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राजस्थान में है बेनजीर भुट्टो की पुश्तैनी हवेली...सैकड़ों वर्ष बाद भी बनी हुई है मजबूत

भरतपुर जिले के पहरसर गांव का पाकिस्तान से खास रिश्ता है. इस गांव में एक ऐसी हवेली है जिसे देखकर आज भी गांव के लोगों को पाकिस्तान के पूर्व शासक भुट्टो परिवार के पुरखों की याद आती है. पाकिस्तान की राजनीति और सरकार में प्रमुख भूमिका निभाने वाले भुट्टो परिवार के पुरखे कभी इसी गांव में रहा करते थे.

राजस्थान में है बेनजीर भुट्टो की पुश्तैनी हवेली
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Published : Aug 12, 2019, 1:36 PM IST

भरतपुर. जिले के पहरसर गांव का पाकिस्तान से खास रिश्ता है. इस गांव में एक ऐसी हवेली है जिसे देखकर आज भी गांव के लोगों को पाकिस्तान के पूर्व शासक भुट्टो परिवार के पुरखों की याद आती है. पाकिस्तान की राजनीति और सरकार में प्रमुख भूमिका निभाने वाले भुट्टो परिवार के पुरखे कभी इसी गांव में रहा करते थे. वक्त की मार से भारत और पाकिस्तान बंटवारे जरूर हो गए, लेकिन अपनी पुरखों की जमीन छोड़कर पाकिस्तान को अपनी रिहाइश बनाने वाले भुट्टो परिवार की दरियादिली के किस्से आज भी पहरसर गांव के हर लोगों की जुबान पर है.

राजस्थान में है बेनजीर भुट्टो की पुश्तैनी हवेली

पढ़ें - अजमेर का यह परिवार 46 सालों से बकरा पालकर देता आ रहा है कुर्बानी
हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा तनाव रहा है, लेकिन पाकिस्तान की सियासत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भुट्टो परिवार का संबंध राजस्थान के भरतपुर से रहा है. पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रही बेनजीर भुट्टो व प्रधानमंत्री रहे उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो और उनके पूर्वज भरतपुर जिले के पहरसर गांव के निवासी थे.


बता दें कि1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद भुट्टो परिवार पहरसर गांव से पाकिस्तान चले गए और वहां जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1967 में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की स्थापना की. पार्टी की स्थापना के कुछ वर्ष बाद पार्टी सत्ता में आई और जुल्फिकार अली भुट्टो प्रधानमंत्री बने. बाद में उनकी पुत्री बेनजीर भुट्टो भी पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी.

पढ़ें - ये बात दिल में चुभ गई, तभी सोचा कुछ करके दिखाना है...अध्यक्ष पद की तैयारी कर रहे दृष्टिबाधित छात्र का दर्द
बेनजीर भुट्टो के पूर्वजों की हवेली भरतपुर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर आगरा-जयपुर नेशनल हाईवे-21 से सटे हुए पहरसर गांव में स्थित है. भुट्टो परिवार भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले यहां रहते थे और आज भी उनकी हवेली वहीं मौजूद है. उनकी हवेली में अभी तक कुछ भी बदलाव नहीं किया गया है. हालांकि बंटवारे के बाद यह हवेली सरकार ने भरतपुर के अंतिम महाराजा सवाई बृजेन्द्र सिंह को सौंप दी थी, बाद में महाराजा ने इस हवेली को एक निजी कंपनी को बेच दिया.


बता दें कि आज वह निजी कंपनी भुट्टो परिवार की इस हवेली को हेरिटेज होटल में रूप में संचालित कर रही है, जहां देश-विदेशों से आने वाले पर्यटक इस हवेली को देखते हैं और यहां रुकते हैं. पहरसर गांव के बिल्कुल बीच में स्थित इस हवेली में जाने के लिए गांव से होकर गुजरना पड़ता है. आज भी इस गांव में करीब 90 वर्ष की उम्र के बुजूर्ग लोग जीवित हैं, जिन्होंने बताया कि पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रही बेनजीर भुट्टो के पूर्वज यहां रहते थे लेकिन बंटवारे के बाद वे पाकिस्तान चले गए.

पढ़ें - जयपुर: चाकसू में फाटक तोड़ती हुई जीप इंदौर-जयपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस से टकराई...उड़े परखच्चे​​​​​​​
बुजूर्ग ग्रामीणों ने बताया कि भुट्टो परिवार काफी मिलनसार थे, जो गांव वालों के साथ प्रेम से रहते थे और गांव वालों के साथ हर कार्यक्रम में सरीक होते थे . ग्रामीणों का कहना है कि बेनजीर भुट्टो के पिता, दादा और नाना को उन्होंने देखा है, लेकिन बेनजीर भुट्टो की उनको याद नहीं है. बता दें कि पहरसर गांव छोटा होने के बाद भी भुट्टो परिवार की इस हवेली के कारण काफी विख्यात है, वहीं गांव इतिहास की काफी याद को संजोए हुए है.


