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निजी वाहनों के लिए फिर से स्टेट हाईवे पर टोल टैक्स की वसूली शुरू

प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों के लिए बंद की गई टोल टैक्स वसूली को कांग्रेस सरकार ने फिर से शुरू कर दिया है. जिसके बाद अब अलवर के निजी वाहन चालकों के जेब पर बहुत अधिक भार पड़ेगा. क्योंकि राजस्थान में सबसे अधिक टोल बूथ अलवर जिले में ही पड़ते हैं.

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Published : Nov 1, 2019, 8:57 AM IST

अलवर. प्रदेश में पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले सभी स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों को टोल से पूरी तरीके से समाप्त कर दिया था. जिसके बाद प्राइवेट वाहन चालकों को टोल से मुक्ति मिल गई थी. केवल व्यवसायिक वाहनों को टोल टैक्स वसूला जाता था. लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के 10 माह बाद फिर से टोल वसूली शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं. इसका सबसे अधिक प्रभाव अलवर जिले में देखने को मिलेगा. क्योंकि, अलवर जिला चौतरफा स्टेट हाईवे से घिरा हुआ है.

निजी वाहन चालकों को देना होगा टोल टैक्स

बता दें कि अलवर जिले में कुल 17 टोल प्लाजा है. जिनमें रिडकोर, आरएसआरडीसी और पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर यह टोल लगे हुए हैं. सभी टोल प्लाजा से एक दिन में करीब 30 लाख रुपए का शुल्क जमा होता था. यदि सरकार ने दरों में बदलाव किया तो जनता पर इसका अधिक भार पड़ सकता है. वहीं इसे लेकर कांग्रेस सरकार का कहना है कि सड़कों की हालत खराब हो रही है. सड़कों की रिपेयरिंग के लिए फंड नहीं है. इसलिए सभी स्टेट हाईवे पर टोल को शुरू किया जा रहा है.

ये पढ़ेंः गहलोत सरकार ने पूर्व की वसुंधरा सरकार का फैसला पलटा, 1 नबंवर से स्टेट हाईवे पर भी देना होगा Toll

कुल टोल राशि का 70 प्रतिशत व्यवसायिक वाहनों से

टोल प्लाजा संचालकों के अनुसार टोल वसूली की 70 प्रतिशत राशि व्यवसायिक वाहनों से मिलती है. जिनका शुल्क निजी वाहनों की तुलना में कई गुना अधिक होता है. अलवर के टोल प्लाजा में ज्यादा राशि कॉमर्शियल वाहनों से मिलती है. जबकि निजी वाहनों से प्रतिदिन करीब 10 लाख का राजस्व मिलता है. वहीं एक माह में करीब 3 करोड़ रुपए की वसूली होती है. ऐसे में साफ है कि निजी वाहन संचालकों पर करीब 3 करोड़ का भार हर माह पड़ेगा.

जिले में टोल बूथों पर एक नजर

जिले में टोल प्लाजा पर एक नजर डालें तो अलवर से सिकंदरा मार्ग पर दो टोल पड़ते हैं. इसी तरह से अलवर-भिवाड़ी मार्ग पर तीन टोल पड़ते हैं. खुश खेड़ा में एक टोल, अलवर से बहरोड़-नारनौल तक तीन टोल पड़ते हैं. कोटपूतली से खैरतल तक दो टोल वाहन चालकों को देने पड़ते हैं. इसी तरह से अलवर से भरतपुर मार्ग पर चार टोल और अलवर से रामगढ़ नौगांव तक कार चालकों को दो टोल पर पैसे देने पड़ेंगे. ऐसे में साफ है कि अलवर शहर की सीमा से बाहर निकलते ही कार चालकों की जेब कटेगी.

ये पढेंः टोल पर बवाल : पायलट ने साधी चुप्पी, खाचरियावास बोले- केन्द्र NH पर बंद कर दे, हम स्टेट पर कर देंगे


प्रतिक्रियाओं का दौर हुआ शुरू

कांग्रेस सरकार के फिर से टोल शुरू करने के आदेश के साथ ही इस पर प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो चुका है. भाजपा की तरफ से कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए जबरन टोल वसूली करने और लोगों की जेब पर अतिरिक्त भार डालने का आरोप लगाया जा रहा है. ऐसे में बयानों का दौर भी तेज हो चुका है.

अलवर. प्रदेश में पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले सभी स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों को टोल से पूरी तरीके से समाप्त कर दिया था. जिसके बाद प्राइवेट वाहन चालकों को टोल से मुक्ति मिल गई थी. केवल व्यवसायिक वाहनों को टोल टैक्स वसूला जाता था. लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के 10 माह बाद फिर से टोल वसूली शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं. इसका सबसे अधिक प्रभाव अलवर जिले में देखने को मिलेगा. क्योंकि, अलवर जिला चौतरफा स्टेट हाईवे से घिरा हुआ है.

निजी वाहन चालकों को देना होगा टोल टैक्स

बता दें कि अलवर जिले में कुल 17 टोल प्लाजा है. जिनमें रिडकोर, आरएसआरडीसी और पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर यह टोल लगे हुए हैं. सभी टोल प्लाजा से एक दिन में करीब 30 लाख रुपए का शुल्क जमा होता था. यदि सरकार ने दरों में बदलाव किया तो जनता पर इसका अधिक भार पड़ सकता है. वहीं इसे लेकर कांग्रेस सरकार का कहना है कि सड़कों की हालत खराब हो रही है. सड़कों की रिपेयरिंग के लिए फंड नहीं है. इसलिए सभी स्टेट हाईवे पर टोल को शुरू किया जा रहा है.

