(भिवाड़ी) अलवर. भिवाड़ी के नांगलिया गांव में एक परिवार के दो भाइयों पर प्रकृति का ऐसा कहर टूटा कि दोनों भाई पिछले 8 साल से केवल चारपाई तक सिमट कर रह गए हैं. दरअसल, धर्मपाल और उसके भाई के पैर की नस ब्लॉक होने के कारण डॉक्टरों की राय पर धर्मपाल के दोनों पैर काट दिए गए. जबकि उसके भाई का एक पैर काट दिया गया. उसके बाद से ही दोनों भाइयों का परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है.
सिर्फ 15 सौ रुपए पेंशन के भरोसे परिवार
परिवार का खर्च सरकार से 1500 रुपए कि पेंशन और एक भैंस का दूध बेचकर चला रहे हैं. सरकार की दूसरी योजनाओं का लाभ इस परिवार को नहीं मिल पा रहा हैं. इससे उनके बच्चों को पढ़ाई भी मुश्किल से नसीब हो पा रही हैं. घर की महिलाए खुद मेहनत मजदूरी कर बच्चों का पालन पोषण कर रही है.
बीमार के चलते गंवाना पड़ा पैर
पीड़ित धर्मपाल ने बताया कि 8-9 साल पहले पैर की नस ब्लॉक होने के कारण डॉक्टरों ने जीवन बचाने के उसके दोनों पैर काट दिए थे और उसके कुछ दिनों बाद उसके भाई का एक पैर भी उस ही बीमारी की वजह से काटना पड़ा है. वार्ड के पार्षद ने अलवर ले जाकर विकलांग पेंशन बंधवा दी थी. उसके भरोसे परिवार का पालन पोषण हो रहा है.
पार्षद की मदद से मिली सरकारी पेंशन
वहीं वार्ड पार्षद दयानंद कहराना ने बताया कि दोनों भाइयों के बच्चे अभी छोटे है और घर में कमाने वाला कोई नहीं है. किसी भी एनजीओ और सरकार से पेंशन के अलावा कोई सहायता नहीं मिली है. सरकार से उम्मीद है कि इस परिवार के लिए कोई सहायता दे तो परिवार का गुजारा हो सकता है.
कौन बनेगा इस बेसहारा परिवार का सहारा
वहीं धर्मपाल ने अपनी व्यथा बताते हुए बताया कि कुछ वर्षों पहले ही कि तो बात है जब उनका परिवार गांव के उन नामचीन परिवारों में जाना जाता था कि जिनका समाज मे अपना अच्छा खासा बोलबाला था. लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि सबकुछ बदल कर रख दिया. जिससे कि आज दूसरों के सहारे है और जिम्मेदारों की ओर टकटकी लगाए देख रहे है. लेकिन किसी ने भी आज तक परिवार का हाल तक नहीं जाना.