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SPECIAL: अलवर में रंग लाई ETV Bharat की मुहिम, तालाब में पानी आने से गांव में बढ़ा भूमिगत जलस्तर

अलवर के नीमराणा क्षेत्र के मांढण गांव में 1 साल पहले ईटीवी भारत की तरफ से पानी के संकट को देखते हुए गांव के तालाब के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया गया था. लोगों की मदद से तालाब के अंदर से मिट्टी निकाली गई और तालाब के चारों तरफ पेड़ लगाए गए. ETV BHARAT की यह मुहिम अब रंग लाने लगी है. पेड़ बड़े हो चुके हैं और तालाब में पानी आने से गांव में भूमिगत जल स्तर में सुधार हुआ है. देखिए ये खास रिपोर्ट...

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मांढण गांव में तालाब में भरा पानी
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Published : Jun 30, 2020, 8:46 PM IST

अलवर. देश में लगातार बढ़ रहे पानी के संकट को देखते हुए ईटीवी भारत की तरफ से 'बिन पानी सब सून', 'जल बचाएं भविष्य बनाएं' अभियान के तहत तालाबों में, बावड़ियों के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाते हुए एक मुहिम शुरू की गई थी. यह मुहिम अलवर में अब रंग लाने लगी है. साल 2019 में जुलाई के दूसरे सप्ताह में ETV BHARAT की तरफ से नीमराणा क्षेत्र के मांढण गांव में तालाब के जीर्णोद्धार का फैसला लिया गया था. जिसमें ग्रामीण और सामाजिक संस्थाओं की मदद से ऐतिहासिक तालाब के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया गया था.

मांढण गांव में रंग लाई ईटीवी भारत की मुहिम

ग्रामीणों ने किया धन्यावाद

इस दौरान तालाब के चारों तरफ हजारों पेड़ लगाए गए और तालाब के अंदर की मिट्टी को जेसीबी और लोगों की मदद से बाहर निकाला गया. जिससे तालाब को नया जीवन मिला है. बता दें कि बारिश के बाद आसपास क्षेत्र के भूमिगत जल स्तर में सुधार हुआ है. जिससे हजारों लोगों को राहत मिली है. ऐसे में ग्रामीणों ने ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि इस मुहिम के चलते गांव में लोगों को नया जीवन मिला है. बेहतर पानी सप्लाई मिलने के कारण गांव में अच्छी फसल हुई है. साथ ही ट्यूबवेल बोरिंग के स्तर में भी सुधार हुआ है.

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तालाब से पानी पीते जानवर

सकारात्मक प्रयास

इस मुहिम में तत्कालीन सरपंच, जिला प्रशासन, जिला परिषद सैकड़ों ग्रामीणों की तरफ से विशेष सहयोग प्रदान किया गया. अलवर जिला परिषद के सीईओ विनय नगायच मौके पर पहुंचे. उन्होंने तालाब के चारों तरफ पेड़ लगाए और मिट्टी उठवाकर सफाई व मिट्टी निकालने का काम शुरू करवाया. इस मुहिम में हजारों ग्रामीणों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, जो सराहनीय है. ग्रामीणों ने कहा कि गांव के हालात खराब हो रहे थे. लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिलता था. पानी के बिना फसल भी खराब हो रही थी. पहले भी कई बार तालाब के जीर्णोद्धार का कदम उठाया गया, लेकिन वो सफल नहीं हो सका, लेकिन यह सकारात्मक प्रयास लोगों में नई चेतना लेकर आया है.

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तालाब के पास लगाए गए पेड़

निस्वार्थ भावना से पेड़ों को देती हैं पानी

गांव की रहने वाली शकुंतला निस्वार्थ भावना से इस मुहिम से जुड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि यह मुहिम सकारात्मक थी. इससे उनके गांव को खासा फायदा हुआ है, इसलिए उन्होंने सभी पेड़ों को बचाने के लिए उनकी देखभाल करने का फैसला लिया. बता दें कि वह लगातार एक साल से इस काम में जुटी हुई हैं.

यह भी पढ़ें : SPECIAL: रंग लाने लगी मुहिम, इस मानसून में भर जाएगा बंका सेठ की जोहड़ी में पानी

क्या है ग्रामीणों का कहना

ग्रामीण व पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष जयप्रकाश यादव ने बताया कि 1 साल पहले इस तालाब के हालात बहुत खराब थे, लेकिन इस मुहिम के बाद काफी सुधार हुआ. बीते साल बारिश के दौरान तालाब में खासा पानी जमा हुआ. जिससे आसपास के क्षेत्र का जलस्तर बढ़ा है. मांढण के पास के गांव कानावास के सरपंच अजीत यादव ने कहा कि यह मुहिम सकारात्मक थी. वैसे तो तमाम मुहिम चलती है, लेकिन उनका लाभ लोगों को नहीं मिलता है. पहली बार किसी संस्था की मुहिम का लोगों को लाभ मिलता नजर आया.

