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पशुओं से क्रूरता की कैसे और कहां करें शिकायत, जानिए

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Published : Jun 22, 2021, 11:01 PM IST

आपके आसपास किसी पालतू और आवारा जानवर के साथ बुरा बर्ताव हो रहा है तो तुरंत पुलिस और नगर परिषद में शिकायत कर सकते हैं. नियम के मुताबिक पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और आईपीसी की धाराओं में FIR दर्ज होगी. अगर घटना के दौरान कोई आवारा पशु जख्मी हुआ है तो उसके बेहतर इलाज की जिम्मेदारी प्रशासन की है.

पशु क्रूरता, cruelty to animals
पशु क्रूरता दंडनीय अपराध है

अलवर. पालतू और आवारा पशुओं के साथ होने वाली घटनाओं के दौरान आमतौर पर लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि इस संबंध में वो कहां शिकायत करें? किस तरह पशु को बचाएं? आप नगर परिषद, नगर पालिका और नगर निगम में शिकायत कर सकते हैं. जिला प्रशासन और पुलिस को भी सूचना दी जा सकती है.

पढ़ेंः Special : लकड़ी पर नक्काशी कर खिलौने बनाने के लिए मशहूर बस्सी का वुड कार्विंग उद्योग ठप, कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

अगर गाय, कुत्ते, सांड और अन्य किसी जीव पर कोई हमला करता है या उसके साथ क्रूरता करता है तो पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और आईपीसी की धाराओं में पुलिस एफआईआर( FIR) दर्ज कर सकती है.

पशुओं से क्रूरता पर सजा का भी प्रावधान

भारतीय दंड विधान में केवल मानव जीवन के प्रति होने वाले अपराधों को ही अपराध नहीं माना गया है, बल्कि पशुओं के प्रति होने वाले अपराधों को भी अपराध माना गया है. पशुओं के प्रति क्रूरता अधिनियम 1960, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 और स्लाटर हाउस रूल्स 2001 बनाया गया है.

पालतू और आवारा जानवरों के साथ होता है बुरा बर्ताव

पुलिस क्रूरता करने वाले व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धाराओं में भी एफआईआर दर्ज कर सकती है. अगर कोई पालतू जानवर चोरी किया गया है तो चोरी की धाराओं में एफआईआर दर्ज होगी. अगर पालतू जानवर का अपहरण हुआ है तो अपहरण की धाराएं लगाई जाती है. अन्य धाराएं भी जांच पड़ताल के दौरान पुलिस जोड़ सकती है.

आए दिन होती है पशुओं से क्रूरता

अलवर की कई संस्थाएं पशुओं की देखभाल करती हैं. गायों पर काम करने वाली गोजीव परमार्थ सेवा संस्थान के पदाधिकारी महेंद्र ने बताया कि वो 7 साल से लगातार अलवर में काम कर रहे हैं. आए दिन गाय, बछड़े और बैल पर तेजाब या केमिकल फेंकने या धारदार हथियार से हमले के मामले सामने आते हैं. एक्सीडेंट के दौरान भी बड़ी संख्या में जानवर घायल होते हैं. जानकारी मिलने पर तुरंत मौके पर पहुंचते हैं.

पशुओं का करते हैं इलाज

पशुओं को लाने ले जाने के लिए अलग से एंबुलेंस बनाई गई है. एंबुलेंस से उनको लाया जाता है. आम मरीजों की तरह पशुओं का भी इलाज किया जाता है. चोट लगने पर मरहम-पट्टी की जाती है. ग्लूकोज चढ़ाना, दवाई लगाना सहित अन्य कार्य भी किए जाते हैं. अलवर में कई संस्थाएं इसी तरह कुत्ते-बिल्ली और अन्य जीवों का भी इलाज कर रही हैं.

अलवर की एक संस्था के पदाधिकारी दिवाकर शर्मा ने बताया कि सड़क हादसे के दौरान लोग कुत्तों को जख्मी छोड़ जाते हैं. आए दिन कुत्तों पर हमले की शिकायतें मिलती हैं. उनकी संस्था कुत्तों का इलाज करती है. ठीक होने के बाद डॉग्स को वापस उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है, जहां वो रहता है.

पढ़ेंः Special : योग के सहारे कैंसर को मात देने वाले सुचित खंडेलवाल की कहानी, मुंह के कैंसर का ऑपरेशन होने के बाद नहीं खुल रहा था जबड़ा

नगर परिषद पुलिस की तरफ से भी उनको आए दिन सूचनाएं मिलती हैं. लोग भी फोन करके उनको जानकारियां देते हैं. उनकी संस्था की तरफ से हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं.

पशु चिकित्सा विभाग भी मुस्तैद!

अलवर में पशु चिकित्सा विभाग की तरफ से भी इस दिशा में काम किया जाता है. जिले भर में बड़ी संख्या में पशु चिकित्सालय हैं. पशु चिकित्सक पशुओं का इलाज करते हैं. जिला स्तर पर पशुओं के एक्स-रे और सोनोग्राफी की भी व्यवस्था है.

कंट्रोल रूम पर कर सकते हैं फोन

कोई भी व्यक्ति पुलिस कंट्रोल रूम, नगर परिषद कंट्रोल रूम और जिला प्रशासन के कंट्रोल रूम पर पशुओं से क्रूरता की शिकायत कर सकता है. पशु चिकित्सा विभाग की तरफ से जारी नंबरों पर भी फोन कर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

किसी भी व्यक्ति को हो सकती है सजा

पशु क्रूरता अधिनियम के अलावा आईपीसी की धाराओं में भी पुलिस एफआईआर दर्ज कर सकती है. इन मामलों में जुर्माने की सजा का प्रावधान है. ऐसे में पालतू और लावारिस जानवर के साथ क्रूरता करना भारी पड़ सकता है.

