भरतपुर. नगर विकास न्यास के सभागार में गुरुवार को बजट घोषणा के तहत भरतपुर शहर को जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिये आवंटित की गई राशि से कराए जाने वाले कार्यों की समीक्षा बैठक आयोजित हुई. बैठक की अध्यक्षता करते हुए तकनीकी एवं संस्कृत शिक्षा राज्य मंत्री डाॅ सुभाष गर्ग ने नगर निगम एवं न्यास के अधिकारियों को निर्देष दिए कि राजस्थान उच्च न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद भरतपुर शहर में विकास के कार्य प्रारम्भ कराएं. ताकि शहर को जलभराव की समस्या से निजात मिल सके.
मंत्री गर्ग ने कहा कि याषिक कॅन्सलटेंसी की ओर से आगामी 10 अप्रैल तक डीपीआर प्रस्तुत कर दी जायेगी. जिसमें जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिये बनाये जाने वाले नालों एवं अन्य कार्यों का विस्तृत उल्लेख किया जायेगा. इस आधार पर कार्य प्रारम्भ कराने के लिये एनआईटी जारी करें. मंत्री ने नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिये कि कच्ची खाई में किये गये अतिक्रमणों की सूची तैयार करायें और अतिक्रमणियों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करायें. साथ ही भविष्य में अतिक्रमण नहीं हों इसके लिये नियमित पर्यवेक्षण करें और अतिक्रमणियों को नोटिस जारी कर उन्हें तत्काल हटायें.
सीएफसीडी की समस्या के समाधान के संबंध में चर्चा करते हुए तय किया गया कि इसे पक्का बनाया जाये और इसके दोनों ओर सडकों के निर्माण के साथ वृक्षारोपण भी कराये जायें, जिससे शहर की सुन्दरता में वृद्धि हो सके. बैठक में अधिवक्ता श्रीनाथ शर्मा ने बताया कि पिछले एक वर्ष के दौरान कच्ची खाई में अतिक्रमणों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिन्हें चिन्हित कर हटवाया जाना चाहिये. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विकास के कार्यों के पर्यवेक्षण के लिये एक समिति गठित की जाये और इस समिति की प्रतिमाह बैठक आयोजित हो, जिसमें कार्यों की गुणवत्ता के साथ साथ निर्माण कार्यों की गति पर भी चर्चा की जाये.
बैठक में नगरनिगम के मेयर अभिजीत कुमार ने भी सुझाव दिया कि डीपीआर प्राप्त होने के बाद कार्य शीघ्र शुरू कराये जाये, ताकि वर्षा से पूर्व अधिकांश कार्य पूरे हो सकें. जिससे जल निकासी में कोई बाधा उत्पन्न न हो सके. बैठक में न्यास अध्यक्ष एवं जिला कलक्टर नथमल डिडेल ने विश्वास दिलाया कि राजस्थान उच्च न्यायालय से अनुमति मिलने और डीपीआर प्राप्त होने के बाद न्यास की ओर से एनआईटी जारी कर कार्य शीघ्र शुरू करा दिये जायेंगे. इस बैठक में नगर विकास न्यास, नगर निगम, सार्वजनिक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे.