अलवर. कोरोना महामारी के बाद अब लोगों को ब्लैक फंगस का सामना करना पड़ रहा है. बिगड़ते हालात को देखते हुए सरकार की तरफ से ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित कर दिया गया है. कमजोर इम्युनिटी वालों को यह बीमारी अपना शिकार बना रही है. जिन लोगों को डायबिटिक हैं, जिन्हें कैंसर है, जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो, जो लंबे समय से स्टेरॉयड यूज कर रहे हों, जिनको कोई स्किन इंजरी हो, प्रिमैच्योर बेबी को भी यह बीमारी हो सकती है.
पढ़ेंः जयपुर में तेजी से बढ़ रहा ब्लैक फंगस का कहर, SMS की स्थिति चिंताजनक
अप्रैल-मई में जब कोविड की दूसरी लहर में केस बढ़े और ऑक्सीजन कम पड़ने लगी तब इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को मेडिकल इस्तेमाल में डायवर्ट किया गया. कहीं न कहीं यह भी ब्लैक फंगस का कारण हो सकता है. यह ज्यादातर उन लोगों को होता है जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो या वो ऐसी मेडिसिन ले रहे हों. जो बॉडी की इम्युनिटी को कम करती हों या शरीर की दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम करती हों.
यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. ज्यादातर सांस के जरिए वातावरण में मौजूद फंगस हमारे शरीर में पहुंचते हैं. अगर शरीर में किसी तरह का घाव है या शरीर कहीं जल गया. तो वहां से भी यह इन्फेक्शन शरीर में फैल सकता है. इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट नहीं किया गया तो आंखों की रौशनी जा सकती है. या फिर शरीर के जिस हिस्से में ये फंगस फैला है, शरीर का वो हिस्सा सड़ सकता है. यह एक रेयर इन्फेक्शन है. यह फंगस वातावरण में कहीं भी रह सकता है. जैसे पत्तियों, सड़ी लकड़ियों और कम्पोस्ट खाद में ब्लैक फंगस पाया जाता है.
शरीर के किस हिस्से में इन्फेक्शन है, उस पर इस बीमारी के लक्षण निर्भर करते हैं. चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, चेस्ट पेन होना, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव होना, जो बहुत ही तेजी से गंभीर हो जाते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो गार्डनिंग या खेती करते वक्त फुल स्लीव्स से ग्लव्स पहनें, मास्क पहनें, उन जगहों पर जाने से बचें जहां पानी का लीकेज हो, जहां ड्रेनेज का पानी इकट्ठा हो वहां न जाएं. जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उन्हें पॉजिटिव अप्रोच रखना चाहिए. कोरोना ठीक होने के बाद भी रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते रहना चाहिए. अगर फंगस से कोई भी लक्षण दिखें तो तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए. इससे यह फंगस शुरुआती दौर में ही पकड़ में आ जाएगा और इसका समय पर इलाज हो सकेगा.
पढ़ेंः बांसवाड़ा में ब्लैक फंगस के दो नए संदिग्ध मरीज आए सामने
ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर अनिता माथुर ने कहा अगर नाक के रास्ते ब्लैक फंगस प्रवेश कर रहा है. तो पहले नाक ही प्रभावित होता है. नाक से पानी आना और खून आना ही इसके शुरुआती लक्षण होंगे. अगर नाक में संक्रमण का पता चल जाता है तो जल्दी ठीक हो सकता है. अगर नाक से लक्षण को नजरअंदाज किया तो यह साइनस में पहुंचता है. आंख और नाक के बीच के एरिया में पहुंचने के बाद सूजन होता है और दबाने से दर्द महसूस होता है.
इस स्टेज में भी अगर इसे डिटेक्ट नहीं कर पाए तो यह ब्लैक फंगस आंख तक पहुंच सकता है. जिससे पलक गिर जाती है, जिसे टोसिस कहते हैं और एडवांस स्टेज में आंख की रौशनी भी चली जाती है. इसके बाद भी डिटेक्ट नहीं हुआ तो ब्लैक फंगस एडवांस स्टेज में ब्रेन में पहुंच जाता है. नाक साइनस और आंख फिर ब्रेन में पहुंचते ही यह खतरनाक हो जाता है.
ब्रेन में जाने के बाद चक्कर आना, बेहोश होना जैसी समस्याएं होती हैं. चार ऑर्गन नाक, साइनस, आंख, ब्रेन के सभी सिम्टम समझना चाहिए. अगर शुगर है, कोरोना हुआ है या रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है या फिर स्टेरॉयड ले रहे हैं. तो हमेशा अलर्ट रहने की जरूरत है. डॉ माथुर ने कहा कि बचाव के लिए मास्क का उपयोग करें. मास्क नाक मुंह द्वारा काले फंगस को भी शरीर में प्रवेश नहीं करने देगा.
पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ में ब्लैक फंगस से एक और मौत
ऑक्सीजन पर हैं तो ऑक्सीजन ट्यूब, वाटर हर दिन बदलें. ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखे, एक्सरसाइज करें, प्रॉपर डाइट लें, अधिक मात्रा में कॉटिको स्टेरॉयड बिना डॉक्टर की सलाह के न लें, कोशिश करें कि हॉस्पिटल में रहकर ही स्टेरॉयड का इंजेक्शन लें. अगर कोरोना है या फिर स्टेरॉयड की हाई डोज का इंजेक्शन ले रहे हैं तो पूरी तरह सावधानी बरतें. नाक से काला पदार्थ निकले, पानी आए, खून आए या नाक के पास सूजन हो, आंख बाहर आ रही हो, आंख की रोशनी कम हो रही हो तो तत्काल डॉक्टर से सलाह लें. अगर ब्रेन का कोई लक्षण है तो पूरा अलर्ट रहें.
ब्लैक फंगस के लक्षण हैं तो घर में रहकर टेलीफोनिक इलाज नहीं करें, क्योंकि इसमें कई विभागों के डॉक्टर मिलकर इलाज करते हैं. ENT सर्जन, EYE सर्जन, फिजिशियन, न्यूरो सर्जन के साथ क्रिटिकल केयर टीम सहित कई डॉक्टरों की टीम लगती है. ऐसे में अगर लक्षण हो तो हॉस्पिटल में भर्ती हो जाएं. ENT सर्जन सबसे पहले नाक से काले पार्ट को निकालकर माइक्रोस्कोप से देखेंगे कि ब्लैक फंगस है या नहीं. अगर फंगस है. तो सर्जरी कर उसे निकाला जाता है. फिर दवाएं दी जाती हैं, जिससे यह बीमारी ठीक हो जाती है.