से 100 मिल बंद

Mustard oil mills locks in Bharatpur, भरतपुर में बंद पड़ी सरसों पेराई की मिलें
सरसों पेराई के उपकरण

नई मंडी व्यापार संघ के अध्यक्ष प्रकाश चंद गुप्ता और ऑयल मिल मालिक दीनदयाल सिंघल ने बताया कि फिलहाल मंडी में नई सरसों ना के बराबर पहुंच रही है. पुरानी सरसों का स्टॉक खत्म हो गया है, इसलिए सरसों तेल मिलें बंद पड़ी हैं. नई सरसों मंडी आने में अभी समय लगेगा. अब ना तो मंडियों में सरसों है, ना किसान के पास और ना ही सरकार के पास. ऐसे में जिले की 110 सरसों तेल मिलों में से करीब 100 तेल मिलें बीते डेढ़ माह से बंद पड़ी हैं.

आगामी एक माह तक रहेगी सरसों की कमी

Mustard oil mills locks in Bharatpur, भरतपुर में बंद पड़ी सरसों पेराई की मिलें
सरसों को पेरती मशीन

व्यापारी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि करीब 10 फीसदी सरसों तेल मिल फिलहाल चल रही हैं. इसके पीछे की वजह यह है कि पुरानी सरसों तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिलों में नई सरसों की आवक शुरू हो गई है जिनमें कोटा, नीमच, निंबाहेड़ा, प्रतापगढ़ जैसे जिलों से नई सरसों मिल रही है और उसी सरसों से कुछ मिलें चल रही हैं, लेकिन भरतपुर जिले और आसपास के क्षेत्रों से नई सरसों की आवक मार्च महीने के बाद से ही शुरू हो पाएगी.

यह भी पढ़ेंः जोधपुर जेल में बंद आसाराम की तबीयत बिगड़ी, सांस लेने में तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती

हजारों मजदूर बेरोजगार

Mustard oil mills locks in Bharatpur, भरतपुर में बंद पड़ी सरसों पेराई की मिलें
सरसों पेराई की मशीनें

तेल मिल में काम करने वाले मजदूर श्याम सुंदर ने बताया कि बीते करीब डेढ़ महीने तक सरसों की कमी से मिल बंद होने के कारण वो घर पर बेरोजगार बैठे थे. सरसों मिलों में काम करने वाले करीब 15 हजार में से करीब 13 हजार मजदूर अभी भी घरों में बेरोजगार हैं. नई सरसों आने की वजह से कुछ मिले चलना शुरू हुई हैं, जिससे कुछ मजदूरों को तो रोजगार मिल गया है, लेकिन बड़ी संख्या में मजदूरों को अभी भी मिलें चलने का इंतजार है.

भरतपुर. औषधीय गुणों को देखते हुए कोरोना संक्रमण काल में सरसों के तेल की मांग एकदम से बढ़ गई. ऐसे में जिले के सरसों तेल उत्पादकों ने अपनी मिलों में दोगुना अधिक क्षमता से सरसों की पिराई शुरू कर दी, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं की मंडियों में सरसों उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते बीते करीब डेढ़ माह से भरतपुर जिले की करीब 90 फीसदी ऑयल मिलों को सरसों उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और ऑयल मिलें बंद पड़ी हैं. ऑयल मिल बंद होने से हजारों मजदूर बेरोजगार होकर घर बैठे हैं. अब मंडियों में सीजन की नई सरसों पहुंचने पर ही ऑयल मिलें फिर से शुरू हो सकेंगी.

भरतपुर में सरसों की आवक कम होनें से बंद पड़ी तेल मिलें

इसलिए स्टॉक खत्म

सरसों मंडी के व्यापारी भूपेंद्र गोयल और मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर ऑफ इंडिया के कार्यकारी सदस्य राधेश्याम गोयल ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में औषधीय गुणों के चलते सरसों के तेल की मांग एकदम से बढ़ गई, जिसकी वजह से सरसों मिलों में दोगुना से ज्यादा क्षमता से सरसों की पिराई की गई. इसका नतीजा ये हुआ कि जनवरी में ही सरसों का स्टॉक खत्म हो गया.

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भरतपुर में नहीं हो रही सरसों की आवक

यह भी पढ़ेंः गैंगवार की फिराक में थे पपला के सुरक्षा काफिले में घुसे कुख्यात बदमाश, हिस्ट्रीशीटर समेत 24 गिरफ्तार

110 में से 100 मिल बंद

Mustard oil mills locks in Bharatpur, भरतपुर में बंद पड़ी सरसों पेराई की मिलें
सरसों पेराई के उपकरण

नई मंडी व्यापार संघ के अध्यक्ष प्रकाश चंद गुप्ता और ऑयल मिल मालिक दीनदयाल सिंघल ने बताया कि फिलहाल मंडी में नई सरसों ना के बराबर पहुंच रही है. पुरानी सरसों का स्टॉक खत्म हो गया है, इसलिए सरसों तेल मिलें बंद पड़ी हैं. नई सरसों मंडी आने में अभी समय लगेगा. अब ना तो मंडियों में सरसों है, ना किसान के पास और ना ही सरकार के पास. ऐसे में जिले की 110 सरसों तेल मिलों में से करीब 100 तेल मिलें बीते डेढ़ माह से बंद पड़ी हैं.

आगामी एक माह तक रहेगी सरसों की कमी

Mustard oil mills locks in Bharatpur, भरतपुर में बंद पड़ी सरसों पेराई की मिलें
सरसों को पेरती मशीन

व्यापारी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि करीब 10 फीसदी सरसों तेल मिल फिलहाल चल रही हैं. इसके पीछे की वजह यह है कि पुरानी सरसों तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिलों में नई सरसों की आवक शुरू हो गई है जिनमें कोटा, नीमच, निंबाहेड़ा, प्रतापगढ़ जैसे जिलों से नई सरसों मिल रही है और उसी सरसों से कुछ मिलें चल रही हैं, लेकिन भरतपुर जिले और आसपास के क्षेत्रों से नई सरसों की आवक मार्च महीने के बाद से ही शुरू हो पाएगी.

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हजारों मजदूर बेरोजगार

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सरसों पेराई की मशीनें

तेल मिल में काम करने वाले मजदूर श्याम सुंदर ने बताया कि बीते करीब डेढ़ महीने तक सरसों की कमी से मिल बंद होने के कारण वो घर पर बेरोजगार बैठे थे. सरसों मिलों में काम करने वाले करीब 15 हजार में से करीब 13 हजार मजदूर अभी भी घरों में बेरोजगार हैं. नई सरसों आने की वजह से कुछ मिले चलना शुरू हुई हैं, जिससे कुछ मजदूरों को तो रोजगार मिल गया है, लेकिन बड़ी संख्या में मजदूरों को अभी भी मिलें चलने का इंतजार है.

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