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अलवरः कोरोना रिपोर्ट आने के बाद ही बंदियों को अब जेल में दिया जाएगा प्रवेश

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Published : May 19, 2020, 11:40 PM IST

जयपुर जेल में कोरोना का विस्फोट होने के बाद जेल मुख्यालय की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया है. अब अलवर सहित प्रदेश की सभी जेलों में कोरोना की रिपोर्ट आने के बाद ही बंदियों को प्रवेश दिया जाएगा. जेल मुख्यालय के इस फैसले से पुलिस महकमे में खासी हलचल है, क्योंकि न्यायालय से जेसी होने के बाद बंदी को सीधे जेल भेजा जाता है.

कोरोना रिपोर्ट के बाद जेल में प्रवेश, Entry in jail after Corona report
कोरोना रिपोर्ट के बाद कैदी को जेल में प्रवेश

अलवर. केंद्रीय कारागार में एक हजार से अधिक बंदी बंद हैं. जयपुर जेल में कोरोना विस्फोट होने के बाद जेल मुख्यालय की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया है. अलवर सहित प्रदेश की सभी जेलों में अब बंदी की कोरोना रिपोर्ट आने के बाद ही उनको प्रवेश दिया जाएगा.

ऐसे में पुलिस द्वारा जिन आरोपियों को पकड़ा जाता है. सबसे पहले उनकी कोरोना जांच कराई जाएगी. उसके बाद रिपोर्ट आने तक बंदी पुलिस के कब्जे में रहेगा. अगर बंदी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो उनको अस्पताल में भर्ती करके उनका इलाज कराया जाएगा. जबकि जिन बंदियों की रिपोर्ट नेगेटिव आएगी, उनको जेल में प्रवेश दिया जाएगा.

पढ़ें- राज्य में एक जिले से दूसरे जिले में जाने पर क्वॉरेंटाइन अनिवार्य नहीं: मुख्यमंत्री

जेल मुख्यालय के इस फैसले से पुलिस और आबकारी विभाग में खासी हलचल मची हुई है, क्योंकि प्रतिदिन पुलिस की तरफ से लोगों को गिरफ्तार किया जाता है. गिरफ्तारी के बाद सभी को न्यायालय में पेश किया जाता है. न्यायालय की तरफ से जिन बंदियों को जेसी पर भेजा जाता है, वो बंदी सीधे जेल जाते हैं. मंगलवार को जेल मुख्यालय के फैसले ने पुलिस प्रशासन की परेशानी बढ़ा दी थी. क्योंकि जिन लोगों को जेसी भेजा गया था. जेल प्रशासन ने उनको लेने से मना कर दिया.

पुलिस और आबकारी विभाग की तरफ से प्रतिदिन विभिन्न मामलों में लोगों को गिरफ्तार किया जाता है. ऐसे में दोनों विभागों के सामने बंदियों को रखने की परेशानी खड़ी हो गई है, क्योंकि कानून के हिसाब से न्यायालय से आदेश के बाद उसकी पालना कराई जाती है. अगर न्यायालय ने किसी बंदी को जेसी पर भेजा है. तो उसको सीधा जेल में पहुंचाया जाता है.

पढ़ें- गहलोत सरकार ने जारी की लॉकडाउन 4.0 की गाइडलाइन, जानें- कहां मिली छूट और कहां रहेगी सख्ती..

लेकिन जेल मुख्यालय के इस फैसले ने सभी की परेशानी बढ़ा दी है. पुलिस अधिकारियों की माने तो जेल प्रशासन ने बंदियों को लेने से मना कर दिया है. इस दौरान पुलिस कस्टडी में अगर किसी बंदी को कोई परेशानी होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. दूसरी तरफ अलवर के केंद्रीय कारागार में आने वाले सभी बंदियों को वापस लौटा दिया गया है.

जेल प्रशासन की तरफ से लिखित में आदेश के बारे में जानकारी दी गई है. अलवर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि मुख्यालय से बंदियों की रिपोर्ट आने के बाद ही जेल में लेने के प्रवेश के आदेश मिले हैं. उन आदेशों की पालना कराई जा रही है.

