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अलवर में खानापूर्ति बना 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान, सैंपल की रिपोर्ट आने तक बाजार में समाप्त हो जाएगी खाद्य सामग्री

अलवर सहित पूरे प्रदेश में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है. इस अभियान के तहत लिए जाने वाले सैंपल की रिपोर्ट एक से डेढ़ माह में आएगी, जब तक खाद्य सामग्री बिक चुकी होगी. कई माह पुराने मामले अभी तक लंबित हैं.

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अलवर में खानापूर्ति बना 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान
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Published : Oct 31, 2020, 7:02 AM IST

अलवर. त्योहार के सीजन में खाद्य पदार्थों की डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे में मिलावटखोर जमकर मिलावट करते हैं. मिलावट को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से शुद्ध के लिए युद्ध अभियान शुरू किया गया है, लेकिन अलवर सहित पूरे प्रदेश में यह अभियान केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है. दरसअल इस अभियान के तहत लिए जाने वाले सैंपल की रिपोर्ट एक से डेढ़ माह में आएगी, जब तक खाद्य सामग्री बिक चुकी होगी. कई माह पुराने मामले अभी तक लंबित हैं. इसलिए लगातार खाद्य पदार्थों में मिलावट होती है.

अलवर में खानापूर्ति बना 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान

अलवर सहित पूरे प्रदेश में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है. अलवर मिलावटखोरों का अड्डा बन चुका है. अलवर में सैकड़ों कारखाने हैं, जिनमें मावा, कलाकंद, पनीर और मिठाई बनाई जाती है. यह मिठाई दिल्ली सहित एनसीआर के विभिन्न हिस्सों में सप्लाई होती है. इसके अलावा अलवर के खैरतल तिजारा रामगढ़ किशनगढ़ बास भिवाड़ी क्षेत्र में खुलेआम सिंथेटिक दूध बनता है और मिलावटी मिठाई बनती है. सस्ते दामों में यह दूध और मिठाई दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, मेरठ और गाजियाबाद सहित विभिन्न शहरों में सप्लाई होती है. साल भर यह खेल चलता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आंख बंद करके चुपचाप रहते हैं.

कई बार पुलिस में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप भी लग चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी आला अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. 26 अक्टूबर से अलवर सहित पूरे प्रदेश में खाद्य पदार्थ में मिलावट रोकने के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है. इसके तहत अलवर में अब तक करीब 38 सैंपल स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा अलग-अलग जगहों से लिए गए हैं. इनमें ज्यादातर दूध से संबंधित है. इसमें दूध की कलाकंद मिठाई मावा सहित अन्य कई खाद्य पदार्थों के हैं. वैसे तो साल भर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से खाद्य पदार्थों की जांच पड़ताल नहीं की जाती है, लेकिन त्योहारों के सीजन में खानापूर्ति के लिए सैंपल लिए जाते हैं. इतना ही नहीं सैंपल की रिपोर्ट 2 से 3 माह में आती है, जब तक बाजार से खाद्य सामग्री समाप्त हो जाती है.

यह भी पढ़ें- गुर्जर आंदोलन की आग: गहलोत सरकार गुर्जर बाहुल्य जिलों में रासुका लगाने की तैयारी में

ऐसे में रिपोर्ट के बाद किसी भी तरह की कोई कार्रवाई विभाग की तरफ से नहीं होती है. बड़ी संख्या में मामले न्यायालय में लंबित है. न्याय व्यवस्था से सजा होने में भी खासा समय लगता है. इसलिए मिलावटखोर बेकाबू हो रहे हैं और आए दिन खुलेआम मिलावट करते हैं. ऐसे में साफ है कि अलवर सहित पूरे प्रदेश में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की तरफ से लगातार दावे किए जा रहे हैं. विभाग के अधिकारियों की माने तो मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रतिदिन मिलावटी सामान को नष्ट कराने की प्रक्रिया भी की जा रही है.

अलवर. त्योहार के सीजन में खाद्य पदार्थों की डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे में मिलावटखोर जमकर मिलावट करते हैं. मिलावट को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से शुद्ध के लिए युद्ध अभियान शुरू किया गया है, लेकिन अलवर सहित पूरे प्रदेश में यह अभियान केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है. दरसअल इस अभियान के तहत लिए जाने वाले सैंपल की रिपोर्ट एक से डेढ़ माह में आएगी, जब तक खाद्य सामग्री बिक चुकी होगी. कई माह पुराने मामले अभी तक लंबित हैं. इसलिए लगातार खाद्य पदार्थों में मिलावट होती है.

अलवर में खानापूर्ति बना 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान

अलवर सहित पूरे प्रदेश में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है. अलवर मिलावटखोरों का अड्डा बन चुका है. अलवर में सैकड़ों कारखाने हैं, जिनमें मावा, कलाकंद, पनीर और मिठाई बनाई जाती है. यह मिठाई दिल्ली सहित एनसीआर के विभिन्न हिस्सों में सप्लाई होती है. इसके अलावा अलवर के खैरतल तिजारा रामगढ़ किशनगढ़ बास भिवाड़ी क्षेत्र में खुलेआम सिंथेटिक दूध बनता है और मिलावटी मिठाई बनती है. सस्ते दामों में यह दूध और मिठाई दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, मेरठ और गाजियाबाद सहित विभिन्न शहरों में सप्लाई होती है. साल भर यह खेल चलता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आंख बंद करके चुपचाप रहते हैं.

कई बार पुलिस में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप भी लग चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी आला अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. 26 अक्टूबर से अलवर सहित पूरे प्रदेश में खाद्य पदार्थ में मिलावट रोकने के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है. इसके तहत अलवर में अब तक करीब 38 सैंपल स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा अलग-अलग जगहों से लिए गए हैं. इनमें ज्यादातर दूध से संबंधित है. इसमें दूध की कलाकंद मिठाई मावा सहित अन्य कई खाद्य पदार्थों के हैं. वैसे तो साल भर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से खाद्य पदार्थों की जांच पड़ताल नहीं की जाती है, लेकिन त्योहारों के सीजन में खानापूर्ति के लिए सैंपल लिए जाते हैं. इतना ही नहीं सैंपल की रिपोर्ट 2 से 3 माह में आती है, जब तक बाजार से खाद्य सामग्री समाप्त हो जाती है.

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ऐसे में रिपोर्ट के बाद किसी भी तरह की कोई कार्रवाई विभाग की तरफ से नहीं होती है. बड़ी संख्या में मामले न्यायालय में लंबित है. न्याय व्यवस्था से सजा होने में भी खासा समय लगता है. इसलिए मिलावटखोर बेकाबू हो रहे हैं और आए दिन खुलेआम मिलावट करते हैं. ऐसे में साफ है कि अलवर सहित पूरे प्रदेश में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की तरफ से लगातार दावे किए जा रहे हैं. विभाग के अधिकारियों की माने तो मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रतिदिन मिलावटी सामान को नष्ट कराने की प्रक्रिया भी की जा रही है.

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