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स्पेशल स्टोरीः गौ तस्करी के लिए बदनाम अलवर में युवाओं की एक विरपीत पहल, गौ सेवा में समर्पित किया अपना जीवन

अलवर में सबसे ज्यादा गौ तस्करी और मॉब लिंचिंग के मामले सामने आते हैं. यहां तस्कर खुलेआम गायों को वाहनों में भरकर लेकर जाते हैं. इन सबके बीच यहां के कुछ युवा गायों की सेवा करने और प्रकृति को बचाने में लगे हुए हैं. आइए जानते हैं शहर के इन युवाओं की समाज सेवा का पूरा हाल.

गौ सेवा स्टोरी, cow service story
गौ सेवा में समर्पित जीवन
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Published : Jan 2, 2020, 10:38 PM IST

अलवर. गौ तस्करी और मॉब लिंचिंग के लिए बदनाम हो चुके अलवर में एक विपरीत ही नजारा देखने को मिल रहा है. शहर के युवा गायों और प्रकृति को बचाने में लगे हैं. इतना ही नहीं इन पढ़े लिखे युवाओं ने अपना जीवन गोरक्षा में प्रकृति के नाम कर दिया है.

अलवर के ये प्रकृति प्रेमी गायों का इलाज करने के साथ ही, एंबुलेंस की मदद से उनको लेकर आने, गौशाला में रखने और उनकी देखरेख करने सहित सभी कार्य करते हैं. इसके अलावा युवा प्रकृति को बचाने के लिए लगातार पेड़ लगा रहे हैं और अन्य जीव जंतुओं पर भी कार्य कर रहे हैं.

युवाओं ने गौ सेवा में समर्पित किया अपना जीवन

आए दिन गाय और अन्य जीव जंतुओं की बेकद्री के मामले सामने आते हैं. हादसों के दौरान घायल होने वाली गायों और अन्य जीव-जंतुओं को लोग सड़क के किनारे पटक कर चले जाते हैं. जो गायें दूध नहीं देतीं हैं, उन गायों को उनके मालिक सड़क पर खुला छोड़ देते हैं. ऐसी गायों को खल्लर गाय कहा जाता है. इन हालातों को देखते हुए अलवर के कुछ युवाओं ने गौ जीव सेवा संस्था के नाम से एक समिति बनाई. जिसके तहत ये लोग हादसों में घायल होने वाली गाय या किसी बीमारी से परेशान होने वाले जीव जंतुओं को भवानी चौराहे के पास बने पशु चिकित्सालय में लाकर, वहां पड़ी खाली जमीन पर उनका इलाज करते हैं.

पढ़ें: Special: करौली की 'गजक', इसके जायके की खुशबू महकती है विदेशों तक

5 साल पहले शुरू हुई संस्था की ओर से उस जगह पर जीव जंतुओं को रखने के लिए अस्थाई चारदीवारी, टीन शेड, इलाज के लिए अलग से अस्पताल, गंभीर जंतुओं को रखने के लिए अलग से व्यवस्था, सहित उनके भोजन के लिए रसोई घर भी बनाया गया है. इतना ही नहीं सर्दी के मौसम में गायों को सर्दी नहीं लगे उसके लिए हीटर और अलग से लाइट की व्यवस्था भी की गई है.

युवाओं ने गौ सेवा में समर्पित किया अपना जीवन

इसी तरह से गर्मी के मौसम में कूलर और पंखे भी लगाए जाते हैं. वहीं जीव जंतुओं को चिकित्सालय तक लाने में खासी परेशानी आती थी. ऐसे में युवाओं ने मिलकर लोगों के जन सहयोग से एक एंबुलेंस भी तैयार करवाई है. यह आधुनिक एंबुलेंस अलवर में पहली ऐसी एंबुलेंस है, जिसमें हाइड्रोलिक मशीन लगी हुई है. इस मशीन से जीव जंतुओं को उठाकर एंबुलेंस पर रखने सहित कार्य आसानी से हो जाते हैं.

वहीं संस्था को शुरू करने वाले युवा महेंद्र सैनी ने बताया कि उन्होंने बीटेक तक पढ़ाई कर रखी है. लेकिन उसके बाद अचानक जीव जंतुओं की होने वाली बेकद्री को देखते हुए, उन्होंने उनकी सेवा करने का फैसला लिया. वो नौकरी के साथ ही इस कार्य को करते हैं. साथ ही युवा विपिन योगी ने बताया कि उनकी संस्था जीव-जंतुओं का इलाज करने के अलावा उनको रखने और उनके खाने सहित अन्य व्यवस्थाएं भी करती है. अभी तक सैकड़ों जीव-जंतुओं का उनकी ओर से इलाज किया गया है.

