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Alwar Jagannath Rath Yatra: इंद्र विमान पर निकलेगी भगवान जगन्नाथ की यात्रा... यहां होता है भगवान जगन्नाथ और जानकी का विवाह

कोरोना महामारी के बाद अलवर में दो साल बाद भगवान जगन्नाथ (Alwar Jagannath Rath Yatra) रथ यात्रा की तैयारियां तेजी से चल रहीं हैं. भगवान जगन्नाथ के खास रथ जिसे इंद्र विमान कहा जाता है, को भी तैयार किया जा रहा है. इंद्र विमान पर विराजमान होकर भगवान 8 जुलाई को भक्तों का कुशलक्षेम जानने निकलेंगे. नगर भ्रमण के साथ ही भगवान जगन्नाथ और जानकी का विवाह भी होगा. इस दौरान तीन दिन मेला भी लगेगा जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी.

Alwar Jagannath Rath Yatra
जगन्नाथ यात्रा की तैयारी तेज
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Published : Jul 4, 2022, 7:49 PM IST

Updated : Jul 4, 2022, 10:03 PM IST

अलवर. आगामी 8 जुलाई को जिले में इंद्र विमान में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Alwar Jagannath Rath Yatra) निकाली जाएगी. इस रथयात्रा में हर साल की तरह बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है. इस अवसर पर 3 दिनों तक जिले में मेला भरता है. भगवान जगन्नाथ और माता जानकी का विवाह भी होता है. उसके बाद भगवान जगन्नाथ वापस जानकी जी के साथ मंदिर लौटते हैं. मेले में शामिल होने के लिए अलवर के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात और आसपास शहरों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. अलवर में 1863 साल से मेला भर रहा है जबकि जगन्नाथ मंदिर ढाई सौ वर्ष पुराना है.

अलवर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर मेले का खास महत्व है. कोरोना के चलते दो साल तक रथ यात्रा नहीं निकाली गई थी और न ही मेला लगा था. ऐसे में इस साल मेले को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. 26 जून गणेश पूजन के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. 15 दिनों तक मंदिर में विशेष कार्यक्रम होते हैं. अलवर की रथयात्रा और मेला खास पहचान रखता है. मंदिर के पुजारी पंडित देवेंद्र शर्मा ने बताया कि अलवर में भगवान जगन्नाथ और जानकी का विवाह होता है.

जगन्नाथ यात्रा की तैयारी तेज

पढ़ें. अलवर: जगन्नाथ मंदिर में महाआरती से मत्स्य उत्सव की शुरुआत

तीन दिनों तक लगेगा मेला
8 तारीख को भगवान जगन्नाथ इंद्र विमान में सवार होकर शहर के मुख्य बाजारों में चौराहे से होते हुए रूपवास मेला स्थल पर पहुंचेंगे. तीन दिनों तक वहां मेला लगा रहेगा जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे. 10 जुलाई को माता जानकी की रथ यात्रा निकलेगी. 10 तारीख की रात को मेला स्थल पर मंदिर में भगवान जगन्नाथ व जानकी का विवाह होगा. उसके बाद जानकी जी के साथ भगवान जगन्नाथ वापस मंदिर लौटेंगे. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के स्थान पर बूढ़े जगन्नाथ की प्रतिमा को रखा जाता है. रथ यात्रा में लाखों लोग शामिल होते हैं. मेले के दौरान अलवर के अलावा आसपास के कई राज्यों के शहरों से भी लोग घूमने के लिए भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए आते हैं.

Alwar Jagannath Rath Yatra
नगर भ्रमण को निकलेंगे भगवान जगन्नाथ

भगवान का इंद्र विमान है खास
मंदिर के पुजारी ने बताया कि भगवान जगन्नाथ जिस इंद्र विमान यानी रथ से यात्रा पर निकलते हैं, वह बेहद खास होता है. महाराजा बख्तावर सिंह ने 210 साल पहले इस रथ का निर्माण करवाया था. इसमें शॉकर, रथ के टायर और कुछ सामान लंदन से मंगवाया गया था. खास कारीगरों ने इस रथ को तैयार किया था. रथ में तीन फ्लोर हैं. पहले महाराज बख्तावर सिंह इस रथ पर बैठकर शहर भ्रमण को निकलते थे. उस समय चार हाथी इस रथ को खींचा करते थे. उसके बाद महाराजा प्रताप सिंह इस रथ पर सवार होकर भ्रमण करते थे. बाद में भगवान जगन्नाथ की यात्रा के लिए इस रथ को दिया गया. साल भर यह रथ खाने में ही खड़ा रहता है. एक विशेष परिवार 5 पीढ़ियों से इस रथ की मरम्मत और देखभाल कर रहा है. इस रथ में कभी दीमक नहीं लगती है. यह आज भी बिल्कुल नया जैसा लगता है.

