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Special Report: कोरोना काल में सामान्य बीमारियों के मरीज 'गायब', OPD में 60 फीसदी तक घटी संख्या - corona transition period

कोरोना काल में सामान्य बीमारियों के मरीज गायब से हो गए हैं. जहां इन दिनों में बुखार, खांसी और जुकाम के मरीजों की भरमार रहती थी वहीं कोरोना काल के इस दौर में अस्पतालों की ओपीडी में 60 फीसदी तक मरीज कम हो गए हैं. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो इसका एक प्रमुख कारण कोरोना के दरमियान बीमारियों को लेकर लोगों में बढ़ी जागरूकता है. देखिये भरतपुर से ये खास रिपोर्ट...

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सामान्य बीमारियों के मरीज हुए गायब
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Published : Aug 20, 2020, 7:53 PM IST

भरतपुर. देश और दुनिया में भले ही कोरोना संक्रमण ने कोहराम मचा रखा है, लेकिन इस कोरोना काल में भरतपुर में सामान्य बीमारियों के मरीजों में भारी कमी आई है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले के अस्पतालों की ओपीडी में सामान्य बीमारियों वाले मरीजों में जनवरी और फरवरी की तुलना में करीब 60 फीसदी तक की गिरावट आई है.

सामान्य बीमारियों के मरीज हुए 'गायब'

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कप्तान सिंह ने बताया कि मार्च महीने के बाद से जिले में सामान्य वायरल बीमारियां, खांसी, जुकाम, बुखार और फ्लू जैसी बीमारियां काफी कम फैली हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि कोरोना संक्रमण के चलते जिले में लंबे समय तक लॉकडाउन रहा. उस दरमियान लोगों का घरों से बाहर निकलना भी काफी कम हो गया. लोग घरों से बाहर नहीं निकले, इसलिए एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलने वाला संक्रमण नहीं फैला.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL: बीमारी के दौरान दोस्तों ने बढ़ाया हौसला तो कोरोना को दी मात

उन्होंने बताया कि होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट और बाहर खुले में रखे खान-पान की चीजों से लोग दूर रहे. यही वजह है कि लोग सामान्य वायरल बीमारियों की चपेट में बहुत कम आए. साथ ही जिले में कराए गए सर्वे में भी सामान्य बीमारियां नहीं मिली हैं. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से लोगों में क्रॉस संक्रमण नहीं हो पाया है.

ओपीडी में कम पहुंच रहे मरीज...

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी और फरवरी के महीने की तुलना में जून, जुलाई और अगस्त के महीने में ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या काफी कम रही. ओपीडी में मरीजों की संख्या में मार्च से ही कमी आने लगी. यही वजह है कि फरवरी 2020 में जिले के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या 3 लाख, 02,008 थी. जबकि जुलाई में 1 लाख 30 हजार और 16 अगस्त तक यह संख्या सिर्फ 47 हजार 700 के करीब रह गई.

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अस्पतालों में 60 फीसदी कम हुए मरीज

घरों में रहने के कारण श्वानों से भी बचें...

विभागीय आंकड़ों के अनुसार कोरोना काल में लोग ज्यादातर समय घरों में रहे तो आवारा श्वानों के शिकार होने से भी बचे रहें. जिले में जनवरी 2020 में 6 हजार 66 लोग कुत्तों का शिकार बने. वहीं, जून में 2 हजार 861, जुलाई में 2 हजार 400 और 16 अगस्त तक सिर्फ 942 लोग ही श्वानों का शिकार हुए. आंकड़ों से साफ है कि कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों का ज्यादातर समय घरों में गुजरा, जिसकी वजह से अस्पतालों में डॉग बाइट के मरीजों की संख्या काफी कम हो गई.