पढ़ें: स्पेशल: खुले आसमान के नीचे बीत रही रैन...बसेरे का नहीं है इंतजाम

आपको बता दें कि उनकी गौशाला में 100 से अधिक गाय, कुत्ते, बैल सहित अन्य जीव हैं. पुलिस में नौकरी करने वाले मनोज नाम के युवा ने बताया कि वे नौकरी के बाद अपना समय यहां देते हैं. यहां उनको बड़ा ही सुकून मिलता है. इस तरह से बड़ी संख्या में युवा सेवा भाव से वहां आते हैं और काम करते हैं. वहीं युवाओं के साथ इलाज में मदद करने वाले पशु चिकित्सक डॉक्टर आरके सक्सेना ने बताया कि नौकरी से सेवानिवृत्ति होने के बाद, वो लगातार इस तरह का कार्य करने की सोच रहे थे. क्योंकि आए दिन जीव जंतुओं की बेकद्री के मामले सामने आते हैं. इससे उन को खासी परेशानी होती है.

जनभागीदारी से चलने वाले इस कार्य में जीव जंतुओं का सुबह-शाम खाना तैयार होता है. जिसमें बाजरा सहित अन्य कई चीजें बनाई जाती हैं. इसके अलावा संस्था की तरफ से वहां कई कार्य भी कराए जा रहे हैं. जैसे आम लोगों के लिए प्याऊ, मंदिर, गौशाला में कमी को देखते हुए अतिरिक्त टीन शेड और अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं. वहां आने वाले लोगों को गायों से जोड़ने और गायों के संबंधित जानकारी देने के लिए कई तरह की पेंटिंग भी बनाई गईं हैं. इसमें भगवान कृष्ण के जन्म से लेकर उनके पूर्ण जीवन को भी दर्शाया गया है. अलवर की यह संस्था राजस्थान ही नहीं पूरे देश में एक मिसाल बनकर उभर रही है.

अलवर. गौ तस्करी और मॉब लिंचिंग के लिए बदनाम हो चुके अलवर में एक विपरीत ही नजारा देखने को मिल रहा है. शहर के युवा गायों और प्रकृति को बचाने में लगे हैं. इतना ही नहीं इन पढ़े लिखे युवाओं ने अपना जीवन गोरक्षा में प्रकृति के नाम कर दिया है.

अलवर के ये प्रकृति प्रेमी गायों का इलाज करने के साथ ही, एंबुलेंस की मदद से उनको लेकर आने, गौशाला में रखने और उनकी देखरेख करने सहित सभी कार्य करते हैं. इसके अलावा युवा प्रकृति को बचाने के लिए लगातार पेड़ लगा रहे हैं और अन्य जीव जंतुओं पर भी कार्य कर रहे हैं.

युवाओं ने गौ सेवा में समर्पित किया अपना जीवन

आए दिन गाय और अन्य जीव जंतुओं की बेकद्री के मामले सामने आते हैं. हादसों के दौरान घायल होने वाली गायों और अन्य जीव-जंतुओं को लोग सड़क के किनारे पटक कर चले जाते हैं. जो गायें दूध नहीं देतीं हैं, उन गायों को उनके मालिक सड़क पर खुला छोड़ देते हैं. ऐसी गायों को खल्लर गाय कहा जाता है. इन हालातों को देखते हुए अलवर के कुछ युवाओं ने गौ जीव सेवा संस्था के नाम से एक समिति बनाई. जिसके तहत ये लोग हादसों में घायल होने वाली गाय या किसी बीमारी से परेशान होने वाले जीव जंतुओं को भवानी चौराहे के पास बने पशु चिकित्सालय में लाकर, वहां पड़ी खाली जमीन पर उनका इलाज करते हैं.

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5 साल पहले शुरू हुई संस्था की ओर से उस जगह पर जीव जंतुओं को रखने के लिए अस्थाई चारदीवारी, टीन शेड, इलाज के लिए अलग से अस्पताल, गंभीर जंतुओं को रखने के लिए अलग से व्यवस्था, सहित उनके भोजन के लिए रसोई घर भी बनाया गया है. इतना ही नहीं सर्दी के मौसम में गायों को सर्दी नहीं लगे उसके लिए हीटर और अलग से लाइट की व्यवस्था भी की गई है.

