अलवर. गोसंरक्षण के लिए सरकार की ओर से विशेष पैकेज की व्यवस्था की जाती है. सरकार की ओर से शराब और स्टाम्प खरीद पर गोसंरक्षण टैक्स के रूप में कुछ राशि वसूली जाती है, लेकिन फिर भी गोवंशों को सड़कों पर भटकते देखा जाता है. ईटीवी भारत पर इस संबंध में बीते दिनों खबर भी चलाई गई थी जिसके बाद प्रदेश सरकार की नींद टूटी है. ऐसे में अलवर समेत पूरे प्रदेश में ईटीवी भारत की खबर का असर देखने को मिला है.
ऐसे में प्रदेश के सभी पंचायत समिति क्षेत्रों में लावारिस घूमने वाले गोवंश के लिए 'नंदीशाला' (nandishala will be built in entire state including alwar) बनाई जाएगी. इसके तहत अलवर में 16 नंदीशाला (16 Nandishalas to be built in Alwar) और जिला स्तर पर एक नंदीग्रह बनेगा. इस दिशा में प्रशासन की ओर से काम शुरू कर दिया गया है. इसके लिएओ दो समितियों का भी गठन किया गया है. यह समिति सरकार के नियमों के अनुसार नंदीशाला बनाने और उनके संचालन करवाने का काम करेगी.
ईटीवी भारत ने 15 दिसंबर को 'गो संरक्षण के लिए वसूला जा रहा करोड़ों का कर, फिर भी गाय भटक रहीं दरबदर' खबर प्रकाशित की थी जिसके बाद सरकार और प्रशासन के आला अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए गाय और गोशाला के संरक्षण पर काम शुरू किया. इसके साथ ही प्रदेश सरकार की ओर से अलवर समेत पूरे प्रदेश में नंदी शाला खोलने के आदेश दिए गए हैं.
इसके तहत अलवर जिला प्रशासन ने पशुपालन विभाग और अन्य गो-पालन समितियों की मीटिंग बुलाई जिसमें सड़कों पर घूमने वाले गोवंशों के लिए नंदीशाला खोलने के आदेश दिए गए. प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर एक नंदी शाला और जिला स्तर पर एक नंदी ग्रह खोले जाने का निर्णय लिया गया है. इसके तहत अलवर में 16 नंदी शाला व एक नंदी ग्रह बनाया जाएगा. नंदी शाला संचालन की जिम्मेदारी समितियों को दी जाएगी.
प्रत्येक नंदी शाला पर एक करोड़ 57 लाख रुपए खर्च होंगे. इसमें 10 प्रतिशत राशि संचालन समिति को खर्च करना होगा जबकि 90 प्रतिशत राशि तीन किस्तों में पशुपालन विभाग की तरफ से समिति को दी जाएगी. इसी तरह से गोवंश के भरण-पोषण के लिए 9 माह की मदद सरकार की तरफ से दी जाएगी. जबकि तीन महा संचालन समिति को अपने खर्च पर गोवंश के लिए चारा-पानी की व्यवस्था करनी होगी. नंदी शालाओं के संचालन करने वाली समिति का चयन निविदा के माध्यम से होगा.
गोशालाओं को दिया जा रहा बजट
ईटीवी भारत में खबर प्रकाशित होने के बाद अलवर जिले में चलने वाली गोशालाओं को भी बजट दिया जाने लगा है. जिले में करीब 55 गोशालाएं हैं. इनमें से 33 गोशाला पशुपालन विभाग और प्रशासन से अनुदान लेती हैं. इस साल इन गोशालाओं को 5 करोड़ 27 लाख 38 हजार 200 रुपए का अनुदान दिया जाना है. इसके तहत प्रशासन ने तुरंत 29 गोशालाओं को धनराशि निर्गत कर दी है जबकि अन्य को धनराशि देने की प्रक्रिया चल रही है. 22 गोशालाएं अपने खर्च पर संचालित हो रही हैं. इनमें से कई गोशालाएं बंद हैं.
सरकार से कैसे मिलता है पैसा
सरकार के नियमों के अनुसार 3 साल से छोटे उम्र के गोवंश को छोटे पशु माना जाता है। जबकि 3 साल व उससे बड़े पशु को बड़ा पशु कहा जाता है. छोटे पशुओं के लिए 20 रुपए और बड़े पशु के लिए 40 रुपए प्रतिदिन का खर्च सरकार से अनुदान के लिए दिया जाता है. कम से कम गोशाला में 200 गोवंश होना आवश्यक है. उससे कम गोवंश होने पर सरकार अनुदान नहीं देती है.
नंदी शाला के लिए आवेदन कर सकती हैं समितियां
प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि नंदी शाला संचालन के लिए समितियां आवेदन कर सकती हैं लेकिन समिति के पास अपनी खुद की 20 बीघा जमीन होनी चाहिए. इसके अलावा समिति बने 3 साल पूरे होने चाहिए. शुरुआत में 250 नर गोवंश रखने की व्यवस्था इन नंदी शाला में होगी. इसके साथ ही उसका रजिस्ट्रेशन पशुपालन विभाग और रजिस्ट्रार कार्यालय में होना आवश्यक है. आवेदन करने वाली समितियों में लॉटरी के माध्यम से चयन किया जाएगा.