पढ़ें- ब्यूटी पार्लर-सैलून पर कोरोना संकटः कामगार बोले- साहब...हम बेरोजगार हो गए

अगर इन आदेशों में कोई बदलाव होता है, तो उस हिसाब से आगे का फैसला रहेगा. जेल मुख्यालय के फैसले के चलते अलवर में मंगलवार को दिनभर हलचल रही. न्यायालय, प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी आपस में बातचीत करते रहे. क्योंकि प्रतिदिन पूरे जिले से बड़ी संख्या में बंदियों को जेल भेजा जाता है. अब उन बंदियों को कहां रखा जाएगा और उनके खाने और रहने की व्यवस्था कैसे होगी. यह सवाल सभी के जेहन में बना हुआ था.

अलवर. केंद्रीय कारागार में एक हजार से अधिक बंदी बंद हैं. जयपुर जेल में कोरोना विस्फोट होने के बाद जेल मुख्यालय की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया है. अलवर सहित प्रदेश की सभी जेलों में अब बंदी की कोरोना रिपोर्ट आने के बाद ही उनको प्रवेश दिया जाएगा.

ऐसे में पुलिस द्वारा जिन आरोपियों को पकड़ा जाता है. सबसे पहले उनकी कोरोना जांच कराई जाएगी. उसके बाद रिपोर्ट आने तक बंदी पुलिस के कब्जे में रहेगा. अगर बंदी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो उनको अस्पताल में भर्ती करके उनका इलाज कराया जाएगा. जबकि जिन बंदियों की रिपोर्ट नेगेटिव आएगी, उनको जेल में प्रवेश दिया जाएगा.

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जेल मुख्यालय के इस फैसले से पुलिस और आबकारी विभाग में खासी हलचल मची हुई है, क्योंकि प्रतिदिन पुलिस की तरफ से लोगों को गिरफ्तार किया जाता है. गिरफ्तारी के बाद सभी को न्यायालय में पेश किया जाता है. न्यायालय की तरफ से जिन बंदियों को जेसी पर भेजा जाता है, वो बंदी सीधे जेल जाते हैं. मंगलवार को जेल मुख्यालय के फैसले ने पुलिस प्रशासन की परेशानी बढ़ा दी थी. क्योंकि जिन लोगों को जेसी भेजा गया था. जेल प्रशासन ने उनको लेने से मना कर दिया.

पुलिस और आबकारी विभाग की तरफ से प्रतिदिन विभिन्न मामलों में लोगों को गिरफ्तार किया जाता है. ऐसे में दोनों विभागों के सामने बंदियों को रखने की परेशानी खड़ी हो गई है, क्योंकि कानून के हिसाब से न्यायालय से आदेश के बाद उसकी पालना कराई जाती है. अगर न्यायालय ने किसी बंदी को जेसी पर भेजा है. तो उसको सीधा जेल में पहुंचाया जाता है.

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लेकिन जेल मुख्यालय के इस फैसले ने सभी की परेशानी बढ़ा दी है. पुलिस अधिकारियों की माने तो जेल प्रशासन ने बंदियों को लेने से मना कर दिया है. इस दौरान पुलिस कस्टडी में अगर किसी बंदी को कोई परेशानी होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. दूसरी तरफ अलवर के केंद्रीय कारागार में आने वाले सभी बंदियों को वापस लौटा दिया गया है.

जेल प्रशासन की तरफ से लिखित में आदेश के बारे में जानकारी दी गई है. अलवर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि मुख्यालय से बंदियों की रिपोर्ट आने के बाद ही जेल में लेने के प्रवेश के आदेश मिले हैं. उन आदेशों की पालना कराई जा रही है.

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अगर इन आदेशों में कोई बदलाव होता है, तो उस हिसाब से आगे का फैसला रहेगा. जेल मुख्यालय के फैसले के चलते अलवर में मंगलवार को दिनभर हलचल रही. न्यायालय, प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी आपस में बातचीत करते रहे. क्योंकि प्रतिदिन पूरे जिले से बड़ी संख्या में बंदियों को जेल भेजा जाता है. अब उन बंदियों को कहां रखा जाएगा और उनके खाने और रहने की व्यवस्था कैसे होगी. यह सवाल सभी के जेहन में बना हुआ था.

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