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भरतपुरः सेवा और शिक्षा का मंदिर बना 'अपना घर आश्रम', स्मार्ट क्लास में होती है पढ़ाई

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Published : Apr 27, 2020, 5:13 PM IST

Updated : Apr 27, 2020, 7:32 PM IST

भरतपुर के अपना घर आश्रम इन दिनों सेवा मंदिर के साथ-साथ शिक्षा की भी मंदिर बना हुआ है. कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन के बीच जहां असहाय, निराश्रित और लावारिस लोगों की पूरे समर्पण के साथ सेवा और देखभाल की जा रही है. वहीं, यहां पर निवासरत 115 बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो इसका भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है.

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सेवा और शिक्षा का मंदिर बना 'अपना घर आश्रम',

भरतपुर. जिले के बझेरा में स्थित अपना घर आश्रम सेवा के साथ ही इन दिनों शिक्षा का भी मंदिर बना हुआ है. कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन के बीच जहां असहाय, निराश्रित और लावारिस लोगों की पूरे समर्पण के साथ सेवा और देखभाल की जा रही है. वहीं, यहां पर निवासरत 115 बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो इसका भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है. संक्रमण से बचाव के पुख्ता इंतजामात के बीच यहां पूरे एहतियात के साथ बच्चों को नियमित रूप से स्मार्ट क्लासेस के माध्यम से शिक्षा भी दी जा रही है.

सेवा और शिक्षा का मंदिर बना 'अपना घर आश्रम',
रोग से सुरक्षा के लिए कराते हैं योग...

आश्रम की संस्थापक डॉ. माधुरी भारद्वाज ने बताया, कि परिसर में इस समय 115 बच्चे निवासरत हैं. संक्रमण से बचाव के लिए बच्चों के लिए मास्क उपलब्ध कराए गए हैं. साथ ही बाल सदन में नियमित रूप से सैनिटाइजेशन कराया जाता है. इनको संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से योग टीचर द्वारा सुबह के वक्त योगा कराया जाता है. साथ ही बच्चों को पौष्टिक भोजन कराया जाता है और खानपान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है.

पढ़ेंः एडवोकेट ने 'देहदान' की जताई इच्छा, पत्नी ने कहा- पति के फैसले पर गर्व महसूस करती हूं

एक माह से आश्रम में रहकर दे रहे शिक्षा...

डॉ. माधुरी भारद्वाज ने बताया, कि कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल पूरी तरह से बंद है. इसलिए आश्रम के बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे थे. साथ ही उन्हें आश्रम में ही शिक्षा देना भी मुश्किल था. ऐसे में 2 शिक्षकों को बीते 1 माह से आश्रम में ही निवास कराया जा रहा है, ये शिक्षक सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराते हुए बच्चों को दूर-दूर बैठाकर स्मार्ट क्लासेज में नियमित शिक्षा दे रहे हैं. डॉ माधुरी भारद्वाज ने बताया, कि बच्चों के खेलने और भोजन करने के समय भी सोशल डिस्टेंसिंग की पूर्ण पालना कराई जाती है. इतना ही नहीं यदि किसी बच्चे का स्वास्थ्य खराब होता है तो आश्रम में ही उपचार देने की व्यवस्था भी की गई है.

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स्मार्ट क्लास में होती है पढ़ाई
गौरतलब है, कि अपना घर आश्रम में 3000 से अधिक निराश्रित लावारिस और असहाय प्रभुजन रह रहे हैं. इनमें 115 बच्चे शामिल हैं, जो कि यहां के बाल सदन में रहते हैं. कोरोना संक्रमण के इस दौर में भी इन बच्चों की स्वास्थ्य और शिक्षा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है.

भरतपुर. जिले के बझेरा में स्थित अपना घर आश्रम सेवा के साथ ही इन दिनों शिक्षा का भी मंदिर बना हुआ है. कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन के बीच जहां असहाय, निराश्रित और लावारिस लोगों की पूरे समर्पण के साथ सेवा और देखभाल की जा रही है. वहीं, यहां पर निवासरत 115 बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो इसका भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है. संक्रमण से बचाव के पुख्ता इंतजामात के बीच यहां पूरे एहतियात के साथ बच्चों को नियमित रूप से स्मार्ट क्लासेस के माध्यम से शिक्षा भी दी जा रही है.

सेवा और शिक्षा का मंदिर बना 'अपना घर आश्रम',
रोग से सुरक्षा के लिए कराते हैं योग...

आश्रम की संस्थापक डॉ. माधुरी भारद्वाज ने बताया, कि परिसर में इस समय 115 बच्चे निवासरत हैं. संक्रमण से बचाव के लिए बच्चों के लिए मास्क उपलब्ध कराए गए हैं. साथ ही बाल सदन में नियमित रूप से सैनिटाइजेशन कराया जाता है. इनको संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से योग टीचर द्वारा सुबह के वक्त योगा कराया जाता है. साथ ही बच्चों को पौष्टिक भोजन कराया जाता है और खानपान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है.

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एक माह से आश्रम में रहकर दे रहे शिक्षा...

डॉ. माधुरी भारद्वाज ने बताया, कि कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल पूरी तरह से बंद है. इसलिए आश्रम के बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे थे. साथ ही उन्हें आश्रम में ही शिक्षा देना भी मुश्किल था. ऐसे में 2 शिक्षकों को बीते 1 माह से आश्रम में ही निवास कराया जा रहा है, ये शिक्षक सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराते हुए बच्चों को दूर-दूर बैठाकर स्मार्ट क्लासेज में नियमित शिक्षा दे रहे हैं. डॉ माधुरी भारद्वाज ने बताया, कि बच्चों के खेलने और भोजन करने के समय भी सोशल डिस्टेंसिंग की पूर्ण पालना कराई जाती है. इतना ही नहीं यदि किसी बच्चे का स्वास्थ्य खराब होता है तो आश्रम में ही उपचार देने की व्यवस्था भी की गई है.

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स्मार्ट क्लास में होती है पढ़ाई
गौरतलब है, कि अपना घर आश्रम में 3000 से अधिक निराश्रित लावारिस और असहाय प्रभुजन रह रहे हैं. इनमें 115 बच्चे शामिल हैं, जो कि यहां के बाल सदन में रहते हैं. कोरोना संक्रमण के इस दौर में भी इन बच्चों की स्वास्थ्य और शिक्षा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है.
Last Updated : Apr 27, 2020, 7:32 PM IST
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