गांव में एक मजार भी है स्थित


पहरसर गांव में हवेली से कुछ ही दूरी पर एक मजार भी स्थित है, जो करीब 142 वर्ष पुरानी बताई जा रही है. जानकारी के अनुसार गांव में भुट्टो परिवार ने हवेली का निर्माण 1840 में कराया था. इस हवेली ने ब्रिटिश हुकूमत भी देखी तो बंटवारे को भी देखा लेकिन इस हवेली की सुंदरता और बनावट बेहद सुंदर और मजबूत है.

भरतपुर. जिले के पहरसर गांव का पाकिस्तान से खास रिश्ता है. इस गांव में एक ऐसी हवेली है जिसे देखकर आज भी गांव के लोगों को पाकिस्तान के पूर्व शासक भुट्टो परिवार के पुरखों की याद आती है. पाकिस्तान की राजनीति और सरकार में प्रमुख भूमिका निभाने वाले भुट्टो परिवार के पुरखे कभी इसी गांव में रहा करते थे. वक्त की मार से भारत और पाकिस्तान बंटवारे जरूर हो गए, लेकिन अपनी पुरखों की जमीन छोड़कर पाकिस्तान को अपनी रिहाइश बनाने वाले भुट्टो परिवार की दरियादिली के किस्से आज भी पहरसर गांव के हर लोगों की जुबान पर है.

राजस्थान में है बेनजीर भुट्टो की पुश्तैनी हवेली

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हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा तनाव रहा है, लेकिन पाकिस्तान की सियासत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भुट्टो परिवार का संबंध राजस्थान के भरतपुर से रहा है. पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रही बेनजीर भुट्टो व प्रधानमंत्री रहे उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो और उनके पूर्वज भरतपुर जिले के पहरसर गांव के निवासी थे.


बता दें कि1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद भुट्टो परिवार पहरसर गांव से पाकिस्तान चले गए और वहां जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1967 में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की स्थापना की. पार्टी की स्थापना के कुछ वर्ष बाद पार्टी सत्ता में आई और जुल्फिकार अली भुट्टो प्रधानमंत्री बने. बाद में उनकी पुत्री बेनजीर भुट्टो भी पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी.

पढ़ें - ये बात दिल में चुभ गई, तभी सोचा कुछ करके दिखाना है...अध्यक्ष पद की तैयारी कर रहे दृष्टिबाधित छात्र का दर्द
बेनजीर भुट्टो के पूर्वजों की हवेली भरतपुर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर आगरा-जयपुर नेशनल हाईवे-21 से सटे हुए पहरसर गांव में स्थित है. भुट्टो परिवार भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले यहां रहते थे और आज भी उनकी हवेली वहीं मौजूद है. उनकी हवेली में अभी तक कुछ भी बदलाव नहीं किया गया है. हालांकि बंटवारे के बाद यह हवेली सरकार ने भरतपुर के अंतिम महाराजा सवाई बृजेन्द्र सिंह को सौंप दी थी, बाद में महाराजा ने इस हवेली को एक निजी कंपनी को बेच दिया.


बता दें कि आज वह निजी कंपनी भुट्टो परिवार की इस हवेली को हेरिटेज होटल में रूप में संचालित कर रही है, जहां देश-विदेशों से आने वाले पर्यटक इस हवेली को देखते हैं और यहां रुकते हैं. पहरसर गांव के बिल्कुल बीच में स्थित इस हवेली में जाने के लिए गांव से होकर गुजरना पड़ता है. आज भी इस गांव में करीब 90 वर्ष की उम्र के बुजूर्ग लोग जीवित हैं, जिन्होंने बताया कि पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रही बेनजीर भुट्टो के पूर्वज यहां रहते थे लेकिन बंटवारे के बाद वे पाकिस्तान चले गए.

पढ़ें - जयपुर: चाकसू में फाटक तोड़ती हुई जीप इंदौर-जयपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस से टकराई...उड़े परखच्चे​​​​​​​
बुजूर्ग ग्रामीणों ने बताया कि भुट्टो परिवार काफी मिलनसार थे, जो गांव वालों के साथ प्रेम से रहते थे और गांव वालों के साथ हर कार्यक्रम में सरीक होते थे . ग्रामीणों का कहना है कि बेनजीर भुट्टो के पिता, दादा और नाना को उन्होंने देखा है, लेकिन बेनजीर भुट्टो की उनको याद नहीं है. बता दें कि पहरसर गांव छोटा होने के बाद भी भुट्टो परिवार की इस हवेली के कारण काफी विख्यात है, वहीं गांव इतिहास की काफी याद को संजोए हुए है.


गांव में एक मजार भी है स्थित


पहरसर गांव में हवेली से कुछ ही दूरी पर एक मजार भी स्थित है, जो करीब 142 वर्ष पुरानी बताई जा रही है. जानकारी के अनुसार गांव में भुट्टो परिवार ने हवेली का निर्माण 1840 में कराया था. इस हवेली ने ब्रिटिश हुकूमत भी देखी तो बंटवारे को भी देखा लेकिन इस हवेली की सुंदरता और बनावट बेहद सुंदर और मजबूत है.

