अलवर. लॉकडाउन के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को बचाने का काम भी किसान ने किया था. क्योंकि, लॉकडाउन में केवल फल और सब्जी की बिक्री हुई थी. लेकिन उसके बाद भी किसान को खासी परेशानी उठानी पड़ी थी. उसको फल और सब्जी के दाम नहीं मिल रहे थे. दरअसल, एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही बंद थी. ऐसे में पैदावार अधिक और डिमांड कम होने के कारण सब्जी और फल की खपत नहीं हुई.
इसके कारण घीया, टमाटर, तोरई सहित ज्यादातर सब्जियां 5 से 6 रुपए किलो के हिसाब से बिकी थी. कुछ जगह पर तो किसानों की ओर से सब्जियों को सड़कों पर फेंक दिया गया और कुछ ने तो जानवरों को खिला दिया था. इससे किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा था. लेकिन अब लॉकडाउन खुलने के बाद किसान को राहत पहुंचने की उम्मीद है. क्योंकि, सब्जी की आवक ही एक जिले से दूसरे जिले और एक राज्य से दूसरे राज्य में शुरू हो चुकी है. इसका सीधा फायदा किसान को मिलेगा. इससे उनको फसलों के बेहतर दाम मिलेंगे
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इन दिनों किसान ज्वार, बाजरा और कपास की बुवाई की जा रही है. साथ ही अलवर की पहचान देश-विदेश में बनाने वाली और अलवर की अर्थव्यवस्था चलाने वाली प्याज की बुवाई भी हो चुकी है. लेकिन इस समय प्याज 5 से 6 रुपए किलो के हिसाब से बिक रही है. यही हालात आगे रहे तो थोड़ी परेशानी हो सकती है. पानी की कमी होने के कारण किसान सब्जियों की पैदावार करने से बचने लगा है. क्योंकि, किसान को सब्जी की पैदावार में खासा नुकसान उठाना पड़ता है. सब्जी तैयार कर मंडी तक लाने में खासा खर्चा होता है, लेकिन उसके बेहतर दाम नहीं मिल पाते हैं.
बाजार में बढ़ी सब्जी और फलों की डिमांड
लॉकडाउन खुलने के साथ ही बाजार में फल और सब्जी की डिमांड बढ़ने लगी है. ऐसे में लंबे समय से नुकसान उठा रहे किसान को फल और सब्जी के बेहतर दाम मिल सकते हैं.
फसलों की बुवाई शुरू
इन दिनों बाजरा, कपास की बुवाई की जा रही है, साथ ही अलवर की अर्थव्यवस्था बनाने वाली प्याज की बुवाई भी चल रही है. लेकिन बीते साल की तुलना में प्याज के दाम तेजी से कम हो रहे हैं. बीते साल किसान को बेहतर प्याज के दाम मिलने के कारण इस बार ज्यादा किसानों ने प्याज की बुवाई जमकर की हैं.