यह भी पढ़ेंः Special: Corona के बीच अब मलेरिया और डेंगू से भी बढ़ा खतरा, संकट में डूंगरपुर के 101 गांवों की आबादी

गौरतलब है कि भरतपुर जिले समेत पूरे प्रदेश भर में कोरोना संक्रमण के चलते 22 मार्च को लॉकडाउन लागू कर दिया गया था, जिसके बाद लंबे समय तक लोगों का बाजार में निकलना और बाहर का खान पान न के बराबर रह गया था. अनलॉक के बावजूद लोग बाजारों में मास्क लगाकर निकले, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना की और समय-समय पर हैंड सेनेटाइजर करते रहे, जिसके चलते सामान्य वायरल इंफेक्शन और उससे होने वाली बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहे.

भरतपुर. देश और दुनिया में भले ही कोरोना संक्रमण ने कोहराम मचा रखा है, लेकिन इस कोरोना काल में भरतपुर में सामान्य बीमारियों के मरीजों में भारी कमी आई है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले के अस्पतालों की ओपीडी में सामान्य बीमारियों वाले मरीजों में जनवरी और फरवरी की तुलना में करीब 60 फीसदी तक की गिरावट आई है.

सामान्य बीमारियों के मरीज हुए 'गायब'

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कप्तान सिंह ने बताया कि मार्च महीने के बाद से जिले में सामान्य वायरल बीमारियां, खांसी, जुकाम, बुखार और फ्लू जैसी बीमारियां काफी कम फैली हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि कोरोना संक्रमण के चलते जिले में लंबे समय तक लॉकडाउन रहा. उस दरमियान लोगों का घरों से बाहर निकलना भी काफी कम हो गया. लोग घरों से बाहर नहीं निकले, इसलिए एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलने वाला संक्रमण नहीं फैला.

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उन्होंने बताया कि होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट और बाहर खुले में रखे खान-पान की चीजों से लोग दूर रहे. यही वजह है कि लोग सामान्य वायरल बीमारियों की चपेट में बहुत कम आए. साथ ही जिले में कराए गए सर्वे में भी सामान्य बीमारियां नहीं मिली हैं. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से लोगों में क्रॉस संक्रमण नहीं हो पाया है.

ओपीडी में कम पहुंच रहे मरीज...

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी और फरवरी के महीने की तुलना में जून, जुलाई और अगस्त के महीने में ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या काफी कम रही. ओपीडी में मरीजों की संख्या में मार्च से ही कमी आने लगी. यही वजह है कि फरवरी 2020 में जिले के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या 3 लाख, 02,008 थी. जबकि जुलाई में 1 लाख 30 हजार और 16 अगस्त तक यह संख्या सिर्फ 47 हजार 700 के करीब रह गई.

कोरोना संक्रमण काल  मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कप्तान सिंह  भरतपुर स्वास्थ्य विभाग  कोरोना के मरीज  बीमारियों को लेकर जागरूकता  bharatpur news  etv bharat news  awareness of diseases  corona patients  bharatpur health department
अस्पतालों में 60 फीसदी कम हुए मरीज

घरों में रहने के कारण श्वानों से भी बचें...

विभागीय आंकड़ों के अनुसार कोरोना काल में लोग ज्यादातर समय घरों में रहे तो आवारा श्वानों के शिकार होने से भी बचे रहें. जिले में जनवरी 2020 में 6 हजार 66 लोग कुत्तों का शिकार बने. वहीं, जून में 2 हजार 861, जुलाई में 2 हजार 400 और 16 अगस्त तक सिर्फ 942 लोग ही श्वानों का शिकार हुए. आंकड़ों से साफ है कि कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों का ज्यादातर समय घरों में गुजरा, जिसकी वजह से अस्पतालों में डॉग बाइट के मरीजों की संख्या काफी कम हो गई.

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गौरतलब है कि भरतपुर जिले समेत पूरे प्रदेश भर में कोरोना संक्रमण के चलते 22 मार्च को लॉकडाउन लागू कर दिया गया था, जिसके बाद लंबे समय तक लोगों का बाजार में निकलना और बाहर का खान पान न के बराबर रह गया था. अनलॉक के बावजूद लोग बाजारों में मास्क लगाकर निकले, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना की और समय-समय पर हैंड सेनेटाइजर करते रहे, जिसके चलते सामान्य वायरल इंफेक्शन और उससे होने वाली बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहे.

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