लचर न्याय व्यवस्था के चलते बढ़ रहे हैं मामले

अलवर सहित पूरे प्रदेश में लचर कानून व्यवस्था के चलते पशु क्रूरता और पशुओं पर होने वाले हमलों की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. आए दिन इस तरह के मामले सामने आते हैं. पुलिस समय पर एफआईआर दर्ज नहीं करती. शिकायतकर्ता परेशान होते हैं. इसलिए लगातार लोगों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.

अलवर. पालतू और आवारा पशुओं के साथ होने वाली घटनाओं के दौरान आमतौर पर लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि इस संबंध में वो कहां शिकायत करें? किस तरह पशु को बचाएं? आप नगर परिषद, नगर पालिका और नगर निगम में शिकायत कर सकते हैं. जिला प्रशासन और पुलिस को भी सूचना दी जा सकती है.

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अगर गाय, कुत्ते, सांड और अन्य किसी जीव पर कोई हमला करता है या उसके साथ क्रूरता करता है तो पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और आईपीसी की धाराओं में पुलिस एफआईआर( FIR) दर्ज कर सकती है.

पशुओं से क्रूरता पर सजा का भी प्रावधान

भारतीय दंड विधान में केवल मानव जीवन के प्रति होने वाले अपराधों को ही अपराध नहीं माना गया है, बल्कि पशुओं के प्रति होने वाले अपराधों को भी अपराध माना गया है. पशुओं के प्रति क्रूरता अधिनियम 1960, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 और स्लाटर हाउस रूल्स 2001 बनाया गया है.

पालतू और आवारा जानवरों के साथ होता है बुरा बर्ताव

पुलिस क्रूरता करने वाले व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धाराओं में भी एफआईआर दर्ज कर सकती है. अगर कोई पालतू जानवर चोरी किया गया है तो चोरी की धाराओं में एफआईआर दर्ज होगी. अगर पालतू जानवर का अपहरण हुआ है तो अपहरण की धाराएं लगाई जाती है. अन्य धाराएं भी जांच पड़ताल के दौरान पुलिस जोड़ सकती है.

आए दिन होती है पशुओं से क्रूरता

अलवर की कई संस्थाएं पशुओं की देखभाल करती हैं. गायों पर काम करने वाली गोजीव परमार्थ सेवा संस्थान के पदाधिकारी महेंद्र ने बताया कि वो 7 साल से लगातार अलवर में काम कर रहे हैं. आए दिन गाय, बछड़े और बैल पर तेजाब या केमिकल फेंकने या धारदार हथियार से हमले के मामले सामने आते हैं. एक्सीडेंट के दौरान भी बड़ी संख्या में जानवर घायल होते हैं. जानकारी मिलने पर तुरंत मौके पर पहुंचते हैं.

पशुओं का करते हैं इलाज

पशुओं को लाने ले जाने के लिए अलग से एंबुलेंस बनाई गई है. एंबुलेंस से उनको लाया जाता है. आम मरीजों की तरह पशुओं का भी इलाज किया जाता है. चोट लगने पर मरहम-पट्टी की जाती है. ग्लूकोज चढ़ाना, दवाई लगाना सहित अन्य कार्य भी किए जाते हैं. अलवर में कई संस्थाएं इसी तरह कुत्ते-बिल्ली और अन्य जीवों का भी इलाज कर रही हैं.

अलवर की एक संस्था के पदाधिकारी दिवाकर शर्मा ने बताया कि सड़क हादसे के दौरान लोग कुत्तों को जख्मी छोड़ जाते हैं. आए दिन कुत्तों पर हमले की शिकायतें मिलती हैं. उनकी संस्था कुत्तों का इलाज करती है. ठीक होने के बाद डॉग्स को वापस उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है, जहां वो रहता है.

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नगर परिषद पुलिस की तरफ से भी उनको आए दिन सूचनाएं मिलती हैं. लोग भी फोन करके उनको जानकारियां देते हैं. उनकी संस्था की तरफ से हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं.

पशु चिकित्सा विभाग भी मुस्तैद!

अलवर में पशु चिकित्सा विभाग की तरफ से भी इस दिशा में काम किया जाता है. जिले भर में बड़ी संख्या में पशु चिकित्सालय हैं. पशु चिकित्सक पशुओं का इलाज करते हैं. जिला स्तर पर पशुओं के एक्स-रे और सोनोग्राफी की भी व्यवस्था है.

कंट्रोल रूम पर कर सकते हैं फोन

कोई भी व्यक्ति पुलिस कंट्रोल रूम, नगर परिषद कंट्रोल रूम और जिला प्रशासन के कंट्रोल रूम पर पशुओं से क्रूरता की शिकायत कर सकता है. पशु चिकित्सा विभाग की तरफ से जारी नंबरों पर भी फोन कर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

किसी भी व्यक्ति को हो सकती है सजा

पशु क्रूरता अधिनियम के अलावा आईपीसी की धाराओं में भी पुलिस एफआईआर दर्ज कर सकती है. इन मामलों में जुर्माने की सजा का प्रावधान है. ऐसे में पालतू और लावारिस जानवर के साथ क्रूरता करना भारी पड़ सकता है.

लचर न्याय व्यवस्था के चलते बढ़ रहे हैं मामले

अलवर सहित पूरे प्रदेश में लचर कानून व्यवस्था के चलते पशु क्रूरता और पशुओं पर होने वाले हमलों की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. आए दिन इस तरह के मामले सामने आते हैं. पुलिस समय पर एफआईआर दर्ज नहीं करती. शिकायतकर्ता परेशान होते हैं. इसलिए लगातार लोगों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.

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