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अलवर में जिन वेंटिलेटर पर हुए लाखों खर्च, नहीं आए काम...ज्यादातर मरीज कर दिए जाते हैं जयपुर रेफर

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Published : Jan 2, 2021, 9:22 PM IST

अलवर के स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने कोरोना के प्रभाव को देखते हुए वेंटिलेटर की व्यवस्था ठीक करने और नए वेंटिलेटर खरीदने के लिए लाखों रुपए खर्च हुए. उसके बाद भी अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में मरीजों को वेंटिलेटर से राहत नहीं मिली.

ventilator in alwar hospital, corona patient in alwar
अलवर में नहीं काम आए लाखों के वेंटिलेटर

अलवर. जिले के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में 72 वेंटिलेटर हैं, लेकिन कोरोना काल के 9 माह में अब तक केवल 25 कोरोना संक्रमित मरीजों को वेंटिलेटर सुविधा मिली है. क्योंकि ज्यादातर कोरोना के गंभीर मरीजों को इलाज के लिए जयपुर रेफर किया गया. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो राजीव गांधी सामान्य अस्पताल से 174 कोरोना संक्रमित लोगों को छुट्टी दी गई. इनमें से 30 से अधिक मरीजों के रास्ते में वे जयपुर के अस्पताल पहुंचने के बाद दम तोड़ दिया, जबकि 196 कोरोना मरीज रेफर किए जा चुके हैं.

अलवर में नहीं काम आए लाखों के वेंटिलेटर

बेकाबू संक्रमण में मरीजों के गंभीर होने के बावजूद कोरोना मरीजों को अलवर में वेंटिलेटर का लाभ नहीं मिला. सितंबर में ही 64 वेंटिलेटर थे. सामान्य अस्पताल में कोरोना संक्रमण से पहले मात्र 10 वेंटिलेटर थे. कोरोना का खतरा बढ़ा तो संस्थाओं के दान, पीएम केयर फंड सहित अन्य संस्थाओं से 62 वेंटिलेटर और आ गए. जिला अस्पताल में अब तक 50 वेंटिलेटर का उपयोग किया गया है. इसमें राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय भेजे गए 8 वेंटिलेटर भी शामिल हैं, जबकि 22 नए वेंटिलेटर अभी तक स्टोर में ही बंद रखे हुए हैं. इसमें 15 वेंटिलेटर बॉक्स में बंद हैं और 7 वेंटिलेटर संबंधित कंपनी ने स्टाल भी नहीं किए हैं, क्योंकि स्टोर में बंद वेंटिलेटर के उपयोग के लिए जिला अस्पताल में जगह नहीं हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वेंटिलेटर को कोविड मरीज व उसके परिजनों की सहमति पर ही लगाया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से साफ है कि डॉक्टर द्वारा मरीजों को वेंटिलेटर नहीं लगाया जाता है.

कोरोना मरीजों को भर्ती करने के लिए चिकनी स्थित लॉट्स डेडिकेटेड कोविड सेंटर तैयार किया गया. यहां 9 बेड के आईसीयू में वेंटिलेटर लगाए गए. अस्पताल में बेकाबू कोरोना हॉस्पिटल में 14 बेड का आईसीयू और तैयार करने की कवायद शुरू हुई, लेकिन संसाधनों के अभाव में आईसीयू तैयार नहीं हो सका. इसके बावजूद जिला अस्पताल में कोविड आईसीयू में 14 वेंटिलेटर आवंटित किए गए हैं.

पढ़ें- महिला के गर्भाशय से निकाली 8 किलो की गांठ, जयपुर के जनाना अस्पताल में हुआ सफल ऑपरेशन

अलवर जिला अस्पताल के नवनिर्मित कैजुअल्टी विंग भवन में 20 बेड का नया कोविड केयर सेंटर तैयार करने की योजना बनाई जा रही है. अभी मेडिकल में सर्जिकल आईसीयू में कोविड मरीज भर्ती किए जा रहे हैं. गंभीर हार्ट दमा सहित अन्य बीमारी के गंभीर मरीजों को भर्ती करने के लिए आईसीयू नहीं है. ऐसे में नए भवन में आईसीयू तैयार कर मेडिकल व सर्जिकल आईसीयू को कॉपी कर दिया जाएगा. जहां नया आईसीयू तैयार होने तक कुछ वेंटिलेटर यहां भी उपयोग हो सकेगा.

