भरतपुर. अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश संख्या-2 विकास कुमार स्वामी ने पंचायत समिति बयाना की ग्राम पंचायत कपूरा मलूका के हाल सरपंच हरि किशन गुर्जर का चुनाव शून्य घोषित किया है. हाल सरपंच हरि किशन गुर्जर निवासी मजरा झटोला बयाना के खिलाफ पुलिस में एक व्यक्ति पर हमला कर गंभीर रूप से चोट पहुंचाने व हत्या और अपहरण के मामले दर्ज थे. इस पूरे मामले में रिटर्निंग अधिकारी की लापरवाही भी सामने आई है.
वरिष्ठ अधिवक्ता गुलराज गोपाल ने बताया कि बयाना की ग्राम पंचायत कपूरा मलूका के गांव रसेरी निवासी दरब सिंह पुत्र श्यामलाल ने जिला न्यायालय में फरवरी 2020 में एक चुनाव याचिका पेश की. जिसमें बताया कि बयाना की ग्राम पंचायत कपूरा मलूका के हाल सरपंच हरि किशन गुर्जर के खिलाफ पुलिस में एक व्यक्ति पर हमला कर गंभीर रूप से चोट पहुंचाने के मामले में आईपीसी की धारा 325 के तहत मुकदमा हो चुका है. इसके अलावा सरपंच हरि किशन गुर्जर के खिलाफ एक व्यक्ति की हत्या एवं अपहरण का भी मामला पुलिस में दर्ज हुआ था, जिसमें हत्या मामले में तो वो बरी हो गया, लेकिन हाईकोर्ट ने अपहरण के मामले में 9 महीने की सजा बरकरार रखी. इसलिए आरोपी चुनाव लड़ने का ही अधिकारी नहीं है.
सरपंच का चुनाव लड़ते समय हरि किशन गुर्जर ने अपहरण के मामले में सजा की बात को नामांकन पत्र दाखिल करते समय प्रदर्शित नहीं किया. इस पर न्यायालय ने आरोपी सरपंच को अपना पक्ष रखने के लिए पूरा मौका दिया, नोटिस भेजे, लेकिन सरपंच की ओर से न्यायालय में अपने पक्ष में कोई जवाब पेश नहीं किया गया. इस पर न्यायाधीश विकास कुमार स्वामी ने एक पक्षीय फैसला सुनाते हुए सरपंच को अयोग्य घोषित करते हुए उसके चुनाव को शून्य माने जाने के आदेश पारित किए.
रिटर्निंग अधिकारी की भी लापरवाही
वरिष्ठ अधिवक्ता गुलराज गोपाल ने बताया कि उक्त प्रकरण में यह भी सामने आया है कि आरोपी सरपंच हरि किशन गुर्जर ने सरपंच पद का नामांकन भरते समय अपने नामांकन पत्र में साफ लिखा था कि मुझ पर आईपीसी की धारा 325 का चार्ज लग चुका है. लेकिन रिटर्निंग अधिकारी ने नामांकन पत्र में दर्ज सरपंच प्रत्याशी की इस टिप्पणी पर ध्यान ही नहीं दिया. रिटर्निंग अधिकारी को इस टिप्पणी के उल्लेख पर उसका नामांकन पत्र उसी वक्त खारिज कर देना चाहिए था. यदि रिटर्निंग अधिकारी ने इस बात पर ध्यान दिया होता तो नामांकन पत्र खारिज होने पर वो चुनाव ही नहीं लड़ पाता.