भरतपुर. जैसलमेर में फंसे भरतपुर के मजदूरों को सोमवार (27 अप्रैल) को जैसलमेर से बसों द्वारा भरतपुर पहुंचाया गया. लेकिन खास बात ये रही कि बस परिचालक ने सभी यात्रियों से एक-एक हजार रुपए किराया के रूप में वसूल किया. जबकि ये मजदूर इतना किराया देने में असमर्थ थे.
जैसलमेर में फंसे भरतपुर के कुछ मजदूरों को छोड़ने के लिए जैसलमेर से बस भरतपुर पहुंची. जहां अधिकारियों ने उनको एक जगह रुकवाकर उनकी कोरोना स्क्रीनिंग करवाई. साथ ही उनके लिए खाने का इंतजाम भी कराया. उसके बाद सभी को रोडवेज बसों से उनके घरों तक छुड़वाया गया.
यह भी पढ़ेंः भरतपुरः सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं करने पर चला प्रसाशन का डंडा, व्यापारी हड़ताल पर
यात्रियों ने बताया कि वे सभी जैसलमेर में मजदूरी करते थे, लेकिन सरकार द्वारा जारी लॉकडाउन में फंस गए, जिसकी वजह से उनका रोजगार भी चौपट हो गया. इसलिए वे लोग अपने घरों को वापस लौटना चाहते थे. ऐसे में जैसलमेर प्रशासन ने उनको घर भेजने के लिए बसों की व्यवस्था करवाई, लेकिन बहुत कुछ घालमेल कर दिया. उन्होंने कहा कि वे करीब 80 लोग थे और सभी से एक-एक हजार रुपए वसूला गया. दरअसल, यात्रियों का आरोप यह भी है कि उनसे जैसलमेर से भरतपुर तक पहुंचाने के लिए जो पैसा वसूला गया वो उनकी हैसियत से बाहर था. लेकिन उनको घर वापस लौटना था तो सभी ने किराया दिया.
जब इस बारे में भरतपुर प्रशासन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जैसलमेर से कुछ मजदूर यहां पहुंचे थे. यहां उनके खाने-पीने की व्यवस्था करवाई गई थी. साथ ही कहा कि मजदूरों के भरतपुर पहुंचने को लेकर जैसलमेर प्रशासन से बात भी की गई तो उन्होंने कहा कि भामाशाह की मदद से बसों की व्यवस्था कर उनको वहां भेजा गया.