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स्पेशल: Lockdown में बदहाल हो चुके किसानों की निगाहें टिकी मोदी सरकार की ओर, राहत के मरहम की आस - White roli disease

पहले मौसम और अब महामारी के चलते किसानों को भारी नुकसान उठा पड़ा है. इस बार किसान के लिए खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा बनी हुई है. ऐसे में अब किसानों की निगाहे केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले राहत पैकेज पर टिकी हुई हैं.

White roli disease in crop,  Economic package for farmers
किसानों के लिए आर्थिक पैकेज
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Published : May 14, 2020, 3:12 PM IST

Updated : May 14, 2020, 3:28 PM IST

भरतपुर. इस बार किसान के लिए खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा बनी हुई है. पहले सरसों की फसल में लगे सफेद रोली रोग ने नुकसान पहुंचाया, तो फिर ओलावृष्टि ने रही सही कसर पूरी कर दी. किसान ने जैसे-तैसे बची हुई फसल को समेटकर घरों तक पहुंचाया ही था कि इतने में कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने किसानों का रास्ता रोक दिया.

मोदी सरकार पर टिकी है किसानों की निगाहें

हालात ये हैं कि कई किसान तो फसल बिक्री नहीं होने की वजह से उधारी भी नहीं चुका पा रहे हैं. अब किसानों को सरकार से ही एकमात्र उम्मीद बची हुई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किसानों के लिए गुरुवार को पैकेज की घोषणा कर सकती हैं, जिससे किसानों को आस लगी हुई है.

पढ़ें- विशेष: आर्थिक पैकेज का एक ही लक्ष्य बाजार में तरलता बनी रहे: सुनील मेहता

ना फसल बिकी, ना मुआवजा मिला

जिले के किसान केसराम ने बताया कि पहले मौसम की मार की वजह से नुकसान उठाना पड़ा और अब महामारी के कारण परेशानी झेल रहे हैं. खेतों से उठा कर लाई हुई फसल घरों में जमा रखी है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस फसल की मंडियों में बिक्री नहीं कर पा रहे हैं.

किसान केसरिया ने बताया कि फसल खराबे से उबरे भी नहीं थे कि अब महामारी ने रास्ता जाम कर दिया. अन्न उगाने के लिए जो लागत लगाई थी उसकी भरपाई के लिए अब फसल बेचने का समय आया. लेकिन लॉकडाउन के चलते फसल की बिक्री नहीं हो पा रही है.

पढ़ें- Special: ब्यूटी सैलून के व्यवसाय पर लॉकडाउन का 'ग्रहण', 9 हजार बारबर प्रभावित

किसान रेवती और कप्तान ने बताया कि इस बार खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा साबित हुई है. पहले सरसों की फसल में सफेद रोली का रोग लगा, फिर ओलावृष्टि और बरसात ने नुकसान किया और अब कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन ने कीमत की भरपाई में बाधा खड़ी कर दी है.

जिले के किसानों का कहना है कि सरकार विशेष आर्थिक पैकेज में किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए कुछ आर्थिक संबल प्रदान करे. जिससे किसान अपने परिवार का पालन पोषण कर सके. किसानों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आर्थिक पैकेज की नई घोषणाओं से बड़ी उम्मीद है.

भरतपुर. इस बार किसान के लिए खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा बनी हुई है. पहले सरसों की फसल में लगे सफेद रोली रोग ने नुकसान पहुंचाया, तो फिर ओलावृष्टि ने रही सही कसर पूरी कर दी. किसान ने जैसे-तैसे बची हुई फसल को समेटकर घरों तक पहुंचाया ही था कि इतने में कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने किसानों का रास्ता रोक दिया.

मोदी सरकार पर टिकी है किसानों की निगाहें

हालात ये हैं कि कई किसान तो फसल बिक्री नहीं होने की वजह से उधारी भी नहीं चुका पा रहे हैं. अब किसानों को सरकार से ही एकमात्र उम्मीद बची हुई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किसानों के लिए गुरुवार को पैकेज की घोषणा कर सकती हैं, जिससे किसानों को आस लगी हुई है.

पढ़ें- विशेष: आर्थिक पैकेज का एक ही लक्ष्य बाजार में तरलता बनी रहे: सुनील मेहता

ना फसल बिकी, ना मुआवजा मिला

जिले के किसान केसराम ने बताया कि पहले मौसम की मार की वजह से नुकसान उठाना पड़ा और अब महामारी के कारण परेशानी झेल रहे हैं. खेतों से उठा कर लाई हुई फसल घरों में जमा रखी है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस फसल की मंडियों में बिक्री नहीं कर पा रहे हैं.

किसान केसरिया ने बताया कि फसल खराबे से उबरे भी नहीं थे कि अब महामारी ने रास्ता जाम कर दिया. अन्न उगाने के लिए जो लागत लगाई थी उसकी भरपाई के लिए अब फसल बेचने का समय आया. लेकिन लॉकडाउन के चलते फसल की बिक्री नहीं हो पा रही है.

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किसान रेवती और कप्तान ने बताया कि इस बार खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा साबित हुई है. पहले सरसों की फसल में सफेद रोली का रोग लगा, फिर ओलावृष्टि और बरसात ने नुकसान किया और अब कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन ने कीमत की भरपाई में बाधा खड़ी कर दी है.

जिले के किसानों का कहना है कि सरकार विशेष आर्थिक पैकेज में किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए कुछ आर्थिक संबल प्रदान करे. जिससे किसान अपने परिवार का पालन पोषण कर सके. किसानों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आर्थिक पैकेज की नई घोषणाओं से बड़ी उम्मीद है.

Last Updated : May 14, 2020, 3:28 PM IST
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