भरतपुर. बायोडीजल और डीजल इंजन की गाड़ियों में अब जहां ईंधन का नुकसान कम होगा वहीं गाड़ियों का माइलेज भी दुगना हो जाएगा. जी हां, भरतपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज की मैकेनिकल ब्रांच में इन दिनों बायोडीजल और डीजल इंजन की दक्षता और क्षमता बढ़ाने पर महत्वपूर्ण शोध चल रहा है.
इसके तहत इंजन में नैनो पार्टिकल्स का विशेष इस्तेमाल कर इंजन की क्षमता को बढ़ाया जाएगा. इससे गाड़ी में इंधन की खपत कम हो गई साथ ही गाड़ी का माइलेज और पिकअप भी बढ़ जाएगा. शोध के तहत इंजीनियरिंग कॉलेज में जरूरी उपकरण आ चुके हैं और कार्य भी शुरू हो चुका है. जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आएंगे.
इंजीनियरिंग कॉलेज की मैकेनिकल ब्रांच के असि. प्रोफेसर अनिल ने बताया कि वर्तमान में बायोडीजल और डीजल इंजन के वाल्व और पिस्टन कोटिंग में नहीं आ रहे हैं. ऐसे में कंबस्टन चैंबर में ईंधन बर्न होता है तो हीटअप होकर काफी एनर्जी पिस्टन के माध्यम से बाहर निकल जाती (वेस्ट) है. इससे इंजन में पूरे ईंधन की एनर्जी का उपयोग नहीं हो पाता है.
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ऐसा है शोध
इंजीनियरिंग कॉलेज की मैकेनिकल ब्रांच के असि. प्रोफेसर अनिल ने बताया कि वह 'इफेक्ट ऑफ नेनो पार्टिकल्स ब्लेंडिंग ऑन द बायोडीजल एंड डीजल इंजन' विषय पर शोध कर रहे हैं. एन.आई.टी हमीरपुर ( हिमाचल प्रदेश) के डॉ. देवाशीष दास के निर्देशन में शोध चल रहा है. शोध के तहत इंजन के वाल्व और पिस्टन पर नैनो पार्टिकल्स की कोटिंग की जाएगी. इससे अधिकतम ईंधन की एनर्जी इंजन के सिलेंडर के अंदर ही रहेगी और ईंधन बर्न होने के बाद पिस्टन के रास्ते एनर्जी लॉस रुकेगा.
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माइलेज और पिकअप बढ़ेगा
असि. प्रो. अनिल ने बताया कि एनर्जी लॉस रुकते ही इंजन में पूरे ईंधन का उपयोग हो सकेगा. इससे गाड़ी का माइलेज बढ़ेगा. साथ ही नैनो पार्टिकल्स की कोटिंग के बाद इंजन की ताकत और पिकअप भी बढ़ेगा. गौरतलब, है कि भरतपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में सीआरएस के तहत यह प्रोजेक्ट संचालित है. संभवत है यह शोध कार्य 6 माह में पूर्ण कर लिया जाएगा.