अलवर. देश में कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव अब कम होने लगा है. डॉक्टर और नर्सिंग कर्मी लोगों का इलाज करने में लगे हैं. पुलिसकर्मी सड़क पर ड्यूटी कर रहे हैं. प्रशासन हालात कंट्रोल करने का प्रयास कर रहा है. समाज के जिम्मेदार लोग अपनी भूमिका निभा रहे हैं. इन सबके बीच अलवर में एक व्यक्ति ऐसा भी है जो कोरोना का प्रभाव समाप्त हो और लोग स्वस्थ रहें इसके लिए 4 माह से लगातार 24 घंटे तपस्या कर रहा है. 40 डिग्री तापमान में जलते हुए कंडों के बीच उनकी तपस्या चल रही है.
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सनातन धर्म को मानने वाले भारत देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लाखों लोगों की जान गई. लोग बेरोजगार हुए और लोगों के व्यापार-धंधे भी ठप हो गए. जब कोई रास्ता नजर नहीं आया. तो लोगों ने भगवान की शरण ली. ऐसा ही एक मामला देवभूमि अलवर में सामने आया है.
अलवर के भर्तहरि धाम में बाबा गोपाल दास फरवरी माह से लगातार जलते हुए खंडों के बीच बैठकर तपस्या कर रहे हैं. अलवर में इस समय दिन का तापमान 42 डिग्री से अधिक रहता है. आसमान से आग बरस रही है. ऐसे में जलते हुए कंडों के बीच बैठकर बाबा गोपाल दास का तपस्या करना बड़े चमत्कार से कम नहीं है.
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भर्तहरि धाम पर काम करने वाले लोगों ने बताया कि फरवरी में बाबा गोपाल दास ने कोरोना का प्रभाव कम हो व लोग स्वस्थ रहें. देश पर किसी भी तरह का संकट ना आए. इसके लिए लगातार तपस्या कर रहे हैं. सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक लगातार 8 घंटे तक तपस्या करते हैं. उसके बाद शाम को केवल फल खाते हैं. लोगों ने कहा कि 20 जून को उनकी तपस्या पूरी होने वाली है. इस चिलचिलाती गर्मी में जहां लोग दिन भर अपने घरों में एसी में बंद है. उसके बीच भर्तहरि में यह तपस्वी लगातार देश हित में तपस्या कर रहा है.
चर्चा का विषय बने हुए हैं तपस्वी
आसपास क्षेत्र में बाबा गोपाल दास चर्चा का विषय बने हुए हैं दूर-दूर से भर्तहरि धाम आने वाले लोग बाबा गोपाल दास के दर्शन के लिए भी आ रहे हैं अपनी तपस्या के दौरान वह किसी से नहीं मिलते उसके बाद लोगों से बात करते हैं.
खास स्थान रखता है भर्तहरि धाम
उज्जैन के महाराज ने अलवर आकर सरिस्का के जंगलों में तपस्या की और अलवर में समाधि ली. सरिस्का के जंगलों में 100 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर और ऐसे स्थान है. जहां लगातार साधु महात्मा रात-दिन तपस्या करते हैं. कुछ जगह लोगों की जानकारी में हैं. तो कुछ ऐसी जगह हैं जहां लोगों की आवाजाही नहीं है.