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स्पेशल: बयाना के पान से इस साल पाकिस्तानियों के लब नहीं होंगे लाल, पाला ले डूबा

जहां एक तरफ भरतपुर के बयाना और वैर क्षेत्र में पैदा होने वाले पान के स्वाद से पाकिस्तानियों सहित कई अन्य देशों के लोग अपने लबों को लाल किया करते हैं. वहीं इस बार यहां के पान का स्वाद कुछ मीठा न कर कुछ तीखा जरूर करने वाले वाला है. जानिए इस स्पेशल रिपोर्ट से...

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इस साल बयाना के पान का स्वाद नहीं चख पाएंगे पाकिस्तान के लोग
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Published : Jan 10, 2020, 10:38 AM IST

भरतपुर. जिले में बयाना और वैर क्षेत्र के खरैरी, बागरैन और उमरैण समेत कई गांवों में पैदा होने वाले पान का स्वाद इस बार पाकिस्तान समेत कई अन्य मुस्लिम देश के लोग नहीं चख पाएंगे. बेमौसम बरसात, कोहरा, तेज सर्दी और पाले की वजह से इस बार क्षेत्र के पान की फसल चौपट हो चुकी है. हालात यह है कि क्षेत्र में करीब 400 किसान पान की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और सभी की फसलों में भारी नुकसान है.

इस साल बयाना के पान का स्वाद नहीं चख पाएंगे पाकिस्तान के लोग

किसानों की माने तो पान की खेती में करीब 13 करोड़ का नुकसान होने की आशंका है. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र के पान के खेतों (बरेजा) में जाकर नुकसान का जायजा लिया है. गांव खरैरी, बागरैन के किसान बिहारीलाल तमोली ने बताया कि गांव में करीब 300 किसान पान की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. लेकिन इस बार तेज सर्दी और पाले की वजह से पान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL REPORT : पाली में टिड्डियों का खौफ कायम, किसान इस तरह से कर रहे मुकाबला

किसान तमोली ने बताया कि फसल में हुए नुकसान के मुआवजे के लिए बयाना एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा है. लेकिन अभी तक विभाग की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है.

पान की खेती से हो रहा मोहभंग...

किसानों ने बताया कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पान की खेती करने वाले किसानों को वहां की सरकार मदद करती है. लेकिन राजस्थान सरकार की ओर से यहां पान की खेती करने वाले किसानों को कोई मदद नहीं दी जाती. ऐसे में युवा पीढ़ी का पान की खेती से मोहभंग हो रहा है. साल 2002, 2003, 2004 और 2015 में पान की खेती में इसी प्रकार नुकसान हुआ था. वही वजह रही कि पान की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए करीब 200 परिवार यहां से पलायन कर चुके हैं. पूर्व में यहां 500 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए थे.

विभाग ने किया नुकसान का निरीक्षण...

कृषि विभाग बयाना के सहायक निदेशक दयाराम वर्मा ने बताया कि क्षेत्र में खरैरी, बागरैन, खानखेडा और उमरैण में करीब 400 किसान पान की खेती कर रहे हैं. पान की खेती से जुड़े किसानों के बरेजा का निरीक्षण किया, जिसमें काफी नुकसान होना सामने आया है. इसका सर्वे कर उच्चाधिकारियों को भेजेंगे और किसानों को सुविधा दिलाने की सिफारिस भी करेंगे.

यह उपाय हो सकते हैं कारगर...

तेज सर्दी होने के दौरान यदि किसान अपने बरेजा में मटकों में कंडे जलाकर तापमान बढ़ा दें तो पान की खेती में नुकसान को रोका जा सकता है. पाला पड़ने के बाद यदि किसान 1 लीटर पानी में 1 ग्राम ग्लूकोज मिलाकर पान की खेती पर छिड़काव कर दें तो पान की फसल में फिर से फुटान हो सकता है.

गौरतलब है कि बयाना और वैर क्षेत्र के खरैरी, बागरैन, खानखेडा और उमरैण गांव में पैदा होने वाला पान पाकिस्तान समेत सऊदी अरब, बांग्लादेश सहित कई अन्य देशों में निर्यात होता है.

भरतपुर. जिले में बयाना और वैर क्षेत्र के खरैरी, बागरैन और उमरैण समेत कई गांवों में पैदा होने वाले पान का स्वाद इस बार पाकिस्तान समेत कई अन्य मुस्लिम देश के लोग नहीं चख पाएंगे. बेमौसम बरसात, कोहरा, तेज सर्दी और पाले की वजह से इस बार क्षेत्र के पान की फसल चौपट हो चुकी है. हालात यह है कि क्षेत्र में करीब 400 किसान पान की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और सभी की फसलों में भारी नुकसान है.

इस साल बयाना के पान का स्वाद नहीं चख पाएंगे पाकिस्तान के लोग

किसानों की माने तो पान की खेती में करीब 13 करोड़ का नुकसान होने की आशंका है. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र के पान के खेतों (बरेजा) में जाकर नुकसान का जायजा लिया है. गांव खरैरी, बागरैन के किसान बिहारीलाल तमोली ने बताया कि गांव में करीब 300 किसान पान की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. लेकिन इस बार तेज सर्दी और पाले की वजह से पान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है.

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किसान तमोली ने बताया कि फसल में हुए नुकसान के मुआवजे के लिए बयाना एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा है. लेकिन अभी तक विभाग की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है.

पान की खेती से हो रहा मोहभंग...