पढ़ें. अलवर: 165 वर्षों में पहली बार राजगढ़ में नहीं निकलेगी भगवान जगन्नाथ महाराज की रथयात्रा

अलवर में होता है भगवान जगन्नाथ का विवाह
वैसे तो देश में अलग-अलग जगहों पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है, लेकिन अलवर की जगन्नाथ रथ यात्रा खास है. दरसअल अलवर और राजगढ़ दो जगहों पर भगवान जगन्नाथ की बड़ी रथयात्रा निकलती है. दोनों ही जगहों पर भगवान जगन्नाथ से जानकी जी का विवाह होता है. इसलिए यह रथ यात्रा खास रहती है. इसमें लाखों लोग शामिल होते हैं. मेला में रथयात्रा के देखने के लिए दूर-दूर से लोग अलवर आते हैं.

अलवर प्रशासन ने शुरू की तैयारी
रथ यात्रा की व्यवस्था को लेकर अलवर प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. 10 साल अलवर के रूपबास में 3 दिनों तक मेला भरता है. मेले के लिए जिले में एक दिन का स्थानीय अवकाश रखा जाता है. जिन सड़क मार्गों से होकर भगवान जगन्नाथ की रथ निकलती है उन रास्तों पर मरम्मत कार्य किए जा रहे हैं. इसके अलावा रथ यात्रा के रास्ते में बिजली के तारों को ऊंचा करना व ठीक करने का काम भी चल रहा है. रास्ते में पेड़ों की छंटाई चल रही है. मेला स्थल पर प्रशासन की तरफ से साफ-सफाई की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही अन्य इंतजाम भी मेले के लिए किए जा रहे हैं.

चित्तौड़गढ़ में 9 जुलाई को जगन्नाथ यात्रा
उड़ीसा की तर्ज पर चित्तौड़गढ़ में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. चित्तौड़गढ़ का इतिहास में यह पहली रथ यात्रा होगी जिसका आयोजन भगवान कृष्ण भावना मृत संघ की ओर से किया जा रहा है. इस्कॉन के मीरा नगर स्थित केंद्र द्वारा इसकी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है.चित्तौड़गढ़ इस्कॉन मंदिर के पुजारी मधुर मुरली दास ने इस्कॉन केंद्र परिसर में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावना मृत संघ के निर्देशानुसार यह आयोजन हाथ में लिया गया है. 9 जुलाई को शाम 4:00 बजे मीरा नगर स्थित केंद्र से भगवान जगन्नाथ रथ में आरुढ़ होंगे. श्रद्धालु अपने कंधों पर रथ को खींचकर शोभा यात्रा निकालेंगे.

अलवर. आगामी 8 जुलाई को जिले में इंद्र विमान में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Alwar Jagannath Rath Yatra) निकाली जाएगी. इस रथयात्रा में हर साल की तरह बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है. इस अवसर पर 3 दिनों तक जिले में मेला भरता है. भगवान जगन्नाथ और माता जानकी का विवाह भी होता है. उसके बाद भगवान जगन्नाथ वापस जानकी जी के साथ मंदिर लौटते हैं. मेले में शामिल होने के लिए अलवर के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात और आसपास शहरों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. अलवर में 1863 साल से मेला भर रहा है जबकि जगन्नाथ मंदिर ढाई सौ वर्ष पुराना है.

अलवर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर मेले का खास महत्व है. कोरोना के चलते दो साल तक रथ यात्रा नहीं निकाली गई थी और न ही मेला लगा था. ऐसे में इस साल मेले को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. 26 जून गणेश पूजन के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. 15 दिनों तक मंदिर में विशेष कार्यक्रम होते हैं. अलवर की रथयात्रा और मेला खास पहचान रखता है. मंदिर के पुजारी पंडित देवेंद्र शर्मा ने बताया कि अलवर में भगवान जगन्नाथ और जानकी का विवाह होता है.

