भरतपुर. मेडिकल कॉलेज भरतपुर में मेस संचालित कर रहे ठेकेदार का कॉलेज प्रशासन ने ठेका क्या निरस्त किया. ठेकेदार ने एक कर्मचारी के हाथों कॉलेज के छात्रों के अलग-अलग दो वीडियो बनवा लिए और उन्हें रैगिंग का रूप देते हुए वायरल करवा दिया. कॉलेज प्रशासन ने जब मामले की पड़ताल की तो वीडियो बनाने वाले कर्मचारी को पहचान लिया. उसके बाद कर्मचारी ने परत दर परत पूरी घटना का खुलासा कर दिया.
तीन-चार दिन पहले मेडिकल कॉलेज के दो अलग-अलग वीडियो व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल हुए. जिनमें से एक वीडियो में कुछ मेडिकल स्टूडेंट मेस के एक कर्मचारी के साथ खड़े थे. बीच बीच में कुछ स्टूडेंट आकर प्लेट साफ करते दिख रहे थे. इसके अलावा कॉलेज कैंपस में एक डांस पार्टी का भी वीडियो वायरल हुआ. इन दोनों वीडियो को मेडिकल कॉलेज में रैगिंग बताया गया लेकिन इन वीडियो की हकीकत उस समय सामने आई. जब कॉलेज प्रशासन ने वीडियो बनाने वाले मेस के रसोइए को पकड़ लिया. वीडियो बनाने वाले शख्स शैलेश ने बताया कि वो पहले कॉलेज में मेस संचालित करने वाले ठेकेदार जगमोहन के यहां रसोइए का काम करता था लेकिन 1 सितंबर को कॉलेज प्रशासन ने उसका ठेका निरस्त कर दिया.
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ठेका निरस्त होने के बाद शैलेश ने कॉलेज में खाना बनाने का काम लेने वाले दूसरे व्यक्ति के साथ रसोइए की नौकरी कर ली. इस दौरान पहले ठेकेदार जगमोहन ने शैलेश को भविष्य में कॉलेज का ठेका मिलने पर नौकरी लगाने का प्रलोभन देकर कॉलेज के अलग-अलग वीडियो बनाने के लिए कहा.
इस पर शैलेश और उसके एक अन्य साथी ने मेडिकल कॉलेज के दो अलग-अलग वीडियो बनाकर ठेकेदार को उपलब्ध करा दिए. आरोप है कि ठेकेदार ने उन दोनों वीडियो को रैगिंग का नाम देकर वायरल किया था. हम खुद काम में मदद कर रहे थे.
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एमबीबीएस प्रथम साल के छात्र टीकम यादव ने बताया कि उस दिन नए मेस (कॉपरेटिव मेस) का आपसी सहयोग से उद्घाटन हुआ था. हम मेस के कर्मचारी के साथ प्लेट और चम्मच साफ करके रखवा रहे थे. छात्र टीकम यादव और सुरेश कुमार का कहना है कि वीडियो को गलत तरीके से वायरल किया गया है. जबकि सभी छात्र एक दूसरे की मदद कर रहे थे. छात्रों ने बताया कि पहले वाला मेस ठेकेदार ना तो शुद्ध और अच्छा खाना बना रहा था, ना ही उसका व्यवहार सही था.
कॉलेज प्राचार्य ने दी सफाई
मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. रजत श्रीवास्तव ने बताया कि 1 सितंबर से छात्रों ने बावर्ची रख के मेस शुरू किया है. पहले के ठेकेदार का खाना मेडिकल छात्रों को पसंद नहीं आ रहा था. जिसके चलते यह नई व्यवस्था की है. नई व्यवस्था के तहत मेडिकल स्टूडेंट खुद खाना लेते हैं और खाना खाने के बाद खुद की प्लेट साफ करके रखते हैं. यदि कोई वीडियो रैगिंग के नाम से वायरल हो रहा है तो वो गलत है. मेडिकल कॉलेज में रैगिंग जैसी कोई घटना नहीं हुई है.
गौरतलब है कि दोनों वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन ने पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है, जो कि आज मेडिकल कॉलेज प्रशासन से मिलकर पूरे मामले की जांच करेगी.