अलवर. जिले में कोरोना के प्रभाव के बीच एक अक्टूबर से पर्यटन सीजन भी शुरू हुआ है. ऐसे में पर्यटकों के लिए सरिस्का टाइगर रिजर्व खोल दिया गया है. तीन महीने के लिए मानसून सीजन में सरिस्का बंद हुआ था. ऐसे में अब पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद की जा रही है. पहले दिन 54 पर्यटकों ने सरिस्का में सफारी का आनंद लिया. इस दौरान पर्यटकों को बाघिन सहित कई वन्यजीव नजर आए.
886 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला अलवर का सरिस्का टाइगर रिजर्व के लिए देश-विदेश में जाना जाता है. वन्यजीवों के लिए सरिस्का को खासा उपयुक्त बताया गया है. सरिस्का देश का पहला ऐसा जंगल है, जिसके चारों तरफ कोई दीवार नहीं है. सरिस्का में 10 बाघिन, 6 बाघ और 4 शावक हैं. मानसून सीजन के दौरान जुलाई से सितंबर तक 3 महीने के लिए सरिस्का को बंद कर दिया जाता है. हांलाकि इस दौरान सरिस्का में एक रूट खुला हुआ था लेकिन इस बार कोरोना के चलते अन्य सालों की तुलना में पर्यटकों की संख्या काफी कम रही.
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बस, ट्रेन और अन्य यातायात के साधन बंद होने के कारण लोगों को आने-जाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ा. एक अक्टूबर से पर्यटन सीजन शुरू होने के साथ ही सरिस्का को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. पहले दिन 54 पर्यटकों ने सरिस्का में सफारी का आनंद लिया. सुबह की पारी में 16 पर्यटक जंगल घूमने गए. इसमें सदर गेट से दो जिप्सी और दो जिप्सी टहला गेट से रवाना की गई. इसी तरह से दोपहर की पारी में 7 जिप्सी रवाना की गई. इनमें 29 पर्यटकों ने जंगल का आनंद लिया.
राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए एक जिप्सी में केवल 4 लोगों को भेजा जा रहा है. इसके अलावा हैंड सैनेटाइजर और मास्क का उपयोग करते हुए पर्यटक सरिस्का में प्रवेश कर रहे हैं. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि कोरोना के कारण इस बार पर्यटकों की संख्या काफी कम है, लेकिन सरिस्का की तरफ से पर्यटन बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.
सारिस्का एनसीआर का हिस्सा है. देश की राजधानी दिल्ली व राजस्थान की राजधानी जयपुर के मध्य में है। ऐसे में यहां पर्यटन की संभावना अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा है। हालांकि सरिस्का हमेशा विवादों में रहता है। फिर चाहे शिकारी का मुद्दा हो या फिर बाघों की शिकार का आए। दिन सरिस्का में नए मामले सामने आते हैं। प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी सरिस्का में बाघों की मौत के मामले होते हैं।