भरतपुर. सुप्रीम कोर्ट के रामलला के मंदिर को लेकर फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर को लेकर रास्ता साफ हो गया है. ऐसे में भरतपुर जिले के बंसी पहाड़पुर में पत्थर व्यापारियों में भी हलचल तेज हो गई है. क्योंकि मंदिर निर्माण के लिए 60 फीसदी पत्थर बंसी पहाड़पुर से ही जाना है. जिसके लिए पत्थर व्यापारी और मजदूर काम में जुटे हुए है. मतलब लगभग 2.5 घन फीट पत्थर बंसी पहाड़पुर का लगाया जाएगा. वहीं अभी तक करीब 01 लाख घन पत्थर की आपूर्ति की जा चुकी है. बंसी पहाड़पुर के अलावा सिरोही के पिंडवाड़ा से भी मंदिर निर्माण के लिए पत्थर भेजा जा रहा है.
ये है बंसी पहाड़पुर के पत्थर की खासियत
बंसी पहाड़पुर का पत्थर की खासियत है कि ये 5 हजार साल तक जिंदा रह सकता है. इसलिए बंसी पहाड़पुर का पत्थर अपनी पहचान बनाये हुए है. यहां के पत्थर में और पत्थरों के मुकाबले ज्यादा भार सहने की क्षमता होती है. बंसी पहाड़पुर का पत्थर संसद, लालकिला, बुलंद दरवाज़ा, अक्षरधाम सहित इस्कॉन टेंपल में भी लगा हुआ है. इस पत्थर की खासियत है कि जितनी बारिश हो उससे पत्थर में और भी ज्यादा निखार आता है.
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पत्थरों पर नक्काशी का काम शुरू
वहीं पत्थर की खदानों पर काम कर रहे मजदूरों ने बताया कि राम मंदिर के निर्माण के लिए पत्थर नक्काशी का काम शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि यहां के पत्थर की विदेश तक मांग है. मजदूरों ने बताया कि राजा-महाराजाओं के किले और महल यहीं के पत्थर के बने हुए है और मजदूर पत्थर पर नक्काशी उकेरने का काम इंजीनियर के निर्देश के अनुसार करते है. उन्होंने बताया बंसी पहाड़पुर से रोजाना करीब 20 ट्रॉली पत्थर मंदिर निर्माण के लिए भेजे जाएंगे और इस मंदिर को बनाने में करीब 2 साल 06 महीने का समय लगेगा.
राम मंदिर आंदोलन के वक्त भरतपुर से गई थी रामशिलाएं
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान भरतपुर से राम शिला पूजन के लिए श्रीराम लिखी ईंट भरतपुर के भट्टों में तैयार हुई थी. बताया जाता है कि आरएसएस के तत्कालीन विभाग संघ चालक सीताराम अग्रवाल ईंट भट्टों के बड़े कारोबारी थे. उनके भट्टों में गुप्त रूप से रामशिला ईंटों का निर्माण हुआ था.