भरतपुर. अपनों से बिछड़कर लावारिस जीवन बिताने वाले लोगों की ईश्वर से बस एक ही कामना रहती है कि कैसे भी वो फिर से अपनों तक पहुंच जाएं. ऐसे ही लावारिसों को अपनों जैसा प्यार देने वाले 'अपना घर आश्रम' के संस्थापक डॉक्टर बी एम भारद्वाज न केवल उनकी देखभाल करते हैं बल्कि फिर से इन्हें अपनों तक पहुंचाने का जिम्मा भी बखूबी निभाते हैं. इस नेक काम में अपना घर आश्रम और लावारिस लोगों के लिए सबसे बड़ा 'सेतु' का काम करता है सोशल मीडिया. अपना घर आश्रम ने अब तक सोशल मीडिया के माध्यम से बीते 4 साल में करीब 6 हजार लोगों को अपनों से मिलवाया है.
भारद्वाज ने बताया कि अपना घर आश्रम में आने वाले असहाय, लावारिस लोगों को अपनों जैसा ही प्यार और देखभाल दी जाती है. लेकिन जीवन में अपनों का कोई विकल्प नहीं है. इसलिए आश्रम में आने वाले प्रभुजनों को अपनों तक पहुंचाने का भरपूर प्रयास किया जाता है.
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि पहले आश्रम में पहुंचने वाले असहाय लोगों को अपनों तक पहुंचाने के लिए पुलिस और पंचायत का सहारा लिया जाता था. उनके बताए हुए पते पर पत्र भेजे जाते थे और उसके बाद पता चलने पर उन्हें अपनों से मिलवाया जाता था. लेकिन जब से स्मार्टफोन का चलन बढ़ा है, तब से असहाय लोगों को अपना तक पहुंचाने का रास्ता आसान हो गया है.
सोशल मीडिया ऐसे बना सहारा
डॉक्टर बी एम भारद्वाज ने बताया कि फेसबुक पर Missing Apna Ghar और Apna Ghar Ashram पेज बना रखा है. अपना घर आश्रम लाए जाने वाले असहाय लोगों की वीडियो इन दोनों पेजों पर अपलोड की जाती है. साथ ही व्हाट्सएप ग्रुपों में भी जानकारी शेयर की जाती है. फेसबुक पेज पर वीडियो अपलोड होते ही पूरे देश के अलग-अलग राज्यों में मौजूद अपना घर आश्रम की टीम और उससे जुड़े हुए लोग ऐसे लोगों के परिवार और घर का पता लगाने के लिए जुट जाते हैं.
4 साल में 9 हजार लोगों को घर पहुंचाया
डॉ. बी एम भारद्वाज ने बताया कि इस वर्ष करीब 2200 लोगों को अपने घरों तक पहुंचा कर पुनर्वासित किया गया है, जिनमें से करीब 1500 लोग ऐसे हैं जिनको फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से अपनों तक पहुंचाया जा सका. इतना ही नहीं बीते 4 साल में करीब 9000 लोगों को पुनर्वासित किया गया, जिनमें से करीब 6000 लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अपनों तक पहुंचे.
गौरतलब है कि नेपाल समेत पूरे देशभर में अपना घर आश्रम की 36 शाखाएं संचालित हैं, जिनमें हजारों लावारिस लोग निवासरत हैं. आश्रम में इनकी अपनों जैसी देखभाल की जाती है. इनमें से हजारों लोगों को अपना घर आश्रम प्रबंधन अपने घरों तक पहुंचा चुका है.
केस-1
55 वर्षीय गुलकंदी देवी कोकिलावन से वर्ष 2018 में अपना घर आश्रम लाई गईं. अपना घर आश्रम प्रवेश के दौरान उनका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया. 3 वर्ष बाद उनके परिजन सोशल मीडिया पर उनका वीडियो देखकर भरतपुर के अपना घर आश्रम आए और 6 जुलाई 2021 को परिजन गुलकंदी को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर स्थित अपने घर लेकर चले गए.
केस-2
50 वर्षीय भूमा उर्फ पूरन देई को 13 मार्च 2021 को तमिलनाडु के वेल्लापुरम से भरतपुर की अपना घर आश्रम लाया गया. उस समय नाम और पहचान के साथ उनका फोटो और वीडियो फेसबुक पेज पर अपलोड किया गया. 4 महीने बाद ही परिजनों को सोशल साइट के माध्यम से पूरन देई के बारे में जानकारी मिली और वो 5 जुलाई 2021 को भरतपुर के अपना घर आश्रम पहुंचकर उन्हें अपने साथ घर ले गए.
केस-3
45 वर्षीय दिनेश को 2 अगस्त 2021 को दिल्ली से भरतपुर के अपना घर आश्रम लाया गया. फेसबुक पेज पर अपलोड की गई वीडियो से परिजनों को जानकारी मिली और सिर्फ 24 दिन बाद 26 अगस्त 2021 को दिनेश को लेने के लिए उनके परिजन भरतपुर के अपना घर आश्रम पहुंच गए. दिनेश को खुशी-खुशी अपने साथ घर ले गए.