किसानों ने बताया कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पान की खेती करने वाले किसानों को वहां की सरकार मदद करती है. लेकिन राजस्थान सरकार की ओर से यहां पान की खेती करने वाले किसानों को कोई मदद नहीं दी जाती. ऐसे में युवा पीढ़ी का पान की खेती से मोहभंग हो रहा है. साल 2002, 2003, 2004 और 2015 में पान की खेती में इसी प्रकार नुकसान हुआ था. वही वजह रही कि पान की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए करीब 200 परिवार यहां से पलायन कर चुके हैं. पूर्व में यहां 500 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए थे.

विभाग ने किया नुकसान का निरीक्षण...

कृषि विभाग बयाना के सहायक निदेशक दयाराम वर्मा ने बताया कि क्षेत्र में खरैरी, बागरैन, खानखेडा और उमरैण में करीब 400 किसान पान की खेती कर रहे हैं. पान की खेती से जुड़े किसानों के बरेजा का निरीक्षण किया, जिसमें काफी नुकसान होना सामने आया है. इसका सर्वे कर उच्चाधिकारियों को भेजेंगे और किसानों को सुविधा दिलाने की सिफारिस भी करेंगे.

यह उपाय हो सकते हैं कारगर...

तेज सर्दी होने के दौरान यदि किसान अपने बरेजा में मटकों में कंडे जलाकर तापमान बढ़ा दें तो पान की खेती में नुकसान को रोका जा सकता है. पाला पड़ने के बाद यदि किसान 1 लीटर पानी में 1 ग्राम ग्लूकोज मिलाकर पान की खेती पर छिड़काव कर दें तो पान की फसल में फिर से फुटान हो सकता है.

गौरतलब है कि बयाना और वैर क्षेत्र के खरैरी, बागरैन, खानखेडा और उमरैण गांव में पैदा होने वाला पान पाकिस्तान समेत सऊदी अरब, बांग्लादेश सहित कई अन्य देशों में निर्यात होता है.

Intro:भरतपुर.
जिले के बयाना और वैर क्षेत्र के खरैरी - बागरैन, उमरैण समेत कई गांवों में पैदा होने वाले पान का स्वाद इस बार पाकिस्तान समेत अन्य मुस्लिम देश के लोग नहीं चख पाएंगे। बेमौसम बरसात, कोहरा, तेज सर्दी और पाले की वजह से इस बार क्षेत्र के पान की फसल चौपट हो चुकी है। हालात यह है कि क्षेत्र में करीब 400 किसान पान की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और सभी की फसलों में भारी नुकसान है। किसानों की माने तो पान की खेती में करीब 13 करोड़ का नुकसान होने की आशंका है। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र के पान के खेतों ( बरेजा) में जाकर नुकसान का जायजा लिया है।Body:गांव खरैरी - बागरैन के किसान बिहारीलाल तमोली ने बताया कि गांव में करीब 300 किसान पान की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। लेकिन इस बार तेज सर्दी और पाने की वजह से पान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है। किसान तमोली ने बताया कि फसल में हुए नुकसान के मुआवजे के लिए बयाना एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा है लेकिन अभी तक विभाग की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।

पान की खेती से हो रहा मोहभंग
किसान बिहारी लाल तमोली ने बताया कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पान की खेती करने वाले किसानों को वहां की सरकार मदद करती है लेकिन राजस्थान सरकार की ओर से यहां पान की खेती करने वाले किसानों को कोई मदद नहीं दी जाती। ऐसे में युवा पीढ़ी का पान की खेती से मोहभंग हो रहा है। किसान तमोली ने बताया कि पूर्व में वर्ष 2002, 2003, 2004 और 2015 में पान की खेती में इसी प्रकार नुकसान हुआ था। यही वजह है कि पान की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए करीब 200 परिवार यहां से पलायन कर चुके हैं। पूर्व में यहां 500 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए थे।

विभाग ने किया नुकसान का निरीक्षण
कृषि विभाग बयाना के सहायक निदेशक दयाराम वर्मा ने बताया कि क्षेत्र में खरैरी - बागरैन, खानखेडा और उमरैण में करीब 400 किसान पान की खेती कर रहे हैं। पान की खेती से जुड़े किसानों के बरेजा का निरीक्षण किया जिसमें काफी नुकसान होना सामने आया है। इसका सर्वे कर उच्चाधिकारियों को भेजेंगे और किसानों को सुविधा दिलाने की सिफारिश भी करेंगे।

यह उपाय हो सकते हैं कारगर
- तेज सर्दी होने के दौरान यदि किसान अपने बरेजा में मटको में कंडे जलाकर तापमान बढ़ा दे तो पान की खेती में नुकसान को रोका जा सकता है।

- पाला पड़ने के बाद यदि किसान 1 लीटर पानी में 1 ग्राम ग्लूकोस मिलाकर पान की खेती पर छिड़काव कर दे तो पान की फसल में फिर से फुटान हो सकता है।Conclusion:गौरतलब है कि बयाना और वैर क्षेत्र के खरैरी - बागरैन, खानखेडा और उमरैण गांव में पैदा होने वाला पान पाकिस्तान समेत सऊदी अरब, बांग्लादेश आदि देशों में निर्यात होता है।

बाइट - बिहारी लाल तमोली, किसान, खरैरी - बागरैन गांव

बाइट 2- दयाराम वर्मा, सहायक निदेशक ,कृषि विभाग बयाना ( बुजुर्ग, ब्लेजर में)

बाइट 3- सुरेश चंद गुप्ता, कृषि अधिकारी ( चैक शर्ट, काली जैकेट)

सादर
श्यामवीर सिंह
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