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ईपीएफ पेंशनर्स का प्रदर्शन : पेंशन स्कीम के नए कानून की प्रतियां जलाई...न्यूनतम पेंशन 7500 लागू करने की मांग

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Published : Apr 6, 2021, 10:17 PM IST

ईपीएफ पेंशन वर्कर्स ने कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय के सामने पीएफ पेंशन योजना को लेकर लाए गए नए कानून की प्रति जलाई. उन्होंने न्यूनतम 7500 पेंशन लागू करने की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को कोर्ट के फैसले को लागू करना चाहिए और श्रमिकों का शोषण नहीं करना चाहिए.

Protest of EPF pension in Alwar,  Latest news of alwar
ईपीएफ पेंशनर्स का प्रदर्शन

अलवर. कर्मचारी नेता डीके शर्मा ने बताया कि पेंशन को लेकर केंद्र सरकार के कानून की प्रति जलाई गई. उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईएस्ट वेतन के आधार पर पेंशन को निर्धारित किया गया था. जिसमें न्यूनतम पेंशन देने के आदेश दिए गए थे. कोर्ट में जीतने के बाद भी केंद्र सरकार उनके आदेशों को नहीं मान रही है.

20 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने नया मेजरनामा दिया जो श्रमिक हितों के खिलाफ है. उन्होंने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में श्रमिकों का इतना फंड इकट्ठा है कि अगर वह नो हजार भी पेंशन दे तब भी कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने बताया कि पूर्व में 1000 पेंशन को निर्धारित किया गया था. वह भी पूरी नहीं दी जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया है कि 70 साल तक कांग्रेस ने राज कर श्रमिकों का शोषण किया अब 7 साल से मोदी सरकार शोषण कर रही है.

पढ़ें- भरतपुर: ACB की टीम पहुंची पंचायत समिति कार्यालय, पेंशन रूम में की छानबीन

उन्होंने बताया कि अटल पेंशन योजना में भी तीन तीन हजार कम से कम वेतन पेंशन मिलती है. जबकि उन्होंने 40 साल तक नौकरी की. उसके बावजूद भी 1000 की पूरी पेंशन भी नहीं दी जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया है कि विधायक और सांसदों ने अपने वेतन बढ़ा लिए लेकिन महंगाई को देखते हुए श्रमिकों की पेंशन को नहीं बढ़ाया गया है. उन्होंने पेंशन बढ़ाने की मांग की.

श्रमिक नेता गिर्राज प्रसाद ने आरोप लगाया है कि सरकार श्रमिकों का शोषण कर रही है और कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया जा रहा है. ईपीएफ को लेकर केंद्र सरकार ने काला कानून लागू किया है जो सरासर अन्याय है. सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम 7500 पेंशन निर्धारित की है. वह भी नहीं दी जा रही है. उन्होंने न्यूनतम 7500 पेंशन लागू करने की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को कोर्ट के फैसले को लागू करना चाहिए और श्रमिकों का शोषण नहीं करना चाहिए.

अलवर. कर्मचारी नेता डीके शर्मा ने बताया कि पेंशन को लेकर केंद्र सरकार के कानून की प्रति जलाई गई. उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईएस्ट वेतन के आधार पर पेंशन को निर्धारित किया गया था. जिसमें न्यूनतम पेंशन देने के आदेश दिए गए थे. कोर्ट में जीतने के बाद भी केंद्र सरकार उनके आदेशों को नहीं मान रही है.

20 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने नया मेजरनामा दिया जो श्रमिक हितों के खिलाफ है. उन्होंने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में श्रमिकों का इतना फंड इकट्ठा है कि अगर वह नो हजार भी पेंशन दे तब भी कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने बताया कि पूर्व में 1000 पेंशन को निर्धारित किया गया था. वह भी पूरी नहीं दी जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया है कि 70 साल तक कांग्रेस ने राज कर श्रमिकों का शोषण किया अब 7 साल से मोदी सरकार शोषण कर रही है.

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उन्होंने बताया कि अटल पेंशन योजना में भी तीन तीन हजार कम से कम वेतन पेंशन मिलती है. जबकि उन्होंने 40 साल तक नौकरी की. उसके बावजूद भी 1000 की पूरी पेंशन भी नहीं दी जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया है कि विधायक और सांसदों ने अपने वेतन बढ़ा लिए लेकिन महंगाई को देखते हुए श्रमिकों की पेंशन को नहीं बढ़ाया गया है. उन्होंने पेंशन बढ़ाने की मांग की.

श्रमिक नेता गिर्राज प्रसाद ने आरोप लगाया है कि सरकार श्रमिकों का शोषण कर रही है और कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया जा रहा है. ईपीएफ को लेकर केंद्र सरकार ने काला कानून लागू किया है जो सरासर अन्याय है. सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम 7500 पेंशन निर्धारित की है. वह भी नहीं दी जा रही है. उन्होंने न्यूनतम 7500 पेंशन लागू करने की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को कोर्ट के फैसले को लागू करना चाहिए और श्रमिकों का शोषण नहीं करना चाहिए.

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