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कुल टोल राशि का 70 प्रतिशत व्यवसायिक वाहनों से

टोल प्लाजा संचालकों के अनुसार टोल वसूली की 70 प्रतिशत राशि व्यवसायिक वाहनों से मिलती है. जिनका शुल्क निजी वाहनों की तुलना में कई गुना अधिक होता है. अलवर के टोल प्लाजा में ज्यादा राशि कॉमर्शियल वाहनों से मिलती है. जबकि निजी वाहनों से प्रतिदिन करीब 10 लाख का राजस्व मिलता है. वहीं एक माह में करीब 3 करोड़ रुपए की वसूली होती है. ऐसे में साफ है कि निजी वाहन संचालकों पर करीब 3 करोड़ का भार हर माह पड़ेगा.

जिले में टोल बूथों पर एक नजर

जिले में टोल प्लाजा पर एक नजर डालें तो अलवर से सिकंदरा मार्ग पर दो टोल पड़ते हैं. इसी तरह से अलवर-भिवाड़ी मार्ग पर तीन टोल पड़ते हैं. खुश खेड़ा में एक टोल, अलवर से बहरोड़-नारनौल तक तीन टोल पड़ते हैं. कोटपूतली से खैरतल तक दो टोल वाहन चालकों को देने पड़ते हैं. इसी तरह से अलवर से भरतपुर मार्ग पर चार टोल और अलवर से रामगढ़ नौगांव तक कार चालकों को दो टोल पर पैसे देने पड़ेंगे. ऐसे में साफ है कि अलवर शहर की सीमा से बाहर निकलते ही कार चालकों की जेब कटेगी.

ये पढेंः टोल पर बवाल : पायलट ने साधी चुप्पी, खाचरियावास बोले- केन्द्र NH पर बंद कर दे, हम स्टेट पर कर देंगे


प्रतिक्रियाओं का दौर हुआ शुरू

कांग्रेस सरकार के फिर से टोल शुरू करने के आदेश के साथ ही इस पर प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो चुका है. भाजपा की तरफ से कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए जबरन टोल वसूली करने और लोगों की जेब पर अतिरिक्त भार डालने का आरोप लगाया जा रहा है. ऐसे में बयानों का दौर भी तेज हो चुका है.

Intro:अलवर
आम कार चालकों के लिए बुरी खबर है। भाजपा सरकार के दौरान स्टेट हाईवे पर बंद किए गए टोल प्लाजा को कांग्रेस सरकार ने फिर से शुरू कर दिया है। कांग्रेस सरकार का कहना है की सड़कों की हालत खराब हो रही है। इसलिए सभी स्टेट हाईवे पर टोल को शुरू किया जा रहा है। राजस्थान में सबसे अधिक टोल अलवर जिले में पढ़ते हैं।


Body:वसुंधरा सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले सभी स्टेट हाईवे पर टोल को पूरी तरीके से समाप्त कर दिया था। प्राइवेट वाहन चालकों को टोल से मुक्ति मिली थी। केवल कमर्शियल वाहनों को टोल देना पड़ता था। लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के 10 माह बाद फिर से टोल शुरू करने के आदेश दिए हैं। इसका सबसे अधिक प्रभाव अलवर जिले में देखने को मिलेगा। क्योंकि अलवर जिला चौतरफा स्टेट हाईवे से घिरा हुआ है। अलवर जिले में कुल 17 टोल प्लाजा है। जिसमें रिडकोर, आरएसआरडीसी व पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर यह टोल लगे हुए हैं। सभी टोल प्लाजा से एक दिन में करीब 30 लाख रुपए का शुल्क जमा होता था। अगर सरकार ने दरों में बदलाव किया तो जनता पर इसका अधिक पर पड़ सकता है। टोल प्लाजा संचालकों के अनुसार टोल शुरू की 70 प्रतिशत राशि व्यवसायिक वाहनों से मिलती है। जिनका शुल्क निजी वाहनों की तुलना में कई गुना अधिक होता है।


Conclusion:अलवर के टोल प्लाजा में जाता राशि कमर्शियल वाहनों से मिलती है। जबकि निजी वाहनों से प्रतिदिन करीब 10 लाख का राजस्व मिलता है। वहीं एक माह में करीब 3 करोड़ रुपए की वसूली होती है। ऐसे में साफ है कि निजी वाहन संचालकों पर करीब 3 करोड़ का भार हर महा पड़ेगा। टोल प्लाजा पर एक नजर डालें तो अलवर से सिकंदरा मार्ग पर दो टोल पड़ते हैं। इसी तरह से अलवर भिवाड़ी मार्ग पर तीन टोल पड़ते हैं। खुश खेड़ा में एक टोल, अलवर से बहरोड नारनौल तक तीन टोल पड़ते हैं। कोटपूतली से खैरतल तक दो टोल वाहन चालकों को देने पड़ते हैं। इसी तरह से अलवर से भरतपुर मार्ग पर चार टोल व अलवर से रामगढ़ नौगांव तक कार चालकों को दो टोल पर पैसे देने पड़ते हैं। ऐसे में साफ है कि अलवर शहर की सीमा से बाहर निकलते ही कार चलो की जेब कटेगी।


प्रतिक्रियाओं का दौर हुआ शुरू
कांग्रेस के टोल शुरू करने का आदेश के साथ ही प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो चुका है। भाजपा की तरफ से कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए जबरन टोल वसूली करने व लोग जेब पर अतिरिक्त भार देने का आरोप लगाया जा रहा है। ऐसे में बयानों का दौर भी शुरू हो चुका है। ऐसे में देखना होगा कि यह दौर कबतक चलता है।
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