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अलवर: भगवान जगन्नाथ के बंधे कंगन-डोरे और लगी मेहंदी, आज निकलेगी शोभायात्रा - भगवान जगन्नाथ का विवाह

अलवर में भगवान जगन्नाथ के कंगन डोरे बंध चुके हैं और हाथों में मेहंदी भी लग चुकी है. अब सोमवार को भगवान की शोभायात्रा निकलेगी. उसके बाद माता जानकी के साथ उनका विवाह होगा. वहीं कोरोना के चलते इन कार्यक्रमों में अलवर के लोग हिस्सा भी नहीं ले सकेंगे.

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भगवान जगन्नाथ के बंधे कंगन-डोरे और लगी मेहंदी
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Published : Jun 29, 2020, 1:04 PM IST

अलवर. अलवर में भगवान जगन्नाथ के कंगन डोरे बंध चुके हैं और हाथों में मेहंदी लग चुकी है. सोमवार को भगवान की शोभायात्रा निकलेगी. उसके बाद माता जानकी के साथ उनका विवाह होगा, लेकिन 165 साल में पहली बार यह सभी रस्म और कार्यक्रम मंदिर प्रांगण में होंगे. कोरोना के चलते इन कार्यक्रमों में अलवर के लोग हिस्सा भी नहीं ले सकेंगे.

भगवान जगन्नाथ के बंधे कंगन-डोरे और लगी मेहंदी

देश में जगन्नाथ पुरी के बाद भगवान जगन्नाथ की सबसे बड़ी रथ यात्रा अलवर में निकलती है. जगन्नाथपुरी में भगवान जानकी जी के साथ शहर भ्रमण पर निकलते हैं, जबकि अलवर में भगवान जगन्नाथ का जानकी जी के साथ विवाह होता है. अलवर के पुराना कटरा स्थित जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होती है, जो पूरे शहर में भ्रमण करती हुई जगन्नाथ मेला स्थल तक पहुंचती है. इससे पहले माता जानकी जी और उनके भाई रथ में सवार होकर जगन्नाथ मंदिर से मेला स्थल पर पहुंचते हैं.

3 दिनों तक यहां मेला भरता है. उसके बाद भगवान जगन्नाथ का जानकी जी के साथ विवाह होता है. इस पूरे कार्यक्रम में हर साल लाखों लोग साक्षी बनते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण काल के बीच इस बार सभी कार्यक्रम रद्द हो गए हैं. यह सभी कार्यक्रम जगन्नाथ मंदिर स्थित प्रांगण में चल रहे हैं. तय तिथि के अनुसार भगवान जगन्नाथ के विवाह की सभी रस्म चल रही हैं. भगवान के कंगन डोरे बंध चुके हैं और मेहंदी लग चुकी है. सोमवार को मंदिर में ही भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. उसके बाद उनका जानकी जी के साथ विवाह होगा.

इस बार सभी कार्यक्रमों में मंदिर समिति के पुजारी और ट्रस्ट के कुछ लोग हिस्सा ले रहे हैं. अलवर में भगवान जगन्नाथ का 165 साल पुराना इतिहास रहा है. अलवर के अलावा आसपास के जिलों और राज्यों से लाखों लोग भगवान के दर्शन करने के लिए अलवर आते हैं, लेकिन पहली बार सभी को निराशा मिली है. मंदिर के महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते सभी रस्मों और कार्यक्रम मंदिर प्रांगण में चल रहे हैं. पूरे विधि विधान के साथ इन कार्यक्रमों को आयोजित किया जा रहा है. इनमें केवल महंत परिवार और मंदिर समिति के लोग हिस्सा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ के हर बार लाखों लोग दर्शन करते हैं.

