अलवर. 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है. यह दिन राजस्थान के लिए खास है. इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो राजस्थान का इतिहास गौरवशाली रहा है. राजा महाराजाओं के समय से महिलाओं को पूरा सम्मान दिया गया. समय के साथ हालात बदले तो अब महिलाएं घर से लेकर सरकारी कार्यालय तक सभी जिम्मेदारियां निभा रही हैं. राजस्थान दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने महिलाओं से उनके अनुभव जानने की कोशिश की. देखें ये खास रिपोर्ट...
अलवर में पुलिस अधीक्षक के पद पर महिला तैनात हैं. कुछ दिन पहले जिला कलेक्टर के पद पर भी एक महिला तैनात थी. प्रथम पद माना जाने वाला नगर परिषद में सभापति भी महिला हैं. इसके अलावा यूआईटी में महिला सेक्रेटरी लगी हुई है. जिले में कई ऐसे महत्वपूर्ण पद हैं, जिन पर महिला लगी हुई है. अलवर में 1000 लड़कों पर 934 बेटियों का जन्म होता है. राजस्थान के कई जिलों में लगातार लिंग अनुपात घट रहा है. बीते दिनों इस पर चिंता जाहिर की गई, तो सभी जिम्मेदार अधिकारियों को सरकार की तरफ से नोटिस भेजे गए. महिलाओं से जुड़े हुए अलवर में अपराध अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा होते हैं. महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में जिला प्रदेश में पहले स्थान पर है. ऐसे में लगातार पुलिस व्यवस्था और सरकार के कानूनों पर सवाल उठते रहे हैं. हालांकि, सरकार की तरफ से समय-समय पर कानूनों में बदलाव किया जाता है. कई बड़ी घटनाएं होने के बाद सरकार ने दुष्कर्म, छेड़छाड़ सहित कई कानूनों में बदलाव किया गया है. लेकिन, उसके बाद भी महिलाओं के साथ होने वाली घटनाएं जारी हैं.
कलेक्टर से लेकर सभापति तक महिलाएं...
राजस्थान दिवस के मौके पर अलवर जिले में उच्च पदों पर तैनात महिला अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रदेश में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. घर को संभालने से लेकर महिलाएं सरकार चलाने तक महिलाओं की अहम भागीदारी है. राजस्थान में भाजपा सरकार के दौरान मुख्यमंत्री महिला रह चुकी हैं. अलवर में कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, यूआईटी सेक्रेटरी, नगर परिषद सभापति, एएसपी, डिप्टी एसपी, रेवेन्यू अधिकारी, ट्रेजरी अधिकारी के अलावा विभिन्न पदों पर महिलाएं लगी है. महिलाओं ने कहा कि वो आत्मनिर्भर होने लगी हैं. महिलाओं को समाज में सम्मान मिलने लगा है. राजस्थान में पहले युवतियों का बाल विवाह होता था, उस पर रोक लगी है. गांव में महिलाएं पढ़ाई नहीं करती थी, महिलाएं पढ़ाई करने लगी है. परिवार के लोग उनका ध्यान रखते हैं व उनकी समस्याएं सुनी जाती हैं.
17 जिलों के लिंगानुपात में आई गिरावट...
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रदेश के 17 जिलों के लिंग अनुपात में गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की तरफ से 17 जिलों के स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं. साथ ही, भ्रूण परीक्षण रोकने सहित कई जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. इनमें से ज्यादा जिले राजस्थान के सीमावर्ती जिले हैं. इनमें बांसवाड़ा, भरतपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, चूरू, दौसा, धौलपुर, गंगानगर, जालौर, जोधपुर, करौली, नागौर, पाली, सवाई माधोपुर सिरोही व टोंक जिले के हालत खराब हैं.
निजी क्षेत्र में बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी...
सरकारी क्षेत्र के साथ निजी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है. उल्टा यह कहे कि सरकारी क्षेत्र की तुलना में कई गुना अधिक निजी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. प्रदेश की महिलाएं युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेने के साथ ही ट्रेन चलाने प्लेन उड़ाने सहित सभी काम कर रही हैं. ऐसे में बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में महिलाएं मैनेजर के पद पर तैनात हैं, तो वही लगातार समय के साथ हो रहे बदलाव में महिलाएं अब खुद का व्यवसाय भी शुरू करने लगी है.