अलवर. अरावली की मध्यम पहाड़ी श्रंखलाओं के बीच बसा है अलवर. सरिस्का जैसे फोरेस्ट रिजर्व और कई धार्मिक स्थलों वाला अलवर जिला जनसंख्या और भौलोलिग दृष्टि से बड़ा है. इस जिले में 800 से अधिक पंचायतें और ढाई हजार से ज्यादा गांव. जिले की आबादी है करीब 40 लाख. ज्यादातर लोग गांवों में रहते हैं और खेती-किसानी पर निर्भर हैं.
जब भी देश के विकास की बात होती है तो सड़कों के जाल का हवाला दिया जाता है. अरुणाचल से लेकर लद्दाख तक के उदाहरण दिए जाते हैं. स्वर्णिम चतुर्भुज और गोल्डन ट्राएंगल की बातें की जाती हैं. इन सियासी सुनहरी बातों के इतर अलवर जिले के 34 गांव ऐसे हैं जहां सड़क ही नहीं जाती. कच्चे रास्ते जाते हैं. सरकारें आईं और गईं. लेकिन आज तक इन गांवों में सड़क नहीं पहुंचा सकीं.
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सबसे ज्यादा दिक्कत होती है आंधी बारिश-तूफान में. तब गांव से शहर को जोड़ने वाला एकमात्र कच्चा रास्ता भी बंद हो जाता है. ऐसे में इन गांवों का संपर्क बाकी दुनिया से टूट जाता है. परेशानी तब आती है जब महिलाओं को प्रसव जैसी इमरजेंसी हो, किसी की अचानक तबियत बिगड़ जाए. कोई घायल हो जाए या कोई हादसा हो जाए. कहने का मतलब है कि आपातकालीन स्थिति में इन गांवों तक एंबुलेंस या फायरब्रिगेड भी नहीं पहुंच सकती.
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ऐसे में गांव में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य जरूरत की चीजों के लिए खासी परेशानी उठानी पड़ती है. गांव में होने वाले लोगों को परेशानी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इन गांवों की सूची बनाकर जिला प्रशासन को दी गई है. तो वहीं जिला प्रशासन की तरफ से गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा गया है.
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अलवर जिले के इन गांवों में नहीं हैं सड़कें
बानसूर के इन गांवों में नहीं सड़क - अलवर जिले के बानसूर क्षेत्र के गांव पर नजर डालें तो बानसूर में धमाला का बास, बुजी की ढाणी, नाथूसर, चंद जयसिंहपुरा, मुकुंदपुर, माडा गांव है।
रामगढ़ ब्लॉक के इन गांवों में सड़क नहीं- रामगढ़ ब्लॉक में मंगलेशपुर, तकिया का बास, बगलाबाड़ी, घिसा का बास, मिलकपुर गांव है।
मालाखेड़ा ब्लॉक के इन गांवों में सड़क नहीं- बल्लन, राइका, सुकोला, डाबली, लालपुरा, बेरा, जोहरा का बाद, इंदरगढ़, कीरो की ढाणी, मेड़ी का बास, हुरली का बास गांव शामिल है।
रेणी ब्लॉक के इन गांवों में नहीं है सड़क- मालीबास, नांगल बोहरा, चुनना का कुआ, बुरे कलन, खिरनी खोहर, बढ़बिलेट, बगतक बास, गुडोड गांव है।
तिजारा इलाके के इन गांवों में सड़क नहीं- आदिपुर, शादीपुर, बलोज व सरेता गांव सड़क मार्ग से जुड़े हुए नहीं है।
इन गांव में रहने वाले लोगों को बारिश और आंधी तूफान के द्वारा कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पीडब्ल्यूडी की तरफ से बनाई जा रही है सड़क ग्रामीण सड़कों को बनाने गांवों को मुख्य सड़कों से जोड़ने का काम पीडब्ल्यूडी का होता है. पीडब्ल्यूडी की कई योजनाएं मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना मुख्यमंत्री सड़क योजना सहित कई योजनाओं के माध्यम से सड़क बनाने का काम किया जा रहा है.
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पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने कहा कि लगातार सदस्य प्रक्रिया जारी रहती है. हाल ही में कुछ गांवों को चिन्हित किया गया है. जिन को सड़क से जोड़ने का काम चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने भेजी सूची हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से ऐसे गांव की एक सूची तैयार करके जिला प्रशासन को भेजी गई है. जिसमें जिले के ऐसे गांवों को शामिल किया गया है. जो सड़क मार्ग से टूटे हुए हैं. पूरे जिले से ऐसे गांवों को चिन्हित किया गया है. प्रशासन की तरफ से इन गांवों की सूची सरकार को भेजी गई है.