यह भी पढ़ें- मंत्री अशोक चांदना ने सतीश पूनिया पर की अशोभनीय टिप्पणी

वहीं जिन युवाओं के विवाह नहीं होते हैं, उनके कंगन डोरे बांधे जाते हैं. इसके अलावा बच्चों की भी पूजा अर्चना होती है, लेकिन इस बार मेला नहीं भरने के कारण सभी कार्यक्रम मंदिर में हो रहे हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग फोन करके उनके लिए पूजा अर्चना करने सहित अन्य रस्मों में हिस्सेदारी के लिए बोल रहे हैं. पहली बार यह सभी कार्यक्रम ऑनलाइन किए जा रहे हैं. भक्त भी भगवान के दर्शन ऑनलाइन कर रहे हैं. अलवर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा मेला पूरे देश में विशेष स्थान रखता है.

अलवर. अलवर में भगवान जगन्नाथ के कंगन डोरे बंध चुके हैं और हाथों में मेहंदी लग चुकी है. सोमवार को भगवान की शोभायात्रा निकलेगी. उसके बाद माता जानकी के साथ उनका विवाह होगा, लेकिन 165 साल में पहली बार यह सभी रस्म और कार्यक्रम मंदिर प्रांगण में होंगे. कोरोना के चलते इन कार्यक्रमों में अलवर के लोग हिस्सा भी नहीं ले सकेंगे.

भगवान जगन्नाथ के बंधे कंगन-डोरे और लगी मेहंदी

देश में जगन्नाथ पुरी के बाद भगवान जगन्नाथ की सबसे बड़ी रथ यात्रा अलवर में निकलती है. जगन्नाथपुरी में भगवान जानकी जी के साथ शहर भ्रमण पर निकलते हैं, जबकि अलवर में भगवान जगन्नाथ का जानकी जी के साथ विवाह होता है. अलवर के पुराना कटरा स्थित जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होती है, जो पूरे शहर में भ्रमण करती हुई जगन्नाथ मेला स्थल तक पहुंचती है. इससे पहले माता जानकी जी और उनके भाई रथ में सवार होकर जगन्नाथ मंदिर से मेला स्थल पर पहुंचते हैं.

3 दिनों तक यहां मेला भरता है. उसके बाद भगवान जगन्नाथ का जानकी जी के साथ विवाह होता है. इस पूरे कार्यक्रम में हर साल लाखों लोग साक्षी बनते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण काल के बीच इस बार सभी कार्यक्रम रद्द हो गए हैं. यह सभी कार्यक्रम जगन्नाथ मंदिर स्थित प्रांगण में चल रहे हैं. तय तिथि के अनुसार भगवान जगन्नाथ के विवाह की सभी रस्म चल रही हैं. भगवान के कंगन डोरे बंध चुके हैं और मेहंदी लग चुकी है. सोमवार को मंदिर में ही भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. उसके बाद उनका जानकी जी के साथ विवाह होगा.

इस बार सभी कार्यक्रमों में मंदिर समिति के पुजारी और ट्रस्ट के कुछ लोग हिस्सा ले रहे हैं. अलवर में भगवान जगन्नाथ का 165 साल पुराना इतिहास रहा है. अलवर के अलावा आसपास के जिलों और राज्यों से लाखों लोग भगवान के दर्शन करने के लिए अलवर आते हैं, लेकिन पहली बार सभी को निराशा मिली है. मंदिर के महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते सभी रस्मों और कार्यक्रम मंदिर प्रांगण में चल रहे हैं. पूरे विधि विधान के साथ इन कार्यक्रमों को आयोजित किया जा रहा है. इनमें केवल महंत परिवार और मंदिर समिति के लोग हिस्सा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ के हर बार लाखों लोग दर्शन करते हैं.

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वहीं जिन युवाओं के विवाह नहीं होते हैं, उनके कंगन डोरे बांधे जाते हैं. इसके अलावा बच्चों की भी पूजा अर्चना होती है, लेकिन इस बार मेला नहीं भरने के कारण सभी कार्यक्रम मंदिर में हो रहे हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग फोन करके उनके लिए पूजा अर्चना करने सहित अन्य रस्मों में हिस्सेदारी के लिए बोल रहे हैं. पहली बार यह सभी कार्यक्रम ऑनलाइन किए जा रहे हैं. भक्त भी भगवान के दर्शन ऑनलाइन कर रहे हैं. अलवर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा मेला पूरे देश में विशेष स्थान रखता है.

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