अलवर. जिले के सरिस्का में बाघ को शिफ्ट करने की प्रक्रिया कोरोना के चलते रुक गई है. ऐसे में अब सरिस्का में मौजूद बाघ और बाघिन पर ही कुनबा बढ़ाने की जिम्मेदारी रहेगी. दूसरी तरफ लगातार सरिस्का प्रशासन की तरफ से बाघों पर नजर रखी जा रही है.
886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सरिस्का में इस समय 10 बाघिन, 6 बाघ और 4 शावक हैं. सरिस्का को वन्यजीवों के लिए खासा बेहतर और सुरक्षित क्षेत्र माना गया है. यहां लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. सारिस्का प्रशासन की तरफ से लगातार बाघों पर नजर रखी जा रही है. कुछ महीने पहले सरिस्का में दो बाघ रणथंभौर से शिफ्ट किया जाना था. इनमें से एक बाघ को रणथंभौर से सरिस्का में शिफ्ट किया गया था. उसके बाद सरिस्का में नए और पुराने बाघ में संघर्ष हो गया था, जिससे रणथंभौर से शिफ्ट किए गए बाघ की मौत हो गई.
बताया जा रहा था कि बाघ के ट्यूमर था. जिसके चलते अचानक उसकी मौत का मामला सामने आया था. इस घटना के बाद वन विभाग के अधिकारियों पर कई तरह के आरोप लगे. उसके बाद से लगातार एक नया मेल बाघ सरिस्का में शिफ्ट करने की योजना चल रही थी. इस संबंध में सरिस्का प्रशासन की तरफ से काम पूरा कर लिया गया. जिस बाघ को शिफ्ट करना है, उसके चयन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते बाघ शिफ्ट की प्रक्रिया रोक दी गई है.
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सरिस्का के अधिकारियों का कहना है कि बाघ को शिफ्ट करने की प्रक्रिया रोक दी गई है, लेकिन सरिस्का में मौजूद बाघिन पर खासी उम्मीदें हैं. दरसअल जल्द ही कुछ बाघिन शावकों को जन्म दे सकती है. ऐसे में प्रशासन की तरफ से लगातार बाघों पर नजर रखी जा रही है. कोरोना संक्रमण के चलते सारिस्का में बंद जैसे हालात हैं. हालांकि मानसून सीजन के दौरान एक रूट पर्यटकों के लिए खोला गया है, लेकिन पर्यटक की आवाजाही नहीं होने के कारण वन्यजीवों के लिए खासा सुरक्षित समय माना जा रहा है. सरिस्का प्रशासन की तरफ से भी लगातार बाघों की बेहतर मॉनिटरिंग की जा रही है और बाकी प्रत्येक हलचल पर वन कर्मी नजर रख रहे हैं.