जिला अस्पताल में कोरोना की गंभीरता को देखते हुए शुरुआत में मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी के बजट से 34.50 लाखों रुपए की 3 वेंटिलेटर खरीदे गए, जबकि 10 पहले से थे. बाद में 4 वेंटिलेटर एसबीआई, 8 राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन, 3 भिवाड़ी, 3 डीएमएसटी, 41 वेंटिलेटर पीएम केयर्स फंड में खरीदे गए.

अलवर. जिले के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में 72 वेंटिलेटर हैं, लेकिन कोरोना काल के 9 माह में अब तक केवल 25 कोरोना संक्रमित मरीजों को वेंटिलेटर सुविधा मिली है. क्योंकि ज्यादातर कोरोना के गंभीर मरीजों को इलाज के लिए जयपुर रेफर किया गया. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो राजीव गांधी सामान्य अस्पताल से 174 कोरोना संक्रमित लोगों को छुट्टी दी गई. इनमें से 30 से अधिक मरीजों के रास्ते में वे जयपुर के अस्पताल पहुंचने के बाद दम तोड़ दिया, जबकि 196 कोरोना मरीज रेफर किए जा चुके हैं.

अलवर में नहीं काम आए लाखों के वेंटिलेटर

बेकाबू संक्रमण में मरीजों के गंभीर होने के बावजूद कोरोना मरीजों को अलवर में वेंटिलेटर का लाभ नहीं मिला. सितंबर में ही 64 वेंटिलेटर थे. सामान्य अस्पताल में कोरोना संक्रमण से पहले मात्र 10 वेंटिलेटर थे. कोरोना का खतरा बढ़ा तो संस्थाओं के दान, पीएम केयर फंड सहित अन्य संस्थाओं से 62 वेंटिलेटर और आ गए. जिला अस्पताल में अब तक 50 वेंटिलेटर का उपयोग किया गया है. इसमें राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय भेजे गए 8 वेंटिलेटर भी शामिल हैं, जबकि 22 नए वेंटिलेटर अभी तक स्टोर में ही बंद रखे हुए हैं. इसमें 15 वेंटिलेटर बॉक्स में बंद हैं और 7 वेंटिलेटर संबंधित कंपनी ने स्टाल भी नहीं किए हैं, क्योंकि स्टोर में बंद वेंटिलेटर के उपयोग के लिए जिला अस्पताल में जगह नहीं हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वेंटिलेटर को कोविड मरीज व उसके परिजनों की सहमति पर ही लगाया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से साफ है कि डॉक्टर द्वारा मरीजों को वेंटिलेटर नहीं लगाया जाता है.

कोरोना मरीजों को भर्ती करने के लिए चिकनी स्थित लॉट्स डेडिकेटेड कोविड सेंटर तैयार किया गया. यहां 9 बेड के आईसीयू में वेंटिलेटर लगाए गए. अस्पताल में बेकाबू कोरोना हॉस्पिटल में 14 बेड का आईसीयू और तैयार करने की कवायद शुरू हुई, लेकिन संसाधनों के अभाव में आईसीयू तैयार नहीं हो सका. इसके बावजूद जिला अस्पताल में कोविड आईसीयू में 14 वेंटिलेटर आवंटित किए गए हैं.

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अलवर जिला अस्पताल के नवनिर्मित कैजुअल्टी विंग भवन में 20 बेड का नया कोविड केयर सेंटर तैयार करने की योजना बनाई जा रही है. अभी मेडिकल में सर्जिकल आईसीयू में कोविड मरीज भर्ती किए जा रहे हैं. गंभीर हार्ट दमा सहित अन्य बीमारी के गंभीर मरीजों को भर्ती करने के लिए आईसीयू नहीं है. ऐसे में नए भवन में आईसीयू तैयार कर मेडिकल व सर्जिकल आईसीयू को कॉपी कर दिया जाएगा. जहां नया आईसीयू तैयार होने तक कुछ वेंटिलेटर यहां भी उपयोग हो सकेगा.

जिला अस्पताल में कोरोना की गंभीरता को देखते हुए शुरुआत में मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी के बजट से 34.50 लाखों रुपए की 3 वेंटिलेटर खरीदे गए, जबकि 10 पहले से थे. बाद में 4 वेंटिलेटर एसबीआई, 8 राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन, 3 भिवाड़ी, 3 डीएमएसटी, 41 वेंटिलेटर पीएम केयर्स फंड में खरीदे गए.

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