अलवर. इंटरनेशनल गुर्जर महासभा के की तरफ से शुक्रवार को एक निजी होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस दौरान गुर्जर महासभा के लोगों ने जंगल बचाने के नाम पर सरिस्का में रहने वाले लोगों के संवैधानिक और मूलभूत अधिकारों के हनन का मुद्दा उठाया. महासभा ने कहा कि सरकार जंगल एरिया में रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं.
इंटरनेशनल गुर्जर महासभा के अध्यक्ष देव आनंद गुर्जर ने कहा कि जंगल एरिया में रहने वाले गांव वालों की वजह से ही आज जंगल और उसमें रहने वाले जानवर सुरक्षित हैं. अगर ये लोग ना होते तो ना तो जंगल मिलते और ना ही बाघ और चीते देखने को मिलते. उन्होंने कहा कि गांव वालों की इच्छा के खिलाफ उनको जबरन विस्थापित करने के लिए प्रशासन और वन अधिकारी अलग-अलग हथकंडे अपना रहे हैं.
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देव आनंद गुर्जर ने कहा कि प्रशासन लगातार वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को परेशान कर रहा है, जिससे की वो अपने पुश्तैनी घर और जमीन छोड़कर चले जाएं. महासभा ने कहा कि जंगल एरिया में आने वाले गांवों में ना तो पीने के पानी की सुविधा है, ना ही बिजली की व्यवस्था है. जब गांव वाले पानी लाने जाते हैं तो इन्हें प्रताड़ित किया जाता है. वन विभाग के अधिकारी 2006 फॉरेस्ट अधिनियम एक्ट लागू होने के बावजूद भी इन गांव वालों को प्रताड़ित कर रहे हैं.
फॉरेस्ट वाले चाहते हैं इनको जंगल से विस्थापित किया जाए, ताकी इनके कारनामों पर पर्दा पड़ा रहे. उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट वाले जिस तरह इन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं और इनको अपने घर और जमीन से बेदखल करना चाहते हैं, वह बिल्कुल गलत है और बर्दाश्त के बाहर है. उन्होंने कहा कि यह राजस्थान का ही मामला नहीं है, यह पूरे देश के अंदर जंगलों में रहने वाले लोगो का मामला है. इंटरनेशनल गुर्जर महासभा ने इस मामले में प्रधानमंत्री, वन मंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है.