अलवर. एमआईए में 900 करोड़ रुपए की लागत से तैयार ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भवन अब जल्द ही शुरू होगा. 4 साल के इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने 100 सीट के मेडिकल कॉलेज को मंजूरी दे दी है. सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले सत्र से मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई शुरू हो जाएगी. साथ ही अलवर के युवाओं को मेडिकल की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर में राज्यों में नहीं जाना होगा.
4 साल से ईएसआईसी भवन बंद पड़ा हुआ था. इसमें केवल 50 बेड का हॉस्पिटल चल रहा था. मेडिकल कॉलेज को लेकर लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव सभी में जमकर राजनीति हुई. लेकिन मेडिकल कॉलेज बंद रहा. संस्थाओं ने कई अभियान चलाए, धरने प्रदर्शन दिए, अब लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने नेशनल मेडिकल कमीशन के नियमों के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में हॉस्पिटल के पदों के लिए रिवाइज स्वीकृति जारी की है.
इसमें कॉलेज के डीन टीचिंग फैकल्टी में सीनियर व जूनियर रेजिडेंट ट्विटर प्रोफेसर असिस्टेंट प्रोफेसर सहित नर्सिंग स्टाफ पैरामेडिकल व मंत्रालय कर्मचारियों के पदों की भी स्वीकृति दी गई है. एमआईए मेडिकल कॉलेज की मंजूरी के आदेश ईएसआईसी के डिप्टी डायरेक्टर चिकित्सा शिक्षा वीके शर्मा ने चिकित्सा अधीक्षक को जारी किए हैं. मेडिकल कॉलेज शुरू होने से अलवर सहित आसपास के जिलों के लोगों को बेहतर इलाज सुविधा मिलेगी.
मेडिकल कॉलेज को मंजूरी का सबसे बड़ा आधार प्रदेश सरकार की ओर से 11 दिसंबर 2020 को ईएसआईसी को एमबीबीएस की 100 सीटों के लिए जारी किया. इंसेंसिइलिटी सर्टिफिकेट रखा है. इस सर्टिफिकेट के कारण एनएमसी की टीम को मान्यता के लिए निरीक्षण करने की जरूरत नहीं पड़ी. 3 साल के सर्टिफिकेट के आधार पर आसानी से मंजूरी मिल गई. ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज शुरू होने से प्रदेश में एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर भी उपलब्ध हो जाएगी. फिलहाल 1598 की जनसंख्या पर एक डॉक्टर उपलब्ध है.
अलवर का ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भवन उत्तर भारत का सबसे बड़ा भवन है. पूरा परिसर 36 एकड़ में फैला हुआ है व धूम्रपान मुक्त है. स्मोकिंग डिटेक्टर लगाए गए हैं. सिगरेट का धुंआ आते ही अलार्म बज जाएगा. इसके अलावा फायर फाइटिंग सिस्टम भी अस्पताल में मौजूद है. अस्पताल की चार मंजिलों में इंडोर वार्ड है. हर मंजिल पर 5 वीआईपी बेड के चार आइसोलेशन वार्ड हैं. मेडिकल मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक भवन में आधुनिक दो कैप्सूल लिफ्ट लगाई गई हैं.
मेडिकल कॉलेज लेक्चर हॉल के लिए दो-दो लिस्ट लगाई गई हैं. 8 मंजिला भवन में स्टाफ और मरीजों की सुविधा के लिए 23 लिफ्ट लगाई गई हैं. ओपीडी में डॉक्टर कक्ष के सामने रॉकी और उनके परिजनों की बैठने की सुविधा है. मरीजों की सुविधा के लिए छह विदेशी तकनीक और चार भारतीय तकनीक के ऑपरेशन थिएटर बनाए गए हैं. जहां निर्धारित शुल्क देकर मरीजों के परिजनों को ठहरने की व्यवस्था रहेगी आधुनिक लैब बनाई गई है. यहां के स्टाफ और विद्यार्थियों के लिए एक 1000 फीट क्षमता के इनडोर स्टेडियम और ऑडिटोरियम बनाए गए हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 साल पहले राज्य कर्मचारी बीमा निगम को अलवर में मेडिकल कॉलेज और 500 बेड के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को चलाने के आदेश दिए थे. हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि एसआईसी की धारा 59 बी के तहत जनहित में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल चलाने के लिए ईएसआईसी बाध्य है. दिल्ली हाई कोर्ट ने एसआईसी की सभी दलीलों को खारिज कर आदेश दिया था कि जनहित में एससी एक्ट 1948 की धारा 59 भी अन्य प्रावधानों पर सख्ती से पालन किया जाए.
इसके बाद ईएसआईसी ने मेडिकल कॉलेज चलाने का फैसला लिया. मेडिकल कॉलेज चलाने को लेकर लंबे समय से केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच विवाद के मामले सामने आए. केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद मेडिकल कॉलेज पर बादल संकट के बादल छाने लगे मेडिकल काउंसिल की तरफ से अलवर में राज्य सरकार को मेडिकल कॉलेज की अनुमति नहीं दी गई. अलवर में राज्य सरकार की तरफ से भी मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की गई थी. लेकिन ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं होने के कारण अलवर में मेडिकल कॉलेज लटका हुआ था. मेडिकल कॉलेज के नाम पर जमकर राजनीति हुई. कांग्रेस हो या भाजपा सभी ने अपने राजनीति के लिए इसे मुद्दा बनाया.