अलवर . लोकसभा चुनाव के सियासी जमीन को साधते हुए भाजपा ने अलवर लोकसभा सीट पर बाबा बालकनाथ को मैदान में उतारा है. बाबा बालकनाथ को टिकट मिलने के बाद पार्टी के भीतर से आ रही प्रतिक्रियाओं ने आला नेताओं की चिंता बढ़ा दी है. इस बीच वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे डॉ रोहिताश शर्मा ने बाबा बालकनाथ को जहां बेहतर प्रत्याशी बताया है. वहीं, पूर्व सीएम वसुंधरा समेत दिग्गज नेताओं को किनारे किए जाने की बात कहते हुए परिणाम भुगतने तक की बात कह डाली.
उन्होंने पहले फोन पर किसी से बात करते हुए कहा कि मतदाता 'मोदीजी' के पक्ष में हैं. लेकिन, इसके साथ ही लीडर को मारने का भी काम साथ-साथ हो रहा है, 'वसुंधराजी' को हटाकर कोई अच्छा काम नहीं किया. इसके बाद उन्होंने कैमरे के सामने कहा कि जिला स्तर पर या प्रदेश नेतृत्व के स्तर पर हुआ ये मैं नहीं कह सकता, लेकिन, जितने भी वरिष्ठ नेता थे उन सभी को उठाकर दूर फेंक दिया गया. डॉ रोहिताश ने कहा कि वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा का टिकट काटा गया, जिसके कारण हार झेलनी पड़ी. इसी प्रकार जसवंत सिंह, रामहेत यादव (खुद का नाम लेते हुए) रोहिताश कुमार को दूर रखा है. साथ ही ये बच्चा कंपनी चुनाव लड़ रही है, ऐसे में मन में संदेह होता है कि ये फाइट कैसे करेंगे.
उन्होंने आगे कहा कि बड़े दिग्गजों को इग्नोर करने पर उनके मन को ठेस पहुंचती है. बीजेपी आज कांग्रेस के धर्रे पर चल पड़ी है. कांग्रेस ने इसी नीति को अपनाया था. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने सारे सीनियर नेताओं को किनारे कर दिया था, जिसका परिणाम यह है कि आज पार्टी की हालत खराब है. जगह-जगह कांग्रेस को समझौते करने पड़ रहे हैं. अब भाजपा ने भी वरिष्ठ नेताओं को किनारे करना शुरू कर दिया है, जिसक परिणाम तो भुगतना पड़ेगा. वहीं, इससे पहले रोहिताश शर्मा ने कहा कि बाबा बालकनाथ को प्रत्याशी बनाना बेहतर कदम है. अलवर की धरती पर एक तपस्वी को प्रत्याशी बनाकर भेजना हमारे लिए काफी शुभ है. हम पूरी ताकत लगाकर पीएम नरेंद्र मोदी के हाथ को मजबूत करेंगे.
लेकिन, इस चुनाव में बाबा बालकनाथ को भी काफी सावधानी और सतर्कता के साथ इस चुनाव को लड़ना होगा. उन्होंने आगे कहा कि अलवर कांटों भरा ताज है. लोकसभा उपचुनाव के दौरान जसवंत सिंह जैसे दिग्गज, अनुभवी नेता को हार का मुंह देखना पड़ा था. उस हार के पीछ जिला संगठन का कमजोर होना मुख्य कारण था. इसी का परिणाम जसवंत सिंह को चुनाव के दौरान झेलना पड़ा था. ऐसी परिस्थिति में बाबा बालकनाथ को मोदी की हवा के बीच कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.