युवाओं ने गौ सेवा में समर्पित किया अपना जीवन

इसी तरह से गर्मी के मौसम में कूलर और पंखे भी लगाए जाते हैं. वहीं जीव जंतुओं को चिकित्सालय तक लाने में खासी परेशानी आती थी. ऐसे में युवाओं ने मिलकर लोगों के जन सहयोग से एक एंबुलेंस भी तैयार करवाई है. यह आधुनिक एंबुलेंस अलवर में पहली ऐसी एंबुलेंस है, जिसमें हाइड्रोलिक मशीन लगी हुई है. इस मशीन से जीव जंतुओं को उठाकर एंबुलेंस पर रखने सहित कार्य आसानी से हो जाते हैं.

वहीं संस्था को शुरू करने वाले युवा महेंद्र सैनी ने बताया कि उन्होंने बीटेक तक पढ़ाई कर रखी है. लेकिन उसके बाद अचानक जीव जंतुओं की होने वाली बेकद्री को देखते हुए, उन्होंने उनकी सेवा करने का फैसला लिया. वो नौकरी के साथ ही इस कार्य को करते हैं. साथ ही युवा विपिन योगी ने बताया कि उनकी संस्था जीव-जंतुओं का इलाज करने के अलावा उनको रखने और उनके खाने सहित अन्य व्यवस्थाएं भी करती है. अभी तक सैकड़ों जीव-जंतुओं का उनकी ओर से इलाज किया गया है.

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आपको बता दें कि उनकी गौशाला में 100 से अधिक गाय, कुत्ते, बैल सहित अन्य जीव हैं. पुलिस में नौकरी करने वाले मनोज नाम के युवा ने बताया कि वे नौकरी के बाद अपना समय यहां देते हैं. यहां उनको बड़ा ही सुकून मिलता है. इस तरह से बड़ी संख्या में युवा सेवा भाव से वहां आते हैं और काम करते हैं. वहीं युवाओं के साथ इलाज में मदद करने वाले पशु चिकित्सक डॉक्टर आरके सक्सेना ने बताया कि नौकरी से सेवानिवृत्ति होने के बाद, वो लगातार इस तरह का कार्य करने की सोच रहे थे. क्योंकि आए दिन जीव जंतुओं की बेकद्री के मामले सामने आते हैं. इससे उन को खासी परेशानी होती है.

जनभागीदारी से चलने वाले इस कार्य में जीव जंतुओं का सुबह-शाम खाना तैयार होता है. जिसमें बाजरा सहित अन्य कई चीजें बनाई जाती हैं. इसके अलावा संस्था की तरफ से वहां कई कार्य भी कराए जा रहे हैं. जैसे आम लोगों के लिए प्याऊ, मंदिर, गौशाला में कमी को देखते हुए अतिरिक्त टीन शेड और अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं. वहां आने वाले लोगों को गायों से जोड़ने और गायों के संबंधित जानकारी देने के लिए कई तरह की पेंटिंग भी बनाई गईं हैं. इसमें भगवान कृष्ण के जन्म से लेकर उनके पूर्ण जीवन को भी दर्शाया गया है. अलवर की यह संस्था राजस्थान ही नहीं पूरे देश में एक मिसाल बनकर उभर रही है.

Intro:अलवर
गौ तस्करी व मॉब लिंचिंग के लिए बदनाम हो चुके अलवर में युवा गायों व प्रकृति को बचाने में लगे हैं। इतना ही नहीं पढ़े लिखे युवाओं ने अपना जीवन गोरक्षा में प्रकृति के नाम कर दिया है। यह युवा गायों का इलाज करने के साथ ही एंबुलेंस की मदद से उनको लेकर आने , गौशाला में रखने व उनकी देखरेख करने सहित सभी कार्य भी करते हैं। इसके अलावा युवा प्रकृति को बचाने के लिए लगातार पेड़ लगा रहे हैं व अन्य वन्य जीव जंतुओं पर भी कार्य कर रहे हैं।


