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Special : इशारों से सीख रहा क्रिकेट का हुनर...अभिषेक की बॉलिंग और बैटिंग के साथ फील्डिंग भी जबरदस्त

कहते हैं, ईश्वर हर इंसान में कोई न कोई कमी तो कोई न कोई हुनर (Talent) जरूर देता है. कुछ ऐसी ही बात है भरतपुर (Bharatpur News) के दिव्यांग अभिषेक (Divyang Abhishek Choudhary) में जो अभी केवल 12 साल का है. अभिषेक बचपन से न तो सुन पाता है और न ही बोल पाता है. माता-पिता को जब पता चला कि उनका बेटा दिव्यांग है तो वह भी बच्चे के भविष्य और उसकी परवरिश को लेकर चिंतित रहने लगे. लेकिन एक समर कैंप ने अभिषेक चौधरी की जिंदगी की दिशा ही बदल दी...

divyang-abhishek-choudhary-of-bharatpur-
न सुन सकता है न बोल सकता है
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Published : Jul 2, 2021, 1:30 PM IST

भरतपुर. बीते 2 साल से क्रिकेट खेल रहे अभिषेक (Divyang Abhishek Choudhary) में न केवल लेग स्पिन बॉलिंग (Leg Spin Bowling) का, बल्कि बैटिंग और फील्डिंग का भी गजब का हुनर है. आइए जानते हैं दिव्यांग अभिषेक की क्रिकेट के गुर सीखने के बारे में...

इशारों से सीख रहा क्रिकेट...

जिला क्रिकेट संघ के सचिव शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि समर कैंप के दौरान अभिषेक चौधरी का क्रिकेट के प्रति रुझान देखने को मिला. उसके बाद हमने उसे नियमित रूप से कोचिंग देना शुरू किया. अभिषेक को सिखाने के लिए शुरू में तो थोड़ी सी दिक्कत हुई थी, लेकिन बाद में छोटे-छोटे से इशारे पर ही अभिषेक सारी बातें समझने लगा और अब इशारों ही इशारों में अभिषेक ने क्रिकेट की काफी बारीकियां सीख ली हैं. शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि अभिषेक चौधरी किसी मझे हुए खिलाड़ी की तरह लेग स्पिन बॉलिंग करता है. इतना ही नहीं, फील्डिंग और बैटिंग (Fielding and Batting) में भी वह लाजवाब है.

इशारों से सीख रहा क्रिकेट का हुनर...

बचपन में क्रिकेट के अलावा कोई खेल नहीं खेलता...

अभिषेक के बड़े भाई आरएसआरडीसी के सहायक अभियंता अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि बचपन में अभिषेक के लिए फुटबॉल, बास्केटबॉल और कैरम के कई खेल सामग्री लाकर दी, लेकिन वह सिर्फ क्रिकेट ही खेलता. टीवी में भी वह सिर्फ क्रिकेट मैच ही देखता. सामान्य बच्चों की तरह है उसे कार्टून देखना पसंद नहीं था. बचपन में कई बार वह अन्य बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने घर से बाहर जाता तो सुन नहीं पाने की वजह से रास्ते में कभी किसी वाहन से तो कभी किसी और कारण से चोट लगा कर आ जाता है. जिसके कारण हमने उसे घर के बाहर खेलने जाने से रोक दिया.

interest from childhood
बचपन में क्रिकेट के अलावा कोई खेल नहीं खेलता...

पढ़ें : Special : डीजल ने किया मजबूर तो CNG पर दौड़ने लगी बसें, प्रदेश में पहली बस भी कोटा से और किट भी यहीं लगना शुरू

समर कैंप से मिली दिशा...

अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि एक बार वर्ष 2019 में जिला क्रिकेट संघ की ओर से समर कैंप आयोजित किया गया. उसमें अभिषेक को खेलने के लिए भेजा गया. इस दौरान जिला क्रिकेट संघ के सचिव शत्रुघ्न तिवारी से मुलाकात हुई और अभिषेक के बारे में उनसे चर्चा हुई. शत्रुघ्न तिवारी ने अभिषेक के खेल पर ध्यान दिया तो पता चला कि अभिषेक का क्रिकेट में काफी अच्छा इंटरेस्ट है. उसके बाद अभिषेक को नियमित रूप से जिला क्रिकेट संघ के कोचिंग में ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया.

leg spin bowling
अभिषेक की लेग स्पिन बॉलिंग...

माता-पिता और देश का नाम रोशन करेगा...