Intro:भरतपुर

Summery- बेनज़ीर भुट्टो की हवेली भरतपुर जिले के पहरसर गाँव मे है स्थित, बेनज़ीर भुट्टो के पूर्वज रहते थे इस हवेली में, बटवारें के बाद चले गए पाकिस्तान, गाँव के लोगो से मिल जुल कर रहता था बेनज़ीर भुट्टो का परिवार

एंकर - हालाँकि भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा तनाव रहा है लेकिन पाकिस्तान की सियासत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भुट्टो परिवार का सम्बन्ध राजस्थान के भरतपुर से रहा है जहाँ पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो व् प्रधानमंत्री रहे उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो व् उनके पूर्वज यहाँ भरतपुर के गाँव पहरसर में निवासी थे जो यहाँ रहते थे लेकिन 1947 में भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद भुट्टो परिवार यहाँ से पाकिस्तान चला गया और वहां जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1967 में पाकिस्तान पीयूपिल पार्टी की स्थापना की जो कुछ वर्ष बाद सत्ता में आयी और जुल्फिकार भुट्टो प्रधानमंत्री बने बाद में उनकी पुत्री बेनजीर भुट्टो भी पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रही | 
बेनजीर भुट्टो के पूर्वजों की हवेली भरतपुर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर आगरा जयपुर नेशनल हाईवे-21 से सटे हुए पहरसर गाँव में स्थित है जहाँ भुट्टो परिवार रहता था और आज भी उनकी वहीँ हवेली मौजूद है जहाँ बेनजीर भुट्टो के फोटो भी लगे हुए है और उनकी हवेली के रूप में कुछ भी बदलाव नहीं किया गया है हालाँकि बंटवारे के बाद यह हवेली सरकार ने भरतपुर के अंतिम महाराजा सवाई बृजेन्द्र सिंह को सौंप दी थी बाद में महाराजा ने इस हवेली को एक निजी कंपनी को बेच दिया और आज एक निजी कंपनी इस हवेली को हेरिटेज होटल में रूप में संचालित करती है जहाँ देश विदेशों से पर्यटक इस हवेली को निहारते है व् यहाँ रुकते है | 
पहरसर गाँव के बिलकुल बीच में स्थित इस हवेली को बीच गाँव से होकर गुजरना पड़ता है जहाँ आपको रास्ते में पशुओं का गोवर भी पड़ा मिलता है लेकिन हवेली के अंदर घुसकर पता चलता है की यह हवेली कितनी आलिशान बनी हुई है | 
आज भी इस गाँव में करीब 90 वर्ष की उम्र के बुजुर्ग लोग जीवित है जिन्होंने बताया की पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रही बेनजीर भुट्टों के पूर्वज यहाँ रहते थे उनके दादा,पिता और नाना व् उनके पहले के पूर्वज यहाँ रहते थे लेकिन बंटवारे के बाद वे यहाँ से पाकिस्तान चले गए | बुजुर्ग ग्रामीणों ने बताया की भुट्टो परिवार काफी मिलनसार थे जो गाँव वालों के साथ प्रेम से रहते थे और सभी के दुःख दर्द में भागीदार रहते थे सभी लोग उनकी हवेली में जाते व् वे भी गाँव वालों के साथ हर कार्यक्रम में सरीक होते थे | 
इसी गाँव में हवेली से कुछ ही दूरी पर एक मजार भी स्थित है जो करीब 142 वर्ष पुरानी बताई जा रही है | जानकारी के मुताविक इस गाँव में भुट्टो परिवार ने हवेली का निर्माण 1840 में कराया था और इस हवेली ने ब्रिटिश हुकूमत भी देखी तो बंटवारे को भी देखा लेकिन इस हवेली की सुंदरता व् बनावट बेहद सुन्दर और मजबूत है | 
ग्रामीणों का कहना है की बेनजीर भुट्टो के पिता,दादा और नाना को उन्होंने देखा है जो गाँव में रहते थे और सभी के साथ मिलकर रहते थे लेकिन बेनजीर भुट्टो की उनको याद नहीं है | पहरसर गाँव हालाँकि छोटा जरूर है लेकिन भुट्टो परिवार की इस हवेली के कारण यह गाँव काफी विख्यात भी है जो इतिहास की काफी याद को संजोये हुए है | इस गाँव में अब उस समय के बुजुर्ग लोग काफी कम ही जीवित है जिनको भुट्टो परिवार के सदस्यों के बारे में पता है जो उनके साथ रहते थे |
बाइट- रोशन लाल, ग्रामीण
बाइट- रमेश, ग्रामीण
सुजीत शर्मा, होटल मैनेजर




Body:पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रही बेनजीर भुट्टो का छोटा सा गाँव व् उनकी हवेली आज भी सैकड़ों वर्षों बाद बनी हुई है मजबूत 


Conclusion:
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