Body:अलवर में सबसे ज्यादा गौ तस्करी व मोब लिंचिंग के मामले सामने आते हैं। तस्कर अलवर में खुलेआम गायों को वाहनों में भरकर लेकर जाते हैं। तो वहीं कई बार गौ तस्कर व आम लोग आमने-सामने भी हो चुके हैं। गौ तस्करी के लिए अलवर पूरे देश में बदनाम हो चुका है। इन सबके बीच अलवर के कुछ युवा गायों की सेवा करने व प्रकृति को बचाने में लगे हुए हैं। आए दिन गाय वन्य जीव जंतु की बेकद्री के मामले सामने आते हैं। हादसों के दौरान घायल होने वाली गायों व अन्य जीव-जंतुओं को लोग सड़क के किनारे पटक कर चले जाते हैं। जो गाय दूध नहीं देती हैं। उन गायों को उनके मालिक सड़क पर खुला छोड़ देते हैं। ऐसी गायों को खल्लर गाय कहा जाता है। इन हालातों को देखते हुए अलवर के कुछ युवाओं ने गौ जीव सेवा संस्था के नाम से एक समिति बनाई व उसके बाद हादसों में घायल होने वाली गाय व किसी बीमारी से परेशान होने वाले जीव जंतुओं को लाकर भवानी चौराहे के पास पशु चिकित्सालय की खाली जमीन पर उनका इलाज करते व उनको वहां रखा जाता था। 5 साल पहले शुरू हुई संस्था द्वारा उस जगह पर जीव जंतुओं को रखने के लिए अस्थाई चारदीवारी, टीन शेड, इलाज के लिए अलग से अस्पताल, गंभीर जंतुओं को रखने के लिए अलग से व्यवस्था सहित उनको भोजन के लिए रसोई घर भी बनाई गई है। इतना ही नहीं सर्दी के मौसम में गायों को सर्दी नहीं लगे उसके लिए हीटर व अलग से लाइट की व्यवस्था की जाती है। इसी तरह से गर्मी के मौसम में कूलर पंखे लगाए जाते हैं। जीव जंतु को लाने में खासी परेशानी आती थी। ऐसे में युवाओं ने मिलकर लोगों के जन सहयोग से एक एंबुलेंस तैयार करवाई गई। यह आधुनिक एंबुलेंस अलवर में पहली ऐसी एंबुलेंस है। जिसमें हाइड्रोलिक मशीन लगी हुई है। इस मशीन से जीव जंतुओं को उठा एंबुलेंस पर रखने सहित किसी भी कार्य में कोई परेशानी नहीं होती है।


Conclusion:संस्था को शुरू करने वाले युवा महेंद्र सैनी ने बताया कि उन्होंने बीटेक तक पढ़ाई कर रखी है। लेकिन उसके बाद अचानक जीव जंतु की होने वाली बेकद्री को देखते हुए। उन्होंने उनकी सेवा करने का फैसला लिया। वो नौकरी के साथ इस कार्य को करते हैं। इतने युवा विपिन योगी ने बताया कि उनकी संस्था गायों के जीव जंतु का इलाज करने के अलावा उनको रखने उनके खाने सहित अन्य व्यवस्थाएं भी करती है। अभी तक सैकड़ों जीव-जंतुओं को उनके द्वारा इलाज किया गया है। तो वहीं उनकी गौशाला में 100 से अधिक गाय कुत्ते बैल सहित अन्य जीव हैं। पुलिस में नौकरी करने वाले मनोज नाम की युवा ने बताया कि नौकरी के बाद अपना समय यहां देते हैं व उनको बड़ा ही सुकून मिलता है। इस तरह से बड़ी संख्या में युवा सेवा भाव से वहां आते हैं व काम करते हैं। युवाओं को इलाज में मदद करने वाले पशु चिकित्सक डॉक्टर आरके सक्सेना ने बताया कि नौकरी से सेवानिवृत्ति होने के बाद वो लगातार इस तरह का कार्य करने की सोच रहे थे। क्योंकि जीव जंतुओं की आए दिन बेकद्री के मामले सामने आते हैं। इससे उन को खासी परेशानी होती है। जनभागीदारी से चलने वाले इस कार्य में जीव जंतुओं को सुबह-शाम खाना तैयार होता है। तो वह उसमें बाजरा सहित अन्य कई चीजें बनाई जाती है। इसके अलावा संस्था की तरफ से वहां कई कार्य भी कराए जा रहे हैं। आम लोगों के लिए प्याऊ मंदिर व गौशाला में कमी को देखते हुए अतिरिक्त टीन शेड व अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही है। वहां आने वाले लोगों को गायों से जोड़ने व गायों के संबंधित जानकारी देने के लिए कई तरह की पेंटिंग भी बनाई गई है। इसमें भगवान कृष्ण की जन्म से लेकर उनके पूर्ण जीवन को भी दर्शाया गया है। अलवर की यह संस्था राजस्थान ही नहीं पूरे देश में एक मिसाल बनकर उभर रही है।
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