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माटीपुत्रों का चाक भी Corona से Lock, किसी को नहीं इनकी फ्रिक

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Published : Apr 30, 2020, 11:14 AM IST

चाक पर अपनी उंगलियों का जादू बिखेरकर मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों के काम पर भी लॉकडाउन की वजह से ताला लग है. हालात तो यह है कि इनके घर खाने के भी लाले पड़ गए हैं.

कुम्हारों के लिए खबर, राजस्थान में लॉकडाउन का प्रभाव, लॉकडाउन के साइड इफेक्ट, rajasthan latest hindi news, lockdown effects, alwar news in hindi
लॉकडाउन के बढ़ाई कुम्हारों की मुश्किलें

अलवर. लॉकडाउन के दौरान लाखों श्रमिक मजदूर और ऐसे लोग जो प्रतिदिन मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं, वो बेरोजगार हो गए हैं. इन सबके बीच एक वर्ग ऐसा भी है, जो केवल 3 महीने के भरोसे ही साल भर अपना गुजारा करता है. हम बात कर रहे हैं मिट्टी के कारीगर यानी कुम्हारों की.

लॉकडाउन के बढ़ाई कुम्हारों की मुश्किलें

लॉकडाउन के चलते कुम्हारों का काम पूरी तरह से ठप हो गया है. साल भर की कमाई का समय भी निकल गया है. ऐसे में कुम्हार और उसके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है. लॉकडाउन के दौरान कुम्हार के परिवार को ना तो कोई मदद मिल रही है और ना ही किसी तरह की आय हो रही है.

यह भी पढ़ें- Special: लॉकडाउन में थड़ियों पर लगा ताला, अब नहीं होती 'चाय' की 'चुस्की' के साथ 'चर्चा'

गर्मियों के मौसम पर होते हैं निर्भर

कुम्हार पूरे साल गर्मी के मौसम पर निर्भर रहते हैं. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते गर्मी का पूरा सीजन घर पर बैठे-बैठे ही निकल रहा है. होली के बाद से कुम्हार के सामान की डिमांड बढ़ने लगती है.

लॉकडाउन ने बढ़ाई मुश्किलें

मिट्टी के घड़े, मटके और अन्य सामानों का उपयोग लोग अपने घरों में करते हैं. इन सामानों को बेचकर ही कुम्हार अपना गुजर-बसर करते हैं. लेकिन कोरोना के चलते 2 महीने का समय निकल चुका है. लोग घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं है. प्रशासन की सख्ती के चलते बाजार भी पूरी तरह से बंद है.

कुम्हारों के लिए खबर, राजस्थान में लॉकडाउन का प्रभाव, लॉकडाउन के साइड इफेक्ट, rajasthan latest hindi news, lockdown effects, alwar news in hindi
साल भर जिस मौसम पर रहते थे निर्भर वो भी निकला

यह भी पढ़ें- SPECIAL: जिला प्रशासन के इन 7 कदमों से चूरू हुआ CORONA फ्री

इन कुम्हारों को प्रशासन की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिली है. कुछ जगहों पर सरकारी दुकान से मिलने वाले गेहूं से ये लोग काम चला रहे हैं. अलवर में करीब हजारों कुम्हार हैं. जिनके चूल्हे लॉकडाउन के चलते ठंडे पड़ गए हैं.

अलवर. लॉकडाउन के दौरान लाखों श्रमिक मजदूर और ऐसे लोग जो प्रतिदिन मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं, वो बेरोजगार हो गए हैं. इन सबके बीच एक वर्ग ऐसा भी है, जो केवल 3 महीने के भरोसे ही साल भर अपना गुजारा करता है. हम बात कर रहे हैं मिट्टी के कारीगर यानी कुम्हारों की.

लॉकडाउन के बढ़ाई कुम्हारों की मुश्किलें

लॉकडाउन के चलते कुम्हारों का काम पूरी तरह से ठप हो गया है. साल भर की कमाई का समय भी निकल गया है. ऐसे में कुम्हार और उसके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है. लॉकडाउन के दौरान कुम्हार के परिवार को ना तो कोई मदद मिल रही है और ना ही किसी तरह की आय हो रही है.

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गर्मियों के मौसम पर होते हैं निर्भर

कुम्हार पूरे साल गर्मी के मौसम पर निर्भर रहते हैं. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते गर्मी का पूरा सीजन घर पर बैठे-बैठे ही निकल रहा है. होली के बाद से कुम्हार के सामान की डिमांड बढ़ने लगती है.

लॉकडाउन ने बढ़ाई मुश्किलें

मिट्टी के घड़े, मटके और अन्य सामानों का उपयोग लोग अपने घरों में करते हैं. इन सामानों को बेचकर ही कुम्हार अपना गुजर-बसर करते हैं. लेकिन कोरोना के चलते 2 महीने का समय निकल चुका है. लोग घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं है. प्रशासन की सख्ती के चलते बाजार भी पूरी तरह से बंद है.

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इन कुम्हारों को प्रशासन की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिली है. कुछ जगहों पर सरकारी दुकान से मिलने वाले गेहूं से ये लोग काम चला रहे हैं. अलवर में करीब हजारों कुम्हार हैं. जिनके चूल्हे लॉकडाउन के चलते ठंडे पड़ गए हैं.

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