अभिषेक चौधरी के पिता रामवीर सिंह रेलवे कर्मचारी हैं और उनकी माता सावित्री ग्रहिणी हैं. बड़े भाई अनिरुद्ध सिंह आरएसआरडीसी में सहायक अभियंता हैं. सचिव शत्रुघ्न तिवारी का कहना है कि दिव्यांग टीम में अभिषेक चौधरी आज भी इंडिया की तरफ से खेलने का मादा रखता है, लेकिन हम चाहते हैं कि वह सामान्य खिलाड़ियों के साथ देश के लिए खेले और एक दिन अभिषेक जरूर भारत की टीम में अपना जलवा दिखाएगा. शत्रुघ्न तिवारी का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है. एक दिन अभिषेक चौधरी न केवल अपने माता-पिता का, बल्कि देश का नाम रोशन करेगा.

भरतपुर. बीते 2 साल से क्रिकेट खेल रहे अभिषेक (Divyang Abhishek Choudhary) में न केवल लेग स्पिन बॉलिंग (Leg Spin Bowling) का, बल्कि बैटिंग और फील्डिंग का भी गजब का हुनर है. आइए जानते हैं दिव्यांग अभिषेक की क्रिकेट के गुर सीखने के बारे में...

इशारों से सीख रहा क्रिकेट...

जिला क्रिकेट संघ के सचिव शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि समर कैंप के दौरान अभिषेक चौधरी का क्रिकेट के प्रति रुझान देखने को मिला. उसके बाद हमने उसे नियमित रूप से कोचिंग देना शुरू किया. अभिषेक को सिखाने के लिए शुरू में तो थोड़ी सी दिक्कत हुई थी, लेकिन बाद में छोटे-छोटे से इशारे पर ही अभिषेक सारी बातें समझने लगा और अब इशारों ही इशारों में अभिषेक ने क्रिकेट की काफी बारीकियां सीख ली हैं. शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि अभिषेक चौधरी किसी मझे हुए खिलाड़ी की तरह लेग स्पिन बॉलिंग करता है. इतना ही नहीं, फील्डिंग और बैटिंग (Fielding and Batting) में भी वह लाजवाब है.

इशारों से सीख रहा क्रिकेट का हुनर...

बचपन में क्रिकेट के अलावा कोई खेल नहीं खेलता...

अभिषेक के बड़े भाई आरएसआरडीसी के सहायक अभियंता अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि बचपन में अभिषेक के लिए फुटबॉल, बास्केटबॉल और कैरम के कई खेल सामग्री लाकर दी, लेकिन वह सिर्फ क्रिकेट ही खेलता. टीवी में भी वह सिर्फ क्रिकेट मैच ही देखता. सामान्य बच्चों की तरह है उसे कार्टून देखना पसंद नहीं था. बचपन में कई बार वह अन्य बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने घर से बाहर जाता तो सुन नहीं पाने की वजह से रास्ते में कभी किसी वाहन से तो कभी किसी और कारण से चोट लगा कर आ जाता है. जिसके कारण हमने उसे घर के बाहर खेलने जाने से रोक दिया.

interest from childhood
बचपन में क्रिकेट के अलावा कोई खेल नहीं खेलता...

पढ़ें : Special : डीजल ने किया मजबूर तो CNG पर दौड़ने लगी बसें, प्रदेश में पहली बस भी कोटा से और किट भी यहीं लगना शुरू

समर कैंप से मिली दिशा...

अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि एक बार वर्ष 2019 में जिला क्रिकेट संघ की ओर से समर कैंप आयोजित किया गया. उसमें अभिषेक को खेलने के लिए भेजा गया. इस दौरान जिला क्रिकेट संघ के सचिव शत्रुघ्न तिवारी से मुलाकात हुई और अभिषेक के बारे में उनसे चर्चा हुई. शत्रुघ्न तिवारी ने अभिषेक के खेल पर ध्यान दिया तो पता चला कि अभिषेक का क्रिकेट में काफी अच्छा इंटरेस्ट है. उसके बाद अभिषेक को नियमित रूप से जिला क्रिकेट संघ के कोचिंग में ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया.

leg spin bowling
अभिषेक की लेग स्पिन बॉलिंग...

माता-पिता और देश का नाम रोशन करेगा...

अभिषेक चौधरी के पिता रामवीर सिंह रेलवे कर्मचारी हैं और उनकी माता सावित्री ग्रहिणी हैं. बड़े भाई अनिरुद्ध सिंह आरएसआरडीसी में सहायक अभियंता हैं. सचिव शत्रुघ्न तिवारी का कहना है कि दिव्यांग टीम में अभिषेक चौधरी आज भी इंडिया की तरफ से खेलने का मादा रखता है, लेकिन हम चाहते हैं कि वह सामान्य खिलाड़ियों के साथ देश के लिए खेले और एक दिन अभिषेक जरूर भारत की टीम में अपना जलवा दिखाएगा. शत्रुघ्न तिवारी का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है. एक दिन अभिषेक चौधरी न केवल अपने माता-पिता का, बल्कि देश का नाम रोशन करेगा.

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