उन्होंने कहा कि इस मुहिम से प्रेरित होकर आसपास क्षेत्र के स्कूलों में 200 से अधिक पेड़ लगाने का काम भी ग्रामीणों की तरफ से किया गया. गांव खुंदरोध सरपंच ने कहा कि इस मुहिम का आसपास के कई गांवों पर असर पड़ता है. गांव में अब बेहतर हालात हैं. उन्होंने बताया कि पेड़ अब बड़े होने लगे हैं.

अलवर. देश में लगातार बढ़ रहे पानी के संकट को देखते हुए ईटीवी भारत की तरफ से 'बिन पानी सब सून', 'जल बचाएं भविष्य बनाएं' अभियान के तहत तालाबों में, बावड़ियों के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाते हुए एक मुहिम शुरू की गई थी. यह मुहिम अलवर में अब रंग लाने लगी है. साल 2019 में जुलाई के दूसरे सप्ताह में ETV BHARAT की तरफ से नीमराणा क्षेत्र के मांढण गांव में तालाब के जीर्णोद्धार का फैसला लिया गया था. जिसमें ग्रामीण और सामाजिक संस्थाओं की मदद से ऐतिहासिक तालाब के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया गया था.

मांढण गांव में रंग लाई ईटीवी भारत की मुहिम

ग्रामीणों ने किया धन्यावाद

इस दौरान तालाब के चारों तरफ हजारों पेड़ लगाए गए और तालाब के अंदर की मिट्टी को जेसीबी और लोगों की मदद से बाहर निकाला गया. जिससे तालाब को नया जीवन मिला है. बता दें कि बारिश के बाद आसपास क्षेत्र के भूमिगत जल स्तर में सुधार हुआ है. जिससे हजारों लोगों को राहत मिली है. ऐसे में ग्रामीणों ने ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि इस मुहिम के चलते गांव में लोगों को नया जीवन मिला है. बेहतर पानी सप्लाई मिलने के कारण गांव में अच्छी फसल हुई है. साथ ही ट्यूबवेल बोरिंग के स्तर में भी सुधार हुआ है.

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तालाब से पानी पीते जानवर

सकारात्मक प्रयास

इस मुहिम में तत्कालीन सरपंच, जिला प्रशासन, जिला परिषद सैकड़ों ग्रामीणों की तरफ से विशेष सहयोग प्रदान किया गया. अलवर जिला परिषद के सीईओ विनय नगायच मौके पर पहुंचे. उन्होंने तालाब के चारों तरफ पेड़ लगाए और मिट्टी उठवाकर सफाई व मिट्टी निकालने का काम शुरू करवाया. इस मुहिम में हजारों ग्रामीणों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, जो सराहनीय है. ग्रामीणों ने कहा कि गांव के हालात खराब हो रहे थे. लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिलता था. पानी के बिना फसल भी खराब हो रही थी. पहले भी कई बार तालाब के जीर्णोद्धार का कदम उठाया गया, लेकिन वो सफल नहीं हो सका, लेकिन यह सकारात्मक प्रयास लोगों में नई चेतना लेकर आया है.

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तालाब के पास लगाए गए पेड़

निस्वार्थ भावना से पेड़ों को देती हैं पानी

गांव की रहने वाली शकुंतला निस्वार्थ भावना से इस मुहिम से जुड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि यह मुहिम सकारात्मक थी. इससे उनके गांव को खासा फायदा हुआ है, इसलिए उन्होंने सभी पेड़ों को बचाने के लिए उनकी देखभाल करने का फैसला लिया. बता दें कि वह लगातार एक साल से इस काम में जुटी हुई हैं.

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क्या है ग्रामीणों का कहना

ग्रामीण व पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष जयप्रकाश यादव ने बताया कि 1 साल पहले इस तालाब के हालात बहुत खराब थे, लेकिन इस मुहिम के बाद काफी सुधार हुआ. बीते साल बारिश के दौरान तालाब में खासा पानी जमा हुआ. जिससे आसपास के क्षेत्र का जलस्तर बढ़ा है. मांढण के पास के गांव कानावास के सरपंच अजीत यादव ने कहा कि यह मुहिम सकारात्मक थी. वैसे तो तमाम मुहिम चलती है, लेकिन उनका लाभ लोगों को नहीं मिलता है. पहली बार किसी संस्था की मुहिम का लोगों को लाभ मिलता नजर आया.

उन्होंने कहा कि इस मुहिम से प्रेरित होकर आसपास क्षेत्र के स्कूलों में 200 से अधिक पेड़ लगाने का काम भी ग्रामीणों की तरफ से किया गया. गांव खुंदरोध सरपंच ने कहा कि इस मुहिम का आसपास के कई गांवों पर असर पड़ता है. गांव में अब बेहतर हालात हैं. उन्होंने बताया कि पेड़ अब बड़े होने लगे हैं.

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