अलवर. समय में तेजी से बदलाव हो रहा है. जिसके कारण लोग गांधीजी के चरखे को भूल चुके हैं. तो वही उसको चलाना व उससे सूट काटना अब पूरी तरीके से बंद हो चुका है. लेकिन अलवर में अभी हजारों महिलाएं चरखे से सूत काटने का काम कर रहे हैं.
दरअसल, खादी ग्राम उद्योग की तरफ से हाथ के कामगारों को प्रमोट करने के लिए पुराना सूचना केंद्र के बाहर एक स्टाल लगाई गई. इसमें ग्रामीण महिलाएं चरखा चलाती हुई और सूत काटती हुई नजर आई. उनको देखने के लिए सड़क पर चलते हुए लोग भी रुक गए.
सूट काटने वाली राजगढ़ की बीना ने बताया कि वो 40 साल से इस काम में लगी हुई है. इस काम से उनके घर की रोजी रोटी चलती है तो वहीं उनको चरखा चलाने में खुशी होती है. उन्होंने कहा कि आज के लोग चरखा चलाना भूल चुके हैं.
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बीना को चरखा चलाते हुए देख वहां से गुजर रहे लोग रुक गए और सभी के चहरों पर खुशी नजर आई. वहां मौजूद लोगों ने बताया कि आज के समय में गांधीजी का चरखा नजर नहीं आता है. तो वहीं उसके चलाने वाले लोग भी कम बचे हैं. बिना ने कहा कि उस जैसी हजारों महिलाएं अलवर में चरखा चलाती हैं. इससे सूट काटने के बाद वह खादी भंडार को देती हैं. उससे दरी पट्टी और अन्य कई सामान बनते हैं.