अलवर. सरिस्का में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सारिस्का प्रशासन की तरफ से कई योजनाओं पर काम चल रहा है. कोरोना के चलते अभी काम की रफ्तार धीमी हो गई है. लेकिन जल्द ही सारिस्का प्रशासन की तरफ से एक प्रस्ताव तैयार करके सरकार और मुख्यालय को भेजा जाएगा.
886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ अलवर का सरिस्का देश का अकेला ऐसा नेशनल पार्क है. जहां सभी तरह के मौसम में वन्य जीव आसानी और बेहतर तरह से रहते हैं. सरिस्का में 10 बाघिन, 6 बाघ और 4 शावक हैं. जबकि 500 से अधिक पैंथर हैं.
साल भर देश-विदेश से पर्यटक घूमने के लिए सारिस्का आते हैं. सरिस्का में अभी पांच जंगल में सफारी के रूट बने हुए हैं. इसके अलावा दो रूट बाला किला सफारी क्षेत्र में बना हुआ है. इन पर पर्यटक जिप्सी की मदद से घूम कर वन्यजीवों का आनंद ले सकते हैं.
अलवर एनसीआर क्षेत्र में आता है. ऐसे भी यहां पर्यटन की संभावना अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा है. दिल्ली और जयपुर से सरिस्का पहुंचने में करीब 3 घंटे का समय लगता है. इसलिए सिरस्का प्रशासन की तरफ से कई नए काम किए जा रहे हैं.
सरिस्का प्रशासन की तरफ से सरिस्का में कुछ नए रूट शुरू किए जाएंगे. इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है. साथ ही सरिस्का कार्यालय में पर्यटकों की सुविधा के लिए सुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी. यहां आने वाले पर्यटकों को घूमने में किसी भी तरह की दिक्कत ना हो, इसका भी पूरा ध्यान रहा जाएगा.
पढ़ेंः लोकसभा में उठेंगे राजस्थान और जयपुर से जुड़े कई मुद्दे, सांसद रामचरण बोहरा ने की तैयारी
इसके अलावा जंगल क्षेत्र में वन्यजीवों की पहचान करने के लिए उनकी फोटो सहित कई अन्य चीजें लगाई जाएंगी. साथ ही कैमरों की संख्या बढ़ाने पर भी सरिस्का में काम चल रहा है. क्योंकि सरिस्का के लिए कैमरे आज से बेहतर साबित हुए हैं. मॉनिटरिंग में कैमरे हादसे मददगार साबित हो रहे हैं. कैमरों की मदद से सरिस्का प्रशासन को खासी मदद मिल रही है. नए शावक भी कैमरा ट्रैपिंग के द्वारा नजर आए थे. ऐसे में कैमरा पद्धति को बढ़ाने का प्रयास प्रशासन की तरफ से किया जा रहा है.