जगन्नाथ यात्रा की तैयारी तेज

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तीन दिनों तक लगेगा मेला
8 तारीख को भगवान जगन्नाथ इंद्र विमान में सवार होकर शहर के मुख्य बाजारों में चौराहे से होते हुए रूपवास मेला स्थल पर पहुंचेंगे. तीन दिनों तक वहां मेला लगा रहेगा जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे. 10 जुलाई को माता जानकी की रथ यात्रा निकलेगी. 10 तारीख की रात को मेला स्थल पर मंदिर में भगवान जगन्नाथ व जानकी का विवाह होगा. उसके बाद जानकी जी के साथ भगवान जगन्नाथ वापस मंदिर लौटेंगे. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के स्थान पर बूढ़े जगन्नाथ की प्रतिमा को रखा जाता है. रथ यात्रा में लाखों लोग शामिल होते हैं. मेले के दौरान अलवर के अलावा आसपास के कई राज्यों के शहरों से भी लोग घूमने के लिए भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए आते हैं.

Alwar Jagannath Rath Yatra
नगर भ्रमण को निकलेंगे भगवान जगन्नाथ

भगवान का इंद्र विमान है खास
मंदिर के पुजारी ने बताया कि भगवान जगन्नाथ जिस इंद्र विमान यानी रथ से यात्रा पर निकलते हैं, वह बेहद खास होता है. महाराजा बख्तावर सिंह ने 210 साल पहले इस रथ का निर्माण करवाया था. इसमें शॉकर, रथ के टायर और कुछ सामान लंदन से मंगवाया गया था. खास कारीगरों ने इस रथ को तैयार किया था. रथ में तीन फ्लोर हैं. पहले महाराज बख्तावर सिंह इस रथ पर बैठकर शहर भ्रमण को निकलते थे. उस समय चार हाथी इस रथ को खींचा करते थे. उसके बाद महाराजा प्रताप सिंह इस रथ पर सवार होकर भ्रमण करते थे. बाद में भगवान जगन्नाथ की यात्रा के लिए इस रथ को दिया गया. साल भर यह रथ खाने में ही खड़ा रहता है. एक विशेष परिवार 5 पीढ़ियों से इस रथ की मरम्मत और देखभाल कर रहा है. इस रथ में कभी दीमक नहीं लगती है. यह आज भी बिल्कुल नया जैसा लगता है.

पढ़ें. अलवर: 165 वर्षों में पहली बार राजगढ़ में नहीं निकलेगी भगवान जगन्नाथ महाराज की रथयात्रा

अलवर में होता है भगवान जगन्नाथ का विवाह
वैसे तो देश में अलग-अलग जगहों पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है, लेकिन अलवर की जगन्नाथ रथ यात्रा खास है. दरसअल अलवर और राजगढ़ दो जगहों पर भगवान जगन्नाथ की बड़ी रथयात्रा निकलती है. दोनों ही जगहों पर भगवान जगन्नाथ से जानकी जी का विवाह होता है. इसलिए यह रथ यात्रा खास रहती है. इसमें लाखों लोग शामिल होते हैं. मेला में रथयात्रा के देखने के लिए दूर-दूर से लोग अलवर आते हैं.

अलवर प्रशासन ने शुरू की तैयारी
रथ यात्रा की व्यवस्था को लेकर अलवर प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. 10 साल अलवर के रूपबास में 3 दिनों तक मेला भरता है. मेले के लिए जिले में एक दिन का स्थानीय अवकाश रखा जाता है. जिन सड़क मार्गों से होकर भगवान जगन्नाथ की रथ निकलती है उन रास्तों पर मरम्मत कार्य किए जा रहे हैं. इसके अलावा रथ यात्रा के रास्ते में बिजली के तारों को ऊंचा करना व ठीक करने का काम भी चल रहा है. रास्ते में पेड़ों की छंटाई चल रही है. मेला स्थल पर प्रशासन की तरफ से साफ-सफाई की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही अन्य इंतजाम भी मेले के लिए किए जा रहे हैं.

चित्तौड़गढ़ में 9 जुलाई को जगन्नाथ यात्रा
उड़ीसा की तर्ज पर चित्तौड़गढ़ में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. चित्तौड़गढ़ का इतिहास में यह पहली रथ यात्रा होगी जिसका आयोजन भगवान कृष्ण भावना मृत संघ की ओर से किया जा रहा है. इस्कॉन के मीरा नगर स्थित केंद्र द्वारा इसकी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है.चित्तौड़गढ़ इस्कॉन मंदिर के पुजारी मधुर मुरली दास ने इस्कॉन केंद्र परिसर में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावना मृत संघ के निर्देशानुसार यह आयोजन हाथ में लिया गया है. 9 जुलाई को शाम 4:00 बजे मीरा नगर स्थित केंद्र से भगवान जगन्नाथ रथ में आरुढ़ होंगे. श्रद्धालु अपने कंधों पर रथ को खींचकर शोभा यात्रा निकालेंगे.

Last Updated : Jul 4, 2